छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित कांकेर में माओवादियों ने पांच अलग-अलग स्थानों पर वाहनों और मोबाइल टावरों में की आगजनी

The Narrative World    23-Nov-2022   
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Maoist torched mobile tower 
 
यह तो सभी को विदित है कि माओवादी समाज को हानि पहुंचाने के मामले में कुख्यात हैं, वे ऐसे उपद्रव करके जनसामान्य एवं क्षेत्रीय लोगों के सामाजिक, आर्थिक व शारीरिक पतन के जिम्मेदार बनते हैं I हाल ही में छत्तीसगढ़ के अंतागढ़ में पांच अलग-अलग घटनाओं में एक जेसीबी, एक ग्रेडर, एक ट्रैक्टर, कुछ बसों और दो मोबाइल टावरों सहित वाहनों को माओवादियों द्वारा आग के हवाले कर दिया। बात की जाए यदि पहली घटना की तो माओवादियों ने एक मोबाइल टावर में आग लगा दी। वहीं दूसरी घटना में पेड़ काटकर अंतागढ़-नारायणपुर राज्य राजमार्ग संख्या 5 को जाम कर दिया। घटना ताड़ोकी थाना क्षेत्र की है।
 
तीसरी घटना में कोयलीबेड़ा थाने से महज एक किमी दूरी पर बाज़ार में स्थित, कोयलीबेड़ा से कांकेर जाने वाली एक नई निजी बस में आग लगा दी गई। वहीं चौथी घटना कोयलीबेड़ा थाना क्षेत्र के जीराम तराई में हुई जहां एक जियो मोबाइल टावर में आग लगा दी गई। इसी घटना में कोयलीबेड़ा थाना क्षेत्र के मरकनार में एक जेसीबी, एक ग्रेडर और एक ट्रैक्टर में आग लगा दी गई थीI
 
इसी घटना के दौरान माओवादियों ने पूरी सड़क पर बैनर-पोस्टर लगा दिए हैं। दरअसल वे दर्शन पड्डा और जगेश माओवादियों की मौत का बदला ले रहे हैं, जो हाल ही में छत्तीसगढ़ पुलिस की गोलीबारी में मारे गए थे। माओवादियों का कहना है कि इन्हें पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ में मारा गया है। बता दें कि 31 अक्टूबर की रात अंतागढ़ ब्लॉक के कडमे में पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ में दो माओवादियों को पुलिस ने मार गिराया था I दोनों माओवादियों पर राज्य सरकार द्वारा 8 -8 लाख का पुरस्कार घोषित था I
 
गोलीबारी में मारे गए दोनों माओवादियों में से एक दर्शन पड्डा जहाँ परतापुर एरिया कमेटी का सचिव था जिस पर 39 नक्सल अपराध दर्ज है, वहीं जागेश माओवादियों के स्माल एक्शन टीम का प्रभारी था। दोनों के मुठभेड़ में मारे जाने को कांकेर पुलिस द्वारा सबसे बड़ी सफ़लता भी माना जा रहा है।
 
माओवादियों के अलग - अलग क्षेत्रों में उत्पात मचाने से लोगों में भय का वातावरण है। इसी क्रम में घटनास्थल पर पुलिस ने भी सर्च अभियान तेज कर दिया है। पुलिस आमाबेडा मार्ग पर पहुँच कर मार्ग बहाल करने की कोशिश में जुटी हुई है। वहीं नारायणपुर मार्ग में भी पुलिस टीम रवाना हो गयी है I
 
गौरतलब है कि अपने संगठन का अस्तित्व बनाए रखने और कैडर के मनोबल को ‘मजबूत’ रखने के लिए माओवादी किसी भी स्तर तक जा रहे हैं, वे निर्दोष ग्रामीणों की हत्या करते हैं, कभी विकास कार्यों में उपयोग किए जा रहे वाहनों को आग के हवाले करते हैं, तो कभी सुरक्षाबलों के ऊपर जानलेवा हमला करते हैंI
 
छत्तीसगढ़ की सरकार अधिकांशत: इन मामलों पर चुप्पी साधती हुई दिखाई देती है, इस बार भी छत्तीसगढ़ में हुई हिंसा, आगजनी पर सरकार की चुप्पी आश्चर्यजनक ही है I इस प्रकार सरकार द्वारा इन देश व समाज विरोधी शक्तियों का विरोध न करना अथवा इन पर उचित कार्यवाही न करना, सरकार की इनसे सांठ गाँठ है यह दर्शाता है यहाँ की सरकार दावे बहुत करती है कि उसने माओवाद को जड़ से समाप्त कर दिया है, किन्तु जमीनी स्तर पर जनता इसके प्रमाण देख पाने असमर्थ है I ऐसे में आगे देखना है कि राज्य सरकार इस मामले पर क्या एक्शन लेती है, या सदैव की तरह जनता को ‘सब चंगा सी’ का झुनझुना पकड़ाया जाएगा व निर्दोष जनता यूँ ही इन माओवादियों का शिकार बनती रहेगीI