बांग्लादेश के हिंदुओं को बचाएं

बांग्लादेश के हिंदुओं में अद्भुत साहस है। सारी प्रतिकूलता के बाद भी, तानाशाह सरकार का कड़ा विरोध होने पर भी शनिवार 26 अक्टूबर को, वहां के हिंदुओं ने चटगांव के ऐतिहासिक लालदीघी मैदान में एक विशाल रैली की। "सनातन जागरण मंच" पर के आह्वान पर हुए इस प्रदर्शन रैली में, लाखों की संख्या में हिंदू जुटें। उन्होंने मोहम्मद यूनुस सरकार को 8 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जारी किया।

The Narrative World    03-Dec-2024   
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बांग्लादेश में 77-78 वर्षों के बाद इतिहास दोहराया जा रहा है। वही चीखें, वही रुह कापता करुण क्रंदन, वही आंसुओं से डबडबाई आंखें, वही पाशवी बलात्कार के बाद फेंकी गई वीभत्स लाशें, वही उजड़े हुए-जलते हुए घर, वही खामोश, मूकदर्शक बना स्थानीय प्रशासन, और वही असहाय हिंदू!


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विभाजन के समय का दृश्य पूरे बांग्लादेश में पुनः प्रस्तुत हो रहा है। वैसे बांग्लादेश के लिए यह नया नहीं है। 1971 में पश्चिमी पाकिस्तान के तानाशाह जनरल टिक्का खान ने 'ऑपरेशन सर्चलाइट' चलाकर हिंदुओं का वंशच्छेद (जिनोसाइड - Genocide) प्रारंभ किया था।


गुरुवार 23 मार्च 1971 को चालू हुए इस आक्रमण में तत्कालीन पूर्व पाकिस्तान (अभी का बांग्लादेश) के 30 लाख हिंदुओं को मात्र कुछ ही महीनों में, पाशवी तरीके से मार दिया गया था। चार लाख से ज्यादा जवान बहू-बेटियों के साथ निर्मम दुष्कर्म किए गए थे। इन सब के बाद भी, बांग्लादेश का साहसी हिंदू, जिजीविषा के साथ डटा रहा। उसने अपने मातृभूमि को नहीं छोड़ा।

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बांग्लादेश के हिंदुओं के इस अदम्य साहस से चिढ़ कर, वहां के अतिवादी मुसलमानों ने, 5 अगस्त 2024 से हिंदुओं के नरसंहार को दोहराना प्रारंभ कर दिया है।


जुलाई 2024 को प्रारंभ हुआ छात्रों का आंदोलन, प्रारंभ में तो तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के विरोध में था। अनेक बाहरी ताकते इस आंदोलन में शामिल थी। किंतु जैसे ही सोमवार 5 अगस्त को शेख हसीना ने इस्तीफा देकर देश से पलायन किया, वैसे ही यह सारा आंदोलन हिंदू-बौद्ध नागरिकों के विरोध में चला गया। तब से चार महीने होते आए हैं, हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं।


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5 अगस्त से आज तक, बांग्लादेश के हिंदुओं ने रात को ठीक से नींद नहीं ली हैं। हजारों हिंदुओं की अब तक हत्या हो चुकी है। इनमें बांग्लादेश के प्रसिद्ध उद्योगपति, कलाकार, गायक, खिलाड़ी, पुलिस अधिकारी सभी का समावेश हैं।


खुलना, रंगपुर, राजशाही, बारीसाल, चिटगांव, सिल्हट। बांग्लादेश के सभी विभागों में हिंदुओं पर हमले, अभी भी हो रहे हैं। मंदिर तोड़ना, मूर्तियों को ध्वस्त करना यह तो आम बात हो गई है। बांग्लादेश पुलिस के अनुसार इस वर्ष दुर्गा पूजा के समय मात्र 35 दुर्गा पूजा मंडपों को अतिवादी मुसलमानों ने ध्वस्त किया। किंतु यह अत्यंत गलत आंकड़े हैं। बांग्लादेश के 'जातीय हिंदू महाजोट' (राष्ट्रीय हिंदू गठबंधन) के अनुसार, सैकड़ों दुर्गा पूजा मंडपों को पूर्णतया ध्वस्त किया गया है।


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मात्र 5 अगस्त से 31 अगस्त के बीच, 49 हाई स्कूल और कॉलेज के हिंदू शिक्षकों से जबरन, बलात् रूप से, अपनी नौकरी से त्यागपत्र लिए गए। चांदपुर जिले के फरीदगंज गांव के, गल्लक आदर्श डिग्री कॉलेज के प्राचार्य हरिपद दास को मुस्लिम विद्यार्थियों ने अत्यंत घृणास्पद और अमानुष तरीके से अपमानित किया। बांग्लादेश सरकार ने 5 अगस्त के बाद, एक ही महीने में 252 पुलिस अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया। बांग्लादेश में अब एक भी हिंदू पुलिस अधिकारी नहीं है।


अकेले खुलना डिविजन का ही उदाहरण लें, तो वहां अब भी हिंदुओं पर हिंसा हो रही है। 5 अगस्त की रात को खुलना डिविजन के जशोर शहर के पास, बेजापारा गांव में रहने वाले, 200 हिंदू परिवारों पर जबरदस्त आक्रमण हुआ। उनके घर लूट गए। जिंदा व्यक्तियों के साथ घर जला दिए गए। महिलाओं को भगाकर ले जाया गया। पुलिस ने फोन भी नहीं उठाया। हिंदुओं पर हो रहे इस बिभत्स और नृशंस आक्रमण को, बांग्लादेश की पुलिस, मूकदर्शक बन देखती रही।


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6 अगस्त को भी हिंदुओं पर आक्रमण जारी रहा। बागेरहाट सदर उप जिला में, वहां के लोकप्रिय सेवानिवृत्त स्कूल टीचर, मृणाल कांति चटर्जी को बेदर्दी से काटकर मार डाला गया। जेशोर शहर में उस दिन, 50 हिंदू घरों को लूटकर, उन्हें आग के हवाले किया गया।


कितने प्रसंग, कितनी घटनाएं, कितने स्थान ? क्या-क्या गिनाए? बाघरपारा उप जिला का नारकेलबारिया बाजार, ढालग्राम, मोनीरूपपुर उपजिला, अभय नगर उपजिला, केशबपुर उप जिला, कोयरा उप जिला, बांग्लादेश में जहां-जहां हिंदू है, वहां चुन-चुन कर उन्हें सताया गया हैं, मारा गया हैं, घर को लूटा गया हैं और जवान बहू-बेटियों को भगाकर ले जाया गया है।


खुलना डिविजन के मेहरपुर में इस्कॉन का बहुत बड़ा मंदिर था। उसमें काली मां की बड़ी प्रतिमा थी। साथ ही भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा की भी मूर्तियां थी। उस मंदिर को तोड़ा गया। मूर्तियों को फोड़ा गया। उन पर लघुशंका की गई।


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इस वर्ष दुर्गा पूजा से पहले बांग्लादेश में सभी दुर्गा पूजा पंडालों को कहा गया कि इस बार दुर्गा पूजा नहीं करनी हैं। फिर भी हिम्मत करके जहां हिंदुओं ने दुर्गा पूजा के पंडाल लगाएं वहां उन्हें तोड़ा गया। अनेक स्थानों पर मां दुर्गा की मां काली की प्रतिमा को खंडित किया गया। राजधानी ढाका के बीचो-बीच, चार मंदिरों के दुर्गा पूजा पंडालों में मां दुर्गा की मूर्ति को दारू से नहला कर उन्हें खंडित कर, उन खंडित मूर्तियों के सामने बिभत्स नृत्य किया गया।


बांग्लादेश के हिंदुओं में अद्भुत साहस है। सारी प्रतिकूलता के बाद भी, तानाशाह सरकार का कड़ा विरोध होने पर भी शनिवार 26 अक्टूबर को, वहां के हिंदुओं ने चटगांव के ऐतिहासिक लालदीघी मैदान में एक विशाल रैली की। 'सनातन जागरण मंच' पर के आह्वान पर हुए इस प्रदर्शन रैली में, लाखों की संख्या में हिंदू जुटें। उन्होंने मोहम्मद यूनुस सरकार को 8 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जारी किया।


हिंदुओं के इस विरोध प्रदर्शन से बांग्लादेश की सरकार बौखला गई। उसने इस्कॉन के प्रमुख संत 'चिन्मय कृष्णदास ब्रह्मचारी' को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया। इसके विरोध में हिंदुओं ने प्रदर्शन किये। तो शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद, अतिवादी मुसलमानों ने, बड़े शहरों के अनेक मंदिरों पर आक्रमण करके, मंदिरों में स्थापित भगवान की मूर्तियों को ध्वस्त किया है।


बांग्लादेश अशांत है। उबल रहा है। वह अराजकता के कब्जे में चला गया है। वहां हिंदू सुरक्षित नहीं हैं। उस का घरबार छिन गया हैं। वह रातों को सो नहीं पा रहा हैं। वह अपने जीवन की लड़ाई लड़ रहा है, क्योंकि वह अपनी मातृभूमि छोड़ना नहीं चाह रहा है।


आपको - हमको, हम सब को, बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ चट्टान की तरह खड़े रहना है।


लेख


प्रशांत पोळ

स्वतंत्र टिप्पणीकार
राष्ट्रवादी विचारक