बस्तर में माओवाद पर प्रहार : सप्लाई चेन टूटी, इनामी माओवादी हुए गिरफ्तार

बीते 6 माह में ही सुरक्षाकर्मियों ने माओवादी संगठन की कमर तोड़ कर रख दी है, जिसके चलते एक तरफ तो माओवादी संगठन को नये लड़ाके नहीं मिल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खूंखार माओवादी फोर्स के साथ हो रही मुठभेड़ों में ढेर हो रहे हैं।

The Narrative World    27-Jun-2024   
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छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनते ही माओवादियों के विरुद्ध जिस आक्रामक तरीके से उन्मूलन अभियानों की शुरुआत हुई है
, वह अभी भी निरंतर जारी है।


बीते 6 माह में ही सुरक्षाकर्मियों ने माओवादी संगठन की कमर तोड़ कर रख दी है, जिसके चलते एक तरफ तो माओवादी संगठन को नये लड़ाके नहीं मिल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खूंखार माओवादी फोर्स के साथ हो रही मुठभेड़ों में ढेर हो रहे हैं।


वहीं सुरक्षा बलों द्वारा किए जा रहे इन अभियानों को देखते हुए कई इनामी माओवादियों ने आत्मसमर्पण का मार्ग भी चुना है, जिसके चलते प्रदेश में बीते 6 माह में सरेंडर करने वाले माओवादियों की संख्या 450 से अधिक हो चुकी है।


एक ओर जहां फोर्स ने इस 6 माह में 115 से अधिक माओवादियों को ढेर किया है, तो वहीं दूसरी ओर फोर्स ने माओवादियों के अर्बन नेक्सस और सप्लाई चेन को भी पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया है। माओवादियों के सप्लाई लाइन को काटने की ताजा उदाहरण हाल ही में हुई मुठभेड़ के बाद दिखने लगा है।


अबूझमाड़ के वाडेकाल में बीते 7 जून को माओवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में फोर्स ने कई देसी कारतूस बरामद किए थे, जिसके बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि माओवादियों को अब गोलियां मिलनी लगभग बंद हो गई है, जिसके चलते अब उन्हें लोकल ही गोलियां बनानी पड़ रही है।


इसके अलावा मुठभेड़ के दौरान की गतिविधियों के अनुसार माओवादी अधिक फायरिंग नहीं कर रहे हैं, ना ही किसी स्थान पर गोलियों का उपयोग कर रहे हैं, यह भी इसी ओर संकेत करता है कि माओवादी अब बाहर से सप्लाई होने वाले गोलियों की कमी से जूझ रहे हैं।


गोलियों से पहले माओवादी बस्तर क्षेत्र में ही देसी बंदूक और बीजीएल को लोकल स्तर पर बना रहे थे, लेकिन अब देसी कारतूस बनाने की जानकारी हाल ही के समय में पहली बार सामने आई है।


माओवादियों के द्वारा बनाई जा रही देसी कारतूस लोहे की बनी हुई है, जिसे लेकर विषेशज्ञों का कहना है कि इसकी क्वालिटी उतनी अच्छी तो नहीं है, लेकिन माओवादी यदि अच्छा कारतूस बनाना सीख गए तो फोर्स के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो जाएगी।


बस्तर में माओवादियों और फोर्स के बीच लगभग प्रतिदिन मुठभेड़ हो रही है, जिसके चलते माओवादियों के पास मौजूद गोला-बारूद भी खत्म हो रहा है।


बस्तर में जिस तरह से माओवादी पहले निर्बाध सप्लाई चेन बनाकर रखे हुए थे, उसे इन छः महीनों में पुलिस ने तोड़ दिया है, यही कारण है कि अब उन्हें कारतूस भी खुद बनाना पड़ रहा है।


माओवादियों की सप्लाई चेन टूटने का असर माओवादी आतंकी संगठन में दिख रहा है, जिसके चलते नक्सली अब मुठभेड़ों में भाग खड़े हो रहे हैं। फोर्स के साथ हो रही मुठभेड़ों में माओवादी या मारे जा रहे हैं, या घायल होकर भाग रहे हैं।


नक्सलियों की यह स्थिति देखकर कई इनामी माओवादियों ने मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है, जिसके तहत उन्होंने पुलिस के समक्ष आकर आत्मसमर्पण किया है।

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इसी कड़ी में सुकमा और दंतेवाड़ा जिले में फोर्स को बुधवार 26 जून, 2024 को एक बड़ी सफलता भी मिली है। सुकमा में 5 लाख रुपये के इनामी माओवादी हेमला बुधरा ने जिला पुलिस अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। वहीं दूसरी ओर दंतेवाड़ा में भी 5 इनामी माओवादियों समेत 17 माओवादियों ने सीआरपीएफ के समक्ष सरेंडर किया है।


माओवादियों के इस सरेंडर से नक्सलियों की सप्लाई चेन की स्थिति भी कुछ ऐसे समझी जा सकती है कि, सुकमा जिले में जिस इनामी माओवादी हेमला ने आत्मसमर्पण किया है, वह माओवादियों की सप्लाई टीम का डिप्टी कमांडर था।


पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार हेमला को बलसंघम में माओवादियों ने शामिल कराया था, जिसके बाद वह माओवादियों की कई घटनाओं में शामिल रहा।

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