इनसाइड स्टोरी : 70 घंटे पैदल चले, एक कमांडो को दो गोलियां लगीं, लेकिन फिर भी ढेर किए 5 इनामी माओवादी

जवानों को भारी पड़ता देख माओवादी भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन दोनों छोर से माओवादियों को फोर्स ने घेर रखा था।

The Narrative World    24-Oct-2024   
Total Views |
Representative Image 
छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र की सीमा पर गढ़चिरौली जिले में फोर्स ने बीते सोमवार को माओवादियों को बड़ा झटका देते हुए 5 नक्सलियों को मार गिराया था। नक्सलियों के लिए काल मानी जाने वाली सी-60 कमांडो की टीम ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया और इस अभियान में 38 लाख रुपये के इनामी माओवादी ढेर हुए। गढ़चिरौली जिले के भामरागढ़ तहसील क्षेत्र में चलाए गए इस अभियान में सी-60 कमांडो की 22 यूनिट और QAT की 2 यूनिट शामिल थीं, जिन्होंने माओवादियों को मार गिराया।
 
दरअसल, महाराष्ट्र के जिस गढ़चिरौली क्षेत्र में फोर्स और माओवादियों की यह मुठभेड़ हुई, उस क्षेत्र में अगले माह विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही थी कि गढ़चिरौली के इस माओवाद से प्रभावित क्षेत्रों में माओवादी किसी न किसी तरह से चुनाव को प्रभावित करने का काम कर सकते हैं, हालांकि सुरक्षाबलों ने नक्सलियों की इस साजिश को भी नाकाम कर दिया है। लेकिन क्या ऑपरेशन इतना आसान था? जी नहीं! फोर्स ने जिस स्थान में सफलता हासिल की है, वह एक ऐसी जगह है जहां किसी भी तरह के ऑपरेशन को लॉन्च करना कभी आसान नहीं रहा है। आइए समझते हैं कि फिर कैसे जवानों ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया।
 
दरअसल, जैसे ही महाराष्ट्र में चुनाव की घोषणा हुई, उसके बाद ही यह आशंका थी कि माओवादी विधानसभा चुनाव में खलल डालने का प्रयास कर सकते हैं। ऐसे में गढ़चिरौली के क्षेत्र के साथ-साथ सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में भी सुरक्षाबलों के जवानों को अलर्ट कर दिया गया था। माओवादियों ने गढ़चिरौली से लगे छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में आईईडी विस्फोट किया था, जिसमें आईटीबीपी के दो जवान बलिदान हो गए थे। ऐसे में इन क्षेत्रों में पेट्रोलिंग लगातार तेज कर दी गई थी।
 
Representative Image
 
वहीं दूसरी ओर, महाराष्ट्र की पुलिस इंटेलिजेंस को नारायणपुर से लगे गढ़चिरौली के भामरागढ़ तहसील में माओवादियों के होने की गुप्त सूचना मिली, जो अबूझमाड़ के क्षेत्र से ही लगा हुआ है। इस सूचना के सामने आते ही गढ़चिरौली से सी-60 कमांडो और सीआरपीएफ की टुकड़ी को जंगल में अभियान के लिए तैयार कर तत्काल रवाना किया गया। एंटी-नक्सल ऑपरेशन के लिए निकले जवानों ने वही रणनीति अपनाई, जो हाल ही में नारायणपुर के थुलथुली में हुए मुठभेड़ के दौरान फोर्स ने अपनाई थी, जिसके तहत सुरक्षा बल के जवान दो अलग-अलग स्थानों से माओवादियों को घेरने निकले।
 
Representative Image
 
अबूझमाड़ के दुर्गम वनों में फोर्स की पूरी टीम लगभग 70 घंटों तक चलती रही और इसी दौरान फोर्स उस जगह पर पहुँच चुकी थी, जहां माओवादी मौजूद थे। सोमवार की सुबह 8 बजे के आसपास माओवादियों ने जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। माओवादियों की ओर से की जा रही गोलीबारी से बचते हुए जवान जब संभले, तब उन्होंने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की। जवानों को भारी पड़ता देख माओवादी भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन दोनों छोर से माओवादियों को फोर्स ने घेर रखा था।
 
इस बीच 2 घंटे की मुठभेड़ में माओवादियों की तरफ से चली हुई दो गोलियां सी-60 के एक कमांडो कुमोद आत्राम को लगीं, जिससे वे वहीं पर घायल हो गए। एक तरफ जहां फोर्स की गोलीबारी में पहले जया और सावजी मारे गए, जिन पर 16-16 लाख रुपये का इनाम घोषित था, वहीं दूसरी ओर सी-60 के कमांडो आत्राम घायल अवस्था में वहीं पड़े हुए थे।
 
Representative Image
 
आत्राम को बचाने के लिए तत्काल हेलीकॉप्टर की मदद की आवश्यकता थी, लेकिन दूसरी ओर से माओवादी लगातार गोली चला रहे थे, ऐसे में हेलीकॉप्टर लाकर और आत्राम को बचाकर निकलना आसान नहीं था। इस बीच वीरांगना के रूप में सामने आईं महिला पायलट कैप्टन रीना वर्गीज। पवन हंस नामक हेलीकॉप्टर की पायलट रीना वर्गीज ने ग्राउंड ज़ीरो पर उड़ान भरी, लेकिन वन्य क्षेत्र एवं चट्टानों के होने के कारण हेलीकॉप्टर उतारना कठिन दिखाई देने लगा। रीना ने यहां साहस का परिचय देते हुए अपने को-पायलट को हेलीकॉप्टर का नियंत्रण सौंपा और घायल कमांडो आत्राम को बचाने के लिए 11 फीट ऊंचाई से छलांग लगाई, जिसके बाद अन्य कमांडो की सहायता से वे आत्राम को बचाकर हेलीकॉप्टर तक ले आईं और फिर उन्हें नागपुर के अस्पताल में ले जाया गया।
 
Representative Image
 
वहीं दूसरी ओर, माओवादियों से जारी मुठभेड़ में फोर्स ने पहले तो 16-16 लाख के दो इनामी माओवादियों को मार गिराया, और इसके बाद 2-2 लाख रुपये के तीन और इनामी माओवादियों को ढेर किया। इस मुठभेड़ में कुल 38 लाख रुपये के 5 इनामी माओवादी ढेर हुए, जिसमें 3 महिला माओवादी और 2 पुरुष माओवादी थे।