छत्तीसगढ़ में मंगलवार शाम नक्सली हमले में सीआरपीएफ के एक जवान वीरगति को प्राप्त हुए। पलक्कड़-धोनी नाम के जवान के शव को बुधवार शाम साढ़े छह बजे पार्थिव शरीर कोयंबटूर एयरपोर्ट लाया गया। वहां से ही पार्थिव शरीर को रेलवे कॉलोनी स्थित आवास पर ले जाया गया। 2007 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में शामिल हुए थे। वह छत्तीसगढ़ में 202 कोबरा इकाई में हवलदार के रूप में दो साल से कार्यरत थे। हकीम को नक्सलियों द्वारा गोली मार दी गई, हमले की सूचना चिंतागुफा पुलिस थाने की सीमा में शाम साढ़े चार बजे से शाम पांच बजे के बीच दी गई थी।
साथ ही इसी कोबरा इकाई पर नक्सलियों ने मंगलवार को अर्धसैनिक बल द्वारा स्थापित नए शिविर पर गोलीबारी की, जिसमें सीआरपीएफ की जंगल युद्ध इकाई कोबरा का एक कोबरा कमांडो गंभीर रूप से घायल हो गयाI इस सन्दर्भ में पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने बताया कि “यह घटना चिंतागुफा थाना क्षेत्र के डब्बाकोंटा गांव में शाम साढ़े चार से पांच बजे के बीच हुई थी, जहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने हाल ही में एक शिविर लगाया था।"
बता दें कि कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन (CoBRA) की 202 वीं बटालियन से संबंधित एक हेड कांस्टेबल को इस हमले में गंभीर चोटें आईं हैं। उन्हें पास के 'भेजी' गांव में सीआरपीएफ के फील्ड अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था।" आगे उन्होंने कहा कि "अतिरिक्त सुरक्षा बलों को मौके पर रवाना कर दिया गया है और आसपास के क्षेत्रों में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।”
इसी के साथ झारखंड के चतरा जिले से यह खबर आई है कि वहां चकरबंधा और चकसालिया इलाके के भाकपा (माओवादी) कमांडर कमलेश यादव ने बुधवार को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है I यादव, हत्या समेत कई आपराधिक मामलों में सम्मिलित था और उसके विरुद्ध जिले के प्रतापपुर, कुंडा और मनतु थानों में आठ मामले दर्ज हैं।
चतरा के पुलिस अधीक्षक राकेश रंजन ने इस संदर्भ में बताया कि "इस साल सितंबर में बधार के जंगल में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में यह नक्सली सम्मिलित था जिसमें सीआरपीएफ का एक जवान शहीद हो गया थाI यादव ने सरकार की सरेंडर पॉलिसी के तहत पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। वह 2014 से चतरा सीमा क्षेत्र में सक्रिय था।" एसपी ने
क्षेत्र के अन्य माओवादियों से सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण करने का आग्रह किया।
इसी क्रम में यादव ने मीडिया को बताया कि वह 2014 में प्रतिबंधित संगठन में शामिल हुआ था। इससे पहले वह हरियाणा में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहा था और जमीन की समस्या का सामना कर रहा था।" यादव का कहना था कि “(माओवादी) संगठन अपने उद्देश्य से भटक गया है। सदस्यों को जंगलों में भोजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए मैंने इस्तीफा देने और आत्मसमर्पण करने का फैसला किया।”
बता दें कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवाद) द्वारा हाल ही में 28 नवम्बर को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी है जिसका शीर्षक है ‘पीएलजीए का 22 वी वर्षगांठ मनाओ’ I इस शीर्षक के साथ जारी किए गए प्रेस विज्ञप्ति में भाकपा माओवाद ने यह दावा किया है कि “दिसंबर 2021 से नवंबर 2022 तक बीते 11 महीनों के समय में भाकपा पार्टी के नेतृत्व में पीएलजीए द्वारा विभिन्न गुरिल्ला जोन और लाल प्रतिरोध क्षेत्रों में लगभग 200 गुरिल्ला युद्ध कार्रवाइयों को अंजाम दिया गयाI
साथ ही 71 जवानों को उन्मूलन कर 154 जवानों को घायल किया I” अपने समर्थकों की सहानुभूति प्राप्त करने हेतु भाकपा की प्रेस विज्ञप्ति में विशेष रुप से यह उल्लेखित किया गया कि देश की प्रगति में की गई तथाकथित क्रांति में गत महीनों में 132 कॉमरेड वीरगति को प्राप्त हुएI मुख्य रूप से इस प्रेस विज्ञप्ति में किस प्रकार सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘समाधान प्रहार’ नामक अभियान पूर्णरूप से ध्वस्त किया जाए, इसकी पूरी रणनीति दिखाई पड़ती है I