प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत की दिशा में भारत हर क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर रहा है। इसी कड़ी में थल सेना को आत्मनिर्भर व स्वदेशी प्रद्योगिकी से संवृद्ध करते हुए, 14 जून 2024 को नागास्त्र -1 प्राप्त हुआ है।
यह आत्मघाती ड्रोन 75% स्वदेशी तकनीकि व उपकरणों से विकसित किया गया है। अभी तक कुल 450 'नागस्त्र' सेना को दिया जाना प्रस्तावित है, जिसमें 120 की संख्या वाला प्रथम बैच सेना को प्राप्त हो गया है। इसने थल सेना को आत्मनिर्भर, अधिक घातक और तकतवर बना दिया है।
नागस्त्र के माध्यम से अवैध घुसपैठ को नाकाम करने तथा दुश्मन को घर में घेर कर ढेर करने की भारतीय सेना की क्षमता में चार चाँद लग गये हैं। इससे पूर्व 'आईएनएस विक्रांत' ने भारतीय सेना को सशक्त बनाया और स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का पूरी दुनिया के सामने प्रर्दशन किया है।
कोविड-19 के बाद से केंद्र सरकार के विजन ने जिस तत्परता और क्षमता से आत्मनिर्भर भारत के निर्माण को गति दी है, उसमें नागास्त्र - 1 कई मायने में अहम हो गया है। यह ड्रोन तकनीकि के मार्ग की बांधाओं को दूर करेगा और न केवल सेना बल्कि कृषि, व्यापार, चिकित्सा आदि क्षेत्रों में भी ड्रोन तकनीकि को स्वदेशी बनाने के अभियान की सफलता भी सुनिश्चित करेगा।
भारतीय सेना के लिए आत्मघाती ड्रोन नागास्त्र-1 को विकसित करने और युद्धक सामग्री से युक्त करने में सोलार इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड (नागपुर) ने अहम भूमिका निभाई है।
इसी की सहायक ईकाईयों- इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव लिमटेड तथा जेड मोशन ऑटोनॉमस सिस्टम्स प्राइवेट लिमटेड ने नागास्त्र-1 को विकसित किया है। यह इनके लद्दाख के पास नुब्रा घाटी में हुए परीक्षण सफल रहने के बाद सेना को सौपें गये हैं। यह आतंकी घटनाओं और सीमा पर उकसाने के लिए की जाने वाली गतिविधियों पर रोक लगायेगा।
नागस्त्र 2 से 4 किलो तक की विस्फोटक सामग्री के साथ 4500 मीटर ऊपर उड़ते हुए, दुश्मन के ऊपर 60 से 90 मिनट तक मंडरा सकता है। साथ ही कार्यवाही की सटीक समय में वीडियो रिकार्डिंग भी कर सकता है। यह मिशन को बीच में रोक कर वापस आने में भी सक्षम है। अवश्यकता पड़ने पर स्वयं को नष्ट भी कर सकता है।
इसके उपयोग से भारतीय सेना, दुश्मन की सेना को, उसके क्षेत्र में भारी नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। नागास्त्र- 1 द्वारा ले जाई गई- युद्धक सामग्री से दुश्मन के टैंक, बंकर, बख्तरबंद वाहनों व हथियार डिपों आदि को एक झटके में समाप्त कनरे की क्षमता रखता है।
सबसे अहम है कि यह संचालन क्षेत्र के आसपास 15 किलोमीटर के दायरे को सुरक्षित करता है। साथ ही 25 किलोमीटर तक के क्षेत्र की विडीयों रिकार्डिंग द्वारा सतर्कता की क्षमता को भी सुनिश्चित करता है।
75% तक की स्वदेशी तकनीक व संसाधनों के उपयोग से बना नागास्त्र-1, इजरायल व पोलैंड आदि देशों से आयातित ड्रोन के मुकाबले 40% सस्ता है। मई 2020 के बाद से ही भारत इस पर काम कर रहा था। इसे विकसित करने वाली कंपनी का दावा है कि शीघ्र ही शत् प्रतिशत स्वदेशी संसाधनों व तकनीकों से निर्मित आत्मघाती ड्रोन, भारतीय सेना को अधिक सक्षम व कुशल बना देगें।
2047 तक भारत को विकसित बनाने के संकल्प की सिद्धि का मार्ग आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण से ही होकर जाता है। देश में मोदी सरकार आने के बाद से ही भारत दुनिया में अपनी भूमिका और अहमियत को लगातार बढ़ाता जा रहा है।
अर्न्तराष्ट्रीय मंचों पर भारत की आवाज शांतिपूर्ण विश्व की अवाज का नेतृत्व कर रही है। भारतीयों के विश्व गुरु बनने के संकल्प में इसरो के योगदान की जितनी सराहना की जाए कम है। क्योंकि इसने आत्मनिर्भर व स्वादेशी के मंत्रों में निहित शक्ति का 'चन्द्रयान' के माध्यम से उत्कृष्ट प्रर्दशन किया और भारतीयों को हर मामले में आत्मनिर्भर होने व स्वादेशी के सर्वश्रेष्ठ होने के संकल्प को प्रेरित किया है।
इसी का नतीजा है कि भारतीय सेना की तीनों कमानें खुद को आत्मनिर्भर करने, अधिक सक्षम, सशक्त और कुशल करने में जी जान से जुटी है। नागास्त्र - 1 ने देश के हौसले को बुलंद किया है। दुश्मन को सबक दिया है। आतंकियों और घुसपैठियों को आगाह किया है कि अब भारत, पहले की तरह बर्दास्त नहीं करेगा, बल्कि हर नापाक इरादे को नस्तेनाबूत करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत हर संकल्प को सिद्धि तक ले जाएगा। अभी तक एक स्वदेशी निर्मित आत्मघाती ड्रोन नागास्त्र -1 ने तो 'संकल्प से सिद्धि के मार्ग' की असीम शक्ति व क्षमता का मात्र नमूना दिया है। इससे पूर्व आईएनएस विक्रांत ने शत प्रतिशत स्वदेशी तकनीकि व संसाधनों के मामले में भारत के अपूर्व पौरूष का प्रर्दशन कर चुका है। भारत कदम-दर-कदम आत्मनिर्भरता व स्वदेशीकरण के माध्यम से 2047 तक निश्चित ही विकसित देशों में अग्रणी भूमिका को प्राप्त करेगा।
लेख
संदीप कुमार सिंह
यंगइंकर
प्रयागराज, उत्तरप्रदेश