पूर्वी अफ्रीका में स्थित देश सोमालिया में इस्लामिक आतंकवादियों ने 2 दिन पूर्व एक बड़ी आतंकी घटना को अंजाम दिया है, जिसमें 120 लोगों की (लेख लिखे जाने तक) मौत हो गई है, वहीं 300 से अधिक लोग घायल हैं। इस्लामिक आतंकियों द्वारा इस घटना को शनिवार 29 अक्टूबर को सोमालिया की राजधानी मोगादिशु में अंजाम दिया गया है।
इस आतंकी हमले के बाद सोमालिया के राष्ट्रपति हसन शेख महमूद ने इस हमले को कायरतापूर्ण कृत्य कहा है, वहीं वैश्विक मीडिया में भी इस हमले की निंदा की जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार यह आतंकी हमला सोमालिया सरकार के शिक्षा मंत्रालय के बाहर किया गया, जिसे इस्लामिक आतंकी समूह अल-शबाब ने अंजाम दिया है। सोमालिया के राष्ट्रपति ने भी इसी संगठन पर आरोप लगाए हैं।
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार सोमालिया के शिक्षा मंत्रालय परिसर के बाहर खड़ी दो कारों में यह विस्फोट हुआ। एक पुलिस अधिकारी ने मीडिया को बताया कि सबसे पहला विस्फोट मंत्रालय के बाहर खड़ी एक कार में हुआ जिसके बाद आस-पास के लोगों ने पीड़ितों की सहायता के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए, इस दौरान एम्बुलेंस एवं शासकीय दल भी पहुंच चुका था, तभी दूसरी कार में भी धमाका हुआ जिसके कारण बड़ी संख्या में बच्चे, बुजुर्ग एवं महिलाओं की भी मृत्यु हुई है।
इस्लामिक आतंकी संगठन अल-शबाब ने कुछ दिन पहले ही किसमायो शहर के एक होटल में भी आतंकी घटना को अंजाम दिया था जिसमें 9 लोगों की मौत हुई थी एवं 47 लोग घायल हुए थे। दरअसल 5 वर्ष पहले भी अल-शबाब ने इसी स्थान पर सबसे बड़े आतंकी हमले को अंजाम दिया था जिसमें 500 लोग मारे गए थे।
इस्लामिक आतंकी संगठन अल-शबाब द्वारा किए गए इस आतंकी हमले के पीछे की सबसे बड़ी वजह है शिक्षा। दरअसल इस इस्लामिक आतंकी संगठन का मानना है कि शिक्षा के कारण युवा इस्लाम से दूर हो रहे हैं, इसीलिए इस इस्लामिक आतंकी संगठन ने शिक्षा मंत्रालय के परिसर के समीप आतंकी हमले को अंजाम दिया है।
इस आतंकी घटना को करने वाले अल-शबाब का संबंध अलकायदा, बोको हरम एवं आईएसआईएस से भी जुड़ा हुआ है। दरअसल अल-शबाब का गठन वर्ष 2006 में सोमालिया में हुआ था, जिसका पूरा नाम अल-शबाब अल-मुजाहिदीन है।
अल शबाब का अर्थ होता है 'युवा', जो अरबी भाषा का शब्द है। अल शबाब के मुखिया का नाम अहमद उमर है, जो वर्ष 2014 से इस आतंकी संगठन का प्रमुख है।
इस्लामिक आतंकी संगठन अल-शबाब के गठन के पीछे वहाबी इस्लाम का विचार है, जिसका मुख्य उद्देश्य पूरी दुनिया में इस्लाम का राज कायम करना है।
दरअसल वर्ष 2006 तक मोगादिशु शहर शरिया अदालतों के एक संगठन यूनियन ऑफ इस्लामिक कोर्ट्स के कब्जे में था, जिसका प्रमुख शेख अहमद था। लेकिन इसी वर्ष इथियोपिया ने इसे युद्ध में हरा दिया और इसी के बाद यूनियन ऑफ इस्लामिक कोर्ट्स की एक शाखा के तौर पर अल-शबाब का गठन हुआ जिसका मुख्य उद्देश्य वर्तमान सरकार को उखाड़ फेंकना है।
अल-शबाब ने सोमालिया की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विभिन्न आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है। वर्ष 2008 से अमेरिका ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं।
अल-शबाब के कई आतंकियों पर करोड़ों डॉलर के इनाम घोषित है, वहीं यह संगठन सोमालिया के साथ-साथ इथियोपिया और केन्या में भी सक्रिय है, साथ ही इसका नेटवर्क अफ्रीका के अलावा यूरोप, एशिया और अमेरिका में भी माना जाता है।
अल-शबाब अपने प्रभावित क्षेत्रों में कठोर तौर पर शरिया को लागू कर रखता है, और चाहता है कि सभी स्थानों पर शरिया हुकूमत चले, जिसमें ऐसे नियम भी शामिल है जहां महिलाओं को गलती के लिए पत्थर फेंककर जान से मारने की सजा दी जाती है।
इसके अलावा अल-शबाब का सोचना है कि आधुनिक शिक्षा से युवा इस्लाम से दूर जा रहे हैं, इसीलिए युवाओं को केवल इस्लामिक शिक्षा ही दी जानी चाहिए। अल-शबाब के अनुसार महिलाओं को केवल हिजाब और बुर्के में ही बाहर निकलने की अनुमति है।
यह ठीक उसी तरह के विचार हैं जो पाकिस्तान, ईरान, अफगानिस्तान एवं भारत समेत दुनिया के विभिन्न देशों में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा आधुनिक शिक्षा एवं महिलाओं को लेकर रखे जाते हैं, इन इस्लामिक कट्टरपंथी समूहों का कहना होता है कि मुस्लिम बच्चों को केवल शरिया की शिक्षा दी जाए या उन्हें केवल मदरसे में ही शिक्षा दी जाए।
वहीं भारत से लेकर ईरान तक हिजाब के जो विवाद चल रहे हैं, वह भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि कैसे एक इस्लामिक आतंकी संगठन के विचार और इस्लामिक कट्टरपंथी समूहों के विचार में समानता है।
सोमालिया जैसे देशों में इस्लामिक आतंकियों द्वारा की जाने वाली यह घटनाएं भारत सहित पूरे विश्व के लिए सतर्क करने की वो घटना है, जिसे समझना एवं उसकी सच्चाई स्वीकार करना आवश्यक है।