फिलीपींस में आतंक का पर्याय : कम्युनिस्ट पार्टी और कॉमरेड जोमा

जन युद्ध के नाम पर सिसोन ने जो कार्य किया है, उसने फिलीपींस की जनता को बुरी तरह से प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप देश के कई क्षेत्रों में अभी भी भय का माहौल व्याप्त है।

The Narrative World    07-Dec-2024   
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वर्ष
2022 के दिसंबर महीने में नीदरलैंड में फिलीपींस के एक ऐसे माओवादी आतंकी नेता की मौत हुई, जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से 62 हजार से अधिक लोगों की मौत का जिम्मेदार था। इस नेता का नाम था जोस मारिया सिसोन था, जिसने फिलीपींस में माओवादी आतंक को जन्म दिया।


भारतीय माओवादी आतंकियों की नजर में एक योद्धा और भारतीय कम्युनिस्टों की नजर में कवि एवं क्रांतिकारी के रूप में सिसोन की भारतीय वामपंथियों के बीच में पहचान थी। कॉमरेड जोमा के नाम से अपने साथियों के बीच चर्चित सिसोन ने मार्क्सवाद, लेनिनवाद और माओवाद की विचारधारा को अपनाते हुए वर्ष 1968 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ द फिलीपींस की स्थापना की थी। इसी कम्युनिस्ट पार्टी का आतंक है कि आज भी फिलीपींस के कई हिस्सों में अस्थिरता एवं अशांति है।


भारत में नक्सलियों-माओवादियों की तरह ही सिसोन की बनाई हुई इस 'माओवादी आतंकियों' की रक्तपिपासु सेना पूरे फिलीपींस में आतंक का पर्याय है। सिसोन ने न्यू पीपल्स आर्मी के नाम से माओवादियों के सशस्त्र विद्रोहियों का एक संगठन बनाया, जिसने क्रांति के नाम पर पूरे देश में हिंसा और आतंक की घटनाओं को अंजाम दिया।



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इसकी आतंकी गतिविधियों के चलते इस संगठन को फिलीपींस समेत अमेरिका, यूरोपीय संघ एवं न्यूजीलैंड द्वारा आतंकी संगठन घोषित भी किया जा चुका है।


ऐसा नहीं है कि सिसोन फिलीपींस में ही रहकर अपने इस आतंकी संगठन को नेतृत्व प्रदान कर रहा था, सिसोन तो वास्तव में बीते 3 दशकों से फिलीपींस से बाहर यूरोप में निर्वासन की जिंदगी जी रहा था।


हालांकि उसकी मौत के बाद यह अनुमान लगाया गया था कि फिलीपींस में माओवादी आतंक समाप्ति की ओर जाएगा। लेकिन जिस प्रकार से फिलीपींस की कम्युनिस्ट पार्टी और उसकी सशस्त्र इकाई न्यू पीपल्स पार्टी ने अपनी तथाकथित क्रांति को जारी रखने का आह्वान किया था, उससे यह संकेत मिले थे कि आने वाले समय में माओवादी हिंसा की घटनाएं देखने को मिलती रहेगी।


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जन युद्ध के नाम पर सिसोन ने जो कार्य किया है, उसने फिलीपींस की जनता को बुरी तरह से प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप देश के कई क्षेत्रों में अभी भी भय का माहौल व्याप्त है। सिसोन की मौत के बाद बीते वर्ष अनुमान लगाया गया था कि कम्युनिस्ट आतंकियों के द्वारा युद्धविराम की घोषणा की जाएगी या अनाधिकारिक रूप से ऐसे संकेत दिए जाएंगे, लेकिन कम्युनिस्ट आतंकियों ने घोषित रूप इस बात की पुष्टि करते हुए कहा था कि वे युद्धविराम नहीं करेंगे।


सिसोन की मौत के बाद कम्युनिस्ट पार्टी और न्यू पीपल्स आर्मी के आतंक में कमी को लेकर फिलीपींस की मीडिया में भी विभिन्न प्रकार के आंकलन किए जा रहे थे। न्यू पीपल्स पार्टी के पूर्व सदस्य एवं सिसोन को शुरुआती साथियों में से एक रहे जून एक्लोवर का कहना था कि "ऐसा हो कि सिसोन के साथ-साथ उसकी विचारधारा भी खत्म हो जाए, जिससे देश में आतंक, हिंसा और सशस्त्र विद्रोह समाप्त हो सके।'


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उन्होंने सिसोन और कम्युनिस्ट पार्टी को लेकर यह भी कहा था कि 'सिसोन की मौत के बाद सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर सकती है कि यह हिंसा और आगे ना बढ़े।' दरअसल एक्लोवर का कथन एक नजरिए से उचित तो है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि भारत की तरह ही फिलीपींस में भी माओवादी हिंसा का कनेक्शन विदेशी वामपंथियों से जुड़ा हुआ है, जो फिलीपींस में अस्थिरता लाना चाहते हैं।


ऐसा नहीं है कि पूर्व में कभी किसी सरकार ने कम्युनिस्ट आतंकियों के साथ युद्ध विराम एवं शांति समझौतों का प्रयास नहीं किया। वर्ष 2016 में ही फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुटरते ने इस सशस्त्र विद्रोह को खत्म करने के किए पहल की थी, लेकिन बावजूद इसके माओवादियों की हिंसा जारी रही। इसी का नतीजा था कि वर्ष 2017 में फिलीपींस की कम्युनिस्ट पार्टी को आतंकी संगठन घोषित किया गया था।


फिलीपींस के नेताओं का भी मानना है कि सिसोन की मौत के बाद देश में माओवादी आतंकवाद की घटनाओं में कमी देखने को मिल सकती है। फिलीपींस के सांसद रौनल्ड बाटो का कहना था कि सिसोन की जगह जो भी कम्युनिस्ट पार्टी और न्यू पीपल्स पार्टी के मुखिया बनने का प्रयास करेगा उसे सख्त तरीके की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।


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फिलीपींस के सुरक्षा विभाग ने भी ऐसे संकेत दिए थे कि सिसोन की मौत के बाद देश को हिंसा एवं आतंक से मुक्ति मिलेगी। सुरक्षा विभाग ने सिसोन को शांति के बीच का रुकावट बताया था। यह सभी अनुमान एवं आंकलन इसी ओर इशारा करते हैं कि फिलीपींस में माओवादी आतंक को समझने एवं उसे बारीकी से देखने वाले लोगों को यह उम्मीद है कि कम्युनिस्ट आतंक अब फिलीपींस में ढलान की ओर है।


कम्युनिस्ट आतंक को करीब से देखने वाले और इस विषय पर अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि कम्युनिस्ट दल और माओवादी आतंकी इतनी आसानी से हार नहीं मानेंगे, और अपने आतंक को जारी रखेंगे।


इस मामले को लेकर फिलिपिनो आर्मी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि शांति की परिस्थितियों के निर्माण एवं विकासशील परियोजनों के क्रियान्वयन के कारण अब माओवादी हिंसा को जमीनी स्तर पर समर्थन नहीं मिल रहा है, जिसके कारण कम्युनिस्ट हिंसा की घटनाओं में भी कमी आई है, साथ ही उनके लड़ाके अब पार्टी को छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं।


हालांकि कम्युनिस्ट पार्टी और न्यू पीपल्स पार्टी ने जिस प्रकार सिसोन की मौत के बाद भी अपने स्थापना दिवस (26 दिसंबर) से एक दिन पूर्व वार्षिक पत्र जारी कर आगामी वर्षों की योजना के बारे में बात की थी, उससे यह तो स्पष्ट है कि तत्काल रूप से हिंसा और आतंक नहीं रुकने वाला है, और ना ही कोई शांति आने वाली है।


अपने 24 पन्ने के दस्तावेज में फिलीपींस की कम्युनिस्ट पार्टी ने सिसोन को श्रद्धांजलि देते हुए आगे की रणनीति बनाने की बात कही है। देश की सरकार का विरोध करते हुए कम्युनिस्ट पार्टी ने वर्तमान फिलिपिनो राष्ट्रपति की आलोचना की थी। साथ ही उनकी विदेश एवं आर्थिक नीतियों का विरोध किया था। हजारों निर्दोषों की जान लेने वाले कम्युनिस्ट आतंकियों ने फिलीपींस की सेना को ही मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाला और अत्याचार करने वाला बताया था।


वहीं न्यू पीपल्स पार्टी के घटते कैडर एवं लड़ाकों को लेकर दस्तावेज में कहा गया था कि यह 'तथाकथित' संघर्ष जारी रहेगा। आगामी भविष्य में माओवादी सत्ता के सपने देखने वाली कम्युनिस्ट पार्टी ने कथित जनयुद्ध को जारी रखने की बात की है।


दस्तावेज में मौजूद यह सभी बिंदु इसी ओर इंगित करते हैं कि फिलीपींस में माओवादी आतंकियों के द्वारा युद्धविराम करने की संभावना बेहद कम है। लेकिन यदि सरकार इस समय आक्रामक रूप से कार्रवाई करते हुए शांति समझौतों एवं युद्धविराम के लिए दबाव बनाती है तो बीते 5 दशक से चले आ रहे माओवादी आतंक पर लगाम जरूर लग जाएगा।