मध्य प्रदेश में वक्फ की संपत्तियों की जाल

वक्‍फ की सम्पत्ति से जुड़ा ताजा मामला मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन से सामने आया है, जिसे देखते हुए उत्‍तरप्रदेश सरकार की तर्ज पर मप्र की मोहन सरकार भी इसकी सभी सम्पत्तियों की जांच कराने जा रही है।

The Narrative World    11-Jun-2024   
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देश में वक्‍फ कितना ताकतवर है, यह आज किसी से छिपा नहीं है। वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक, देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल मिलाकर आठ लाख चौवन हजार से अधिक संपत्तियां हैं जो आठ लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली हैं।


यह भारतीय सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले 15 साल में वक्‍फ की पूर्व में जितनी जमीनें थीं, वह बढ़कर दौगुने से अधिक हो गई हैं और इसी के साथ वक्‍फ की जमीनों को लेकर लगातार भ्रष्‍टाचार उजागर हो रहा है एवं विवादों की संख्‍या भी बढ़ रही है।


वक्‍फ की सम्पत्ति से जुड़ा ताजा मामला मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन से सामने आया है, जिसे देखते हुए उत्‍तरप्रदेश सरकार की तर्ज पर मप्र की मोहन सरकार भी इसकी सभी सम्पत्तियों की जांच कराने जा रही है।


दरअसल, पूरा प्रकरण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह नगर से जुड़ा होने से और अधिक महत्‍व का हो गया। उज्जैन में वक्फ की संपत्ति पर काबिज तत्कालीन अध्यक्ष रियाज खान को वक्फ बोर्ड ने सात करोड़ 11 लाख का नोटिस दिया है।


यहां सामने आया है कि 26 सालों तक लगातार एक ही व्‍यक्‍ति रियाज खान अध्‍यक्ष के पद पर बने रहे। ये कितने बड़ी सम्पत्ति का अकेले संचालन कर रहे थे, वह उक्‍त आंकड़ों में देखा जा सकता है, वक्फ दरगाह मदार शाह साहब के साद मस्जिद एवं कब्रिस्तान से जुड़ी यहां 115 दुकाने हैं। साथ ही पांच बड़े कार्यालय की जगह है, वहीं दो विद्यालयों की बिल्डिंग भी है। कुल कई करोड़ की सम्पत्ति है ये।


जब इस सम्पत्ति को लेकर रियाज खान से वक्‍फ बोर्ड ने हिसाब मांगा तो वे हिसाब ही नहीं दे सके। वहीं नियमानुसार वक्‍फ की संपत्ति से होनेवाली आय गरीबों और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए होती है। जबकि यहां उक्‍त संपत्ति को अपनी आय का माध्यम बना लिया गया और निजी आय मानकर खर्च भी कर दिया गया


इनसे मप्र वक्फ बोर्ड ने 2006-07 से लेकर 22-23 यानी 17 सालों की आय एवं व्‍यय राशि का हिसाब मांगा था। पर तत्‍कालीन अध्‍यक्ष कुछ भी हिसाब नहीं दे पाए, जिसे देखते हुए अब मप्र वक्फ बोर्ड की ओर से नोटिस जारी करते हुए खान से सात करोड़ 11 लाख रुपये की वसूली की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।


राज्‍य वक्फ बोर्ड ने अपनी जांच में पाया कि रियाज खान ने अपने कार्यकाल के दौरान वक्फ की परिसंपत्तियों के विकास योजनाओं के तहत मदार गेट पर दरगाह, मस्जिद और कब्रिस्तान की जमीन पर दुकानें, स्कूल भवन और बड़े-बड़े कार्यालय किराए पर देने के लिए बनवा लिए पर इसकी जानकारी शासन को देना उचित नहीं समझा।


अध्‍यक्ष ने इसकी सूचना मप्र वक्फ बोर्ड को भी नहीं दी और पिछले कई सालों से इन सभी निर्माण की गई बिल्‍डिंग की लाखों रुपए महिने मिलनेवाली आय ये अकेले हजम कर रहे थे।


“पहले बोर्ड ने रियाज खान से इस संबंध में बात करना चाही, पर उनकी ओर से काई ठीक से जवाब तक नहीं दिया गया। फिर जब खान के 26 साल के कार्यकाल की जांच हुई तो सामने आया भ्रष्‍टाचार बहुत बड़ा है। तब बोर्ड की ओर से पूर्व अध्यक्ष रियाज खान को नोटिस दिया गया, जिसका भी उन्‍होंने कोई उत्‍तर देना उचित नहीं समझा, अब बोर्ड प्रबंधन ने खान को एक अंतिम मौका अपनी बात रखने का दिया है और उसेक लिए फिर से नया नोटिस जारी किया है, जिसमें उसे सात दिवस के भीतर पूछे गए सभी सवालों के उत्‍तर मय प्रमाणों के देने हैं। यदि सात दिन में वह जवाब नहीं आता है तो बोर्ड एक पक्षीय कार्रवाई करेगा।”


इसी तरह के मामले प्रदेश के अन्‍य जिलों से भी सामने आ रहे हैं, जिसमें कि रसूखदार मुसलमानों द्वारा वक्‍फ सम्पत्तियों पर कब्‍जा कर रखा है, वे किराया वसूल रहे हैं और कई अपने अवैध तरीके से व्‍यापार चला रहे हैं।


वक्‍फ की सम्पत्ति होने के कारण से शासन भी फिर सीधा हस्‍तक्षेप नहीं कर पाता है, जिसका कि भरपूर फायदा ये रसूखदार एवं दबंग मुसलमान उठा रहे हैं। राज्‍य के बुरहानपुर में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर कईं रसूखदारों के अवैध कब्जे हैं।


हाल ही में मोहम्मद फारूक को वक्फ बोर्ड बुरहानपुर का जिलाध्यक्ष बनाया गया, उन्‍होंने जब वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की जानकारी ली तो बहुत चौकाने वाले तथ्‍य सामने आए। जिस पर उन्‍होंने कहा कि जो लोग कम किराए पर संपत्ति का उपयोग कर रहे हैं, उनसे किरायेदारी वसूल की जाएगी। कई प्रॉपर्टी पर अवैध अतिक्रमण है। यहां मंहगी जमीनों पर नाममात्र का किराया देकर लाभ उठाया जा रहा है। इतना ही नहीं तो वक्फ के नियमों को तोड़ मोड़कर खसरे से वक्फ हटाकर निजी संपत्ति बना दी गई है। वहां कई लोगों ने कॉलोनियां बना लीं और प्लाट बेच दिए गए हैं।


प्रदेश के सागर, राजधानी भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्‍वालियर में भी वक्‍फ के कई प्रकरण विवादों से जुड़े हैं। सागर के बीना में वक्फ की संपत्ति के दुरुपयोग को लेकर एक करोड़ 84 लाख रुपये की आरआरसी (रेवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट) जारी किया गया है। भोपाल की मस्जिद कमेटी में भी लाखों रुपये की आर्थिक अनियमितताएं जांच में पकड़ी गई हैं।


वक्‍फ की संपत्तियों को लेकर मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड की वेबसाइट कहती है, ‘‘वक्फ एक स्वैच्छिक, स्थायी, अपरिवर्तनीय समर्पण है जो किसी के धन के एक हिस्से-नकद या अल्लाह को समर्पित है। एक बार वक्फ का हो जाने के बाद, यह कभी उपहार में नहीं मिलता, विरासत में नहीं मिलता या बेचा नहीं जा सकता। यह अल्लाह का है और वक्फ का कोष हमेशा बरकरार रहता है।’’


इस संबंध में मप्र वक्फ बोर्ड द्वारा अपने अधीन संपत्ति के लिए विशेष जांच प्रारंभ करने की जानकारी दी है। सनवर पटेल, अध्यक्ष मप्र वक्फ बोर्ड का कहना है कि प्रदेश की वक्फ की संपत्ति की जांच करा रहे हैं और जहां गड़बड़ी मिल रही है तो नोटिस भेजकर जवाब मांगा जा रहा है। वक्फ की संपत्ति की चोरी करने वालों के विरूद्ध बोर्ड के एक्ट के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।


फिलहात तो मप्र समेत देश भर में यही देखने में आ रहा है कि वक्फ बोर्ड देशभर में जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है।


अवैध मजारों, नई-नई मस्जिदों की भी बाढ़ सी आ रही है। इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है और यह सब करने में सहायक बनता है 1995 का वक्फ एक्ट जो यह कहता है कि वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के असली मालिक की है, उसे ही वक्‍फ ट्रिब्यूनल के सामने यह सिद्ध करना होगा कि उक्‍त जमीन उसकी है न कि वक्फ की।


इससे हो ये रहा है कि कई सरकारी और निजि संपत्‍त‍ियों पर वक्‍फ अपना दावा ठोक देता है, जिसके परिणाम स्‍वरूप पिछले 15 सालों में वक्‍फ की जमीने दो गुने से अधिक बढ़ चुकी है, इसमें भी हो ये रहा है कि अल्‍लाह के नाम को समर्पित इन सम्पत्तियों का अधिकांश जगह कुछ मुसलमान व्‍यक्‍तिगत लाभ उठा रहे हैं। शासन को भी करोड़ों रुपयों का चूना लगा रहे हैं।


अब तक देश में ऐसे कई मामले आ चुके हैं, जिसमें वक्‍फ ने गांव के गांव अपने नाम कर लिए थे, इस मामले में तमिलनाडु के एक गांव में 1500 साल पुराने मंदिर को वक्फ बोर्ड द्वारा अपनी संपत्ति बताने के दावे का सबसे बड़ा उदाहरण हमारे सामने है। फिर बाद में मामला सुलटाने के लिए गैर मुसलमानों से कहा गया कि वे मुसलमान बन जाएं।


इससे जुड़ी अनेक रपट आज मीडिया प्‍लेटफार्म पर मौजूद हैं, जो देखी जा सकती हैं। यानी कुल मिलाकर वक्‍फ की सम्पत्तियों में ज्‍यादातर में विवाद, कुछ रसूखदारों द्वारा इसका उपयोग किया जाना, भारी भ्रष्‍टाचार, अनियमितता, वक्‍फ के नाम पर चाहे जहां जमीनों पर कब्‍जा और गैर मुसलमानों को लालच देकर या दबाव बनाकर उन्‍हें इस्‍लाम कबूल करने के लिए मजबूर किए जाने के‍ लिए वक्‍फ का देश भर में अधिकांश जगह उपयोग होता हुआ आज नजर आ रहा है।


लेख

डॉ. मयंक चतुर्वेदी

वरिष्ठ पत्रकार