चीनी सेना की निगाहें एलएसी पर हमेशा ही रही हैं, साथ ही अरूणाचल प्रदेश के तवांग जिले को लेकर भी उसके उद्देश्य बार-बार सामने आते रहे हैं। अभी पिछले हफ्ते शनिवार (9/12/2022) को अरुणाचल प्रदेश में LAC पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें भारतीय सैनिकों ने चीन को करारा जवाब दिया है। जानकारी के अनुसार चीन के लगभग 300 सैनिक भारत के एलएसी से घुसपैठ करने की तैयारी में आए थे। लेकिन चीन को भारतीय सैनिकों की भी अच्छी तरह से तैयार होने की उम्मीद नहीं थी। इस झड़प में घायल छह भारतीय जवानों को उपचार के लिए गुवाहाटी लाया गया है, जबकि इसी दौरान चीन के दर्जनों सैनिकों के गंभीर रूप से घायल होने की सूचना है।
दरअसल 9 दिसंबर, 2022 को, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी से घुसपैठ किया था, जिसका भारतीय सैनिकों ने दृढ़पूर्वक तरीके से सामना किया। इस लड़ाई में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को चोटें आईं हैं, किन्तु चीन के सैनिकों को भारत के सैनिकों द्वारा मुंह तोड़ जवाब दिए जाने के कारण चीन को अधिक हानि का सामना करना पड़ा है । वहीं भारतीय सेना ने इस संदर्भ में बताया है कि, दोनों सेनाएं, इस संघर्ष के तुरंत बाद क्षेत्र से हट गए थे। इस क्रम में सेना ने यह भी कहा कि “ भारत के कमांडर ने ‘क्षेत्र में शांति स्थापित करने हेतु’ इस मुद्दे पर चीनी कमांडर से चर्चा करने के लिए एक मीटिंग भी की।”
अब इसी मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान सामने आया है I मंगलवार को हुई एक प्रेस वार्ता में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हुई संक्षिप्त झड़प के दौरान भारत की एक इंच भी जमीन पर कब्जा नहीं किया गया है।”
गृह मंत्री ने संसद भवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत के दौरान आगे कहा कि , "भारत की एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं किया गया है। भारतीय सैनिकों ने झड़प के दौरान अत्यधिक बहादुरी दिखाई और कुछ ही समय में चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया।"
इसी क्रम में देश के रक्षा मंत्री रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को संसद भवन में इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि - “9 दिसंबर को, PLA सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को अपने लाभ के लिए बदलने की कोशिश की। हमारे जवानों ने इस का डटकर मुकाबला किया। इस फेस-ऑफ में शारीरिक मुकाबला था। हमारे जवानों ने बहादुरी से पीएलए को घुसपैठ से रोका और उन्हें अपनी पोस्ट पर लौटने के लिए मजबूर किया। इस झड़प में दोनों पक्षों के सैनिक घायल हो गए। मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि कोई भी भारतीय सैनिक नहीं मारा गया या गंभीर रूप से घायल नहीं हुआI ”
बता दें कि भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पिछले साल 2021 अक्टूबर में भी यांग्त्से (तवांग सेक्टर) के पास एक संक्षिप्त रूप से झड़प हुई थी और बाद में प्रोटोकॉल के अनुसार दोनों पक्षों के कमांडरों के बीच बातचीत के बाद इसे सुलझा लिया गया था। इसी के साथ 2020 में लद्दाख में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प भी सामने आई थी ।साथ ही में भारत के पूर्वी क्षेत्र लद्दाख में कई स्थानों पर अतिरिक्त झड़प भी हुई थी। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिकों और 45 से अधिक चीनी सैनिकों की मौत हो गई थी।
इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों और भारी हथियारों के साथ अपनी तैनाती बढ़ा दी है । पूर्वी लद्दाख में हो रहे चीनी सैनिकों के लगातार घुसपैठ के बाद भारतीय सेना ने भी पूर्वी क्षेत्र में एलएसी के साथ अपनी परिचालन क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है, इसी क्रम में भारत ने सिक्किम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक के सीमावर्ती क्षेत्रों में संयोजिकता को बेहतर बनाने की दिशा में भी प्रभावी कदम उठाए हैं
वहीं इन सब के बीच, चीन के साथ लगने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि "सेना ने एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित किया है और पिछले दो वर्षों में क्षेत्रों की समग्र निगरानी में काफी सुधार भी हुआ है।" बता दें कि इससे पूर्व इसी वर्ष सितंबर में, पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने भी कहा था कि “भारतीय सेना एलएसी पर पीएलए की गतिविधियों की लगातार निगरानी कर रही है और किसी भी चुनौती से लड़ने के लिए अच्छी तरह से तैयार है।”