छत्तीसगढ़ में माओवादी आतंकवाद को लेकर जिस तरह से सुरक्षा बल के जवान अभियान चला रहे हैं, वह इस बात का संकेत है कि यह अब निर्णायक लड़ाई पर आ चुका है। फोर्स अब पूरी ताकत से माओवादी संगठन को कुचलने का काम कर रही है, जिसमें उन्हें लगातार सफलता भी मिल रही है। इस वर्ष फोर्स ने केवल छत्तीसगढ़ में ही 194 माओवादियों को ढेर किया है, जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में सबसे बड़ी सफलता है।
इन सब के बीच फोर्स ने अपने इन अभियानों में ऐसी सफलता हासिल की है जो बस्तर को शांति की ओर ले जाने वाला है। सुरक्षाबलों ने जिन 194 माओवादियों को मार गिराया है, उनमें से 10 माओवादी ऐसे मारे गए हैं जिनका छत्तीसगढ़ के क्षेत्र में लंबे समय से खौफ बना हुआ था। इन माओवादियों द्वारा छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा था, वहीं इनके द्वारा फोर्स को भी निशाना बनाया गया था।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में सक्रिय रहे मारे गए ये सभी शीर्ष माओवादी आतंकी छत्तीसगढ़ के बाहर से आये थे, और छत्तीसगढ़ के जनजातियों को दिग्भ्रमित कर उन्हें माओवादी विचार से जोड़ रहे थे। मारे गए इन शीर्ष आतंकियों पर लाखों रुपये के इनाम भी घोषित थे।
मारे गए 10 शीर्ष माओवादी आतंकी कमांडर
दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी अर्थात DKSZC के तीन खूंखार माओवादी ढेर हुए हैं जिनमें जोगन्ना और रन्धेर तेलंगाना के रहने वाले थे, और रूपेश महाराष्ट्र के गढ़चिरौली का था। इसके अलावा माओवादी आतंकी संगठन के टीएससी का सदस्य सागर भी इसी वर्ष फोर्स के साथ मुठभेड़ में ढेर हुआ है। इन सब के अतिरिक्त इसमें मारे गए कुछ ऐसे माओवादी भी शामिल हैं, जिन्होंने क्रूरता की हदें पार की हैं। माओवादी आतंकी संगठन में डीवीएसएम शंकर राव, विनस और जगदीश भी इन मारे गए माओवादियों में शामिल हैं। शीर्ष माओवादी आतंकियों में महिला माओवादी भी थीं, जिन्होंने अपने आतंक से क्षेत्र में माओवादियों के लिए डर पैदा किया था, जिसमें संगीता, लक्ष्मी और रजीता जैसे महिला माओवादी शामिल हैं, जिन्हें भी फोर्स ने इस वर्ष ढेर किया है।
हाल ही में हुआ बड़ा ऑपरेशन
छत्तीसगढ़ में अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में ही बड़ा एन्टी नक्सल ऑपरेशन हुआ है, जिसमें सुरक्षाबलों ने 35 माओवादियों को ढेर किया है। माओवादियों को मुठभेड़ में मारने के बाद सुरक्षाकर्मियों ने 31 शव बरामद किए थे, वहीं माओवादियों ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि उनके 35 माओवादी मारे गए।
इस ऑपरेशन को सुरक्षाकर्मियों ने नारायणपुर-दंतेवाड़ा की सीमा पर अबूझमाड़ के जंगलों में अंजाम दिया था। फोर्स ने गावड़ी पहाड़ पर माओवादियों को ढेर किया, जो फोर्स के लिए भी किसी किले को फतह करने की तरह था। दरअसल यह पहला मौका था कि फोर्स अबूझमाड़ के जंगल में हांदावाड़ा के जलप्रपात को पार कर गावड़ी पहाड़ तक पहुँची थी, लेकिन इस पहली बार में ही सुरक्षा बल के जवानों ने छत्तीसगढ़ के इतिहास के सबसे बड़े और सफल ऑपरेशन को पूरा किया।
दंतेश्वरी फाइटर्स की नारी शक्ति भी मैदान में
4 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवादियों के विरुद्ध फोर्स को जो सफलता हासिल हुई है, उसमें बस्तर के नारी शक्ति का भी बड़ा योगदान है। महिला कमांडोज ने जिस तरह से इस ऑपरेशन में अपनी भूमिका निभाई है, उसने इस ऑपरेशन को सफल बनाने का काम किया है। दंतेश्वरी फाइटर्स की महिला कमांडोज़ ने 10 से अधिक माओवादियों को मार गिराया और साथ ही गावड़ी पहाड़ में जिस साहस का परिचय दिया, वह अत्यंत ही प्रशंसनीय है। ये सभी महिला कमांडोज़ बस्तर के दंतेश्वरी फाइटर्स की हैं, जो विशेष रूप से नक्सल आतंक से निपटने के लिए तैयार की गई हैं। दरअसल थुलथुली में हुए मुठभेड़ में जिला बल, डीआरजी, एसटीएफ, बस्तर फाइटर्स एवं सीआरपीएफ के साथ-साथ महिला कमांडोज़ की इकाई दंतेश्वरी फाइटर्स भी मौजूद थी।
दंतेश्वरी फाइटर्स की महिला कमांडोज़ ने पूरी फोर्स के साथ नक्सलियों के ठिकाने पैदल ही तक लंबा सफर तय किया, जिसके बाद वो गावड़ी पहाड़ तक पहुंचे। पहाड़ी पर पहुंचते ही जहां माओवादियों ने फोर्स पर फायरिंग शुरू की, जिसका जवाब दंतेश्वरी फाइटर्स ने भी दिया। अंधाधुंध गोलीबारी के बाद दंतेश्वरी फाइटर्स ने एक छोर से कमान संभाली और माओवादियों को गोलीबारी से जवाब दिया।