पर्यावरण की सजग प्रहरी : भारतीय रेल

यातायात के आधुनिक साधनों में से एक भारतीय रेलवे सार्वजनिक परिवहन का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। यह आमजन द्वारा सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाने वाला तथा किफायती परिवहन प्रणाली है।

The Narrative World    05-Jun-2024   
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रेलवे, भारत के विकास का इंजन है। भारतीय रेल के विषय में प्राय: कुछ रोमांच बनी रहती है। विशेषकर हर बच्चा किसी ट्रेन अथवा इंजन को देख कर उल्लास और भावना से भरा जाता है। यातायात के आधुनिक साधनों में से एक भारतीय रेलवे सार्वजनिक परिवहन का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। यह आमजन द्वारा सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाने वाला तथा किफायती परिवहन प्रणाली है।


वित्त वर्ष 2015-16 के रेल बजट दस्तावेज में उद्धरित अर्थशास्त्री डब्ल्यू. डब्ल्यू. रोस्तोव का यह कथन रेल की महत्ता को रेखांकित करती है – “विकास को गति देने के लिए रेल की शुरुआत ऐतिहासिक रूप से सर्वाधिक शक्तिशाली सकल उत्प्रेरक रही है


रेलवे देश के प्रत्येक नागरिक के जीवन को कहीं न कहीं प्रभावित अवश्य करती है। भारतीय रेलवे न केवल देश की परिवहन सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करती है, बल्कि देश को एक सूत्र में बाँधने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति में भारतीय रेल का प्रमुख योगदान रहा है। यही कारण है कि अभी कुछ समय पहले तक रेलवे का अपना अलग बजट हुआ करता था।


इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि अंग्रेजों के समय में रेलवे नेटवर्क की शुरुआत हुई। आजादी के बाद भारत में रेलवे को एक और नया रूप मिला जैसे की इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की शुरुआत, तीव्रतर फ्रेट सेवा, केन्द्रीय यातायात नियंत्रण प्रणाली, कम्प्यूटरीकृत टिकट, सेल्फ टिकट प्रिंटिंग मशीन, मेट्रो सेवा, ऑनलाइन ट्रेन आरक्षण इत्यादि। वस्तुत: रेलवे आमजन के जीवन के प्रत्येक पक्ष को कहीं न कहीं स्पर्श करती है। रेल भारत के वर्तमान, भूत और भविष्य से जुड़ी हुई है।


20 जून 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि – “भारतीय रेल अब वो सुविधाएं, वो माहौल भी देने का प्रयास कर रही है जो कभी हवाई अड्डों और हवाई यात्रा पर ही उपलब्ध थीं। भारतीय रेल अब तेज, स्वच्छ, आधुनिक, सुरक्षित तथा सिटीजन फ्रेंडली भी बन रही है।


प्रधानमंत्री का यह कथन भारतीय रेल के भविष्य की रूप-रेखा खींच देती है। नरेंद्र मोदी की सरकार ने शुरुआती कदम में ही लोकलुभावनवाद से बचने का निर्णय लिया ताकि दुनिया में सबसे बड़े रेल निकायों में से एक भारतीय रेल को बचाकर रास्ते पर लाया जा सके।


भारत के इतिहास में पहली बार भारतीय रेल के वैभव को पुनर्स्थापित करने एवं संभवतः सबसे आधुनिक रेलवे में से एक रेलवे बनाने का ईमानदार प्रयास किया गया, जिससे संपूर्ण देश में बुलेट ट्रेनों एवं ध्वनि की गति से तेज़ चलने वाली हाइपर लूप ट्रेनों समेत सुरक्षित, आरामदायक एवं तीव्र यात्री ट्रेनें हों तथा नया एवं बेहतर माल-ढुलाई गलियारा हो। सरकार ने इसको एक विश्व स्तरीय तंत्र बनाने के लिये आने वाले वर्षों में 8 लाख 50 हज़ार करोड़ खर्च करने का लक्ष्य रखा है। इससे विकास पर पड़ने वाले अलग-अलग प्रभावों समेत रोज़गार के बड़े अवसर पैदा होंगे, जैसा देश में पहले कभी नहीं देखा गया।


जैसा कि इस आलेख के सबसे प्रारंभ में कहा गया कि रेलवे, भारत के विकास का इंजन है। इस विकास के इंजन को चलाने के लिए ऊर्जा सबसे ज्यादा जरूरी है समय के साथ ईंधन के परंपरागत स्रोत समाप्ति की ओर हैं अत: ऊर्जा के नए स्रोतों की ओर देखना आवश्यक हो जाता है। इस क्रम में अक्षय ऊर्जा हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण विकल्प सिद्ध हो सकती है। अक्षय ऊर्जा के रूप में सौर ऊर्जा नए युग के नए ईंधन के रूप में तेजी से अपनी पहचान स्थापित कर रही है। सौर ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि के साथ कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आ सकती है जो ग्लोबल वार्मिंग तथा ओजोन क्षरण के खतरों को कम कर सकती है।


रेल परिवहन सड़क परिवहन की तुलना में काफी किफायती है। सड़क परिवहन की तुलना में इसमें मोटे तौर पर 6 गुना कम ऊर्जा खर्च होती है। परिवहन के प्रदूषण में भी रेलवे का योगदान कम होता है। रेलवे के निर्माण की लागत भी अन्य यातायात से लगभग 6 गुना कम बैठती है। भारतीय रेल ने पर्यावरणीय प्रबंधन के संबंध में अपनी पहलों को कारगर बनाने के लिए ऊर्जा कुशलता प्रबंधन, नवीकरणीय तथा वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों, जल संरक्षण, वनीकरण, जल प्रबंधन एवं हरित प्रमाणन जैसे कुछ ठोस कदम उठाए हैं।

भारतीय रेलवे ने 2025 तक मुख्य रूप से 25% बिजली की मांग को पूरा करने के लिए ग्रीनर प्रौद्योगिकियों में निवेश किया है जिसमें सौर प्रणाली से बिजली का उत्पादन किया जाएगा। भारत को हरित राष्ट्र में बदलने के लिए राष्ट्रीय लक्ष्य के एक हिस्से के रूप में विद्युतीकरण को उच्च प्राथमिकता दी गई है। शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के बाद, भारतीय रेल की प्रति वर्ष ईंधन/ ऊर्जा बिल पर अनुमानित बचत लगभग 14,500 करोड़ रुपये होगी।


दुनियाभर में डीजल से चलने वाले लोकोमोटिव को हाइड्रोजन से चलने वाले इंजन से बदलने की कोशिश चल रही है क्योंकि बिजली से चलने वाली ट्रेनों का खर्च अधिक है। इसके मुकाबले हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों में कम खर्च आएगा। भारतीय रेल 2030 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जक बनना चाहता है। भारत सरकार ने देश की नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता को वर्ष 2030 तक 500 गीगा वाट तक विस्तारित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। साथ ही वर्ष 2030 तक अपनी लगभग आधी ऊर्जा जरूरतों को गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों की ओर शिफ्ट करने का संकल्प लिया है।


अत: भारतीय रेलवे भी अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करने और पूर्ण रूप से 'परिवहन का हरित माध्यम' बनने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है जिसके लिए रेलवे स्टेशनों को सौर ऊर्जा से सुसज्जित करने और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए खाली रेलवे भूमि का उपयोग करने की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है।


सरकार के इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग प्रदान करने के लिए रेल मंत्रालय ने 2030 तक भारतीय रेलवे को पूरी तरह हरित ऊर्जा से संचालित करने का लक्ष्‍य निर्धारित की है। इसके लिए स्टेशनों को सौर ऊर्जा से सुसज्जित किया जा रहा है। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने की भारतीय रेल की प्रतिबद्धता के कारण रेलवे द्वारा अपने कार्यालय भवनों तथा कारखानो में रूफ टॉप सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जा रही है।


रेलवे विद्युतीकरण तथा लोकोमोटिव और ट्रेनों की ऊर्जा दक्षता में सुधार करने के साथ-साथ स्थायी उपकरणों, प्रतिष्ठानों तथा स्टेशनों के लिए हरित प्रमाणन हासिल करना इस रणनीति का हिस्‍सा हैं। सौर ऊर्जा के अलावा भारतीय रेलवे ने तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक में लगभग 200 मेगावाट क्षमता वाले पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की भी योजना बनाई है। सवारी डिब्बा कारखाना, चेन्नै की ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए 10.5 मेगा वाट क्षमता वाली भारतीय रेल की सर्वप्रथम पवन चक्की की भी स्थापना की जा चुकी है।


रेल मंत्रालय और राइट्स (RITES) लिमिटेड ने सौर ऊर्जा एवं पवन चक्की (विंड मिल) संयंत्रों से संबंधित भारतीय रेल की परियोजनाओं के लिए आपस में मिलकर रेलवे ऊर्जा प्रबंधन कंपनी (REMC) नाम की एक संयुक्त उद्यम कंपनी बनाई है जिसका उद्देश्य हरित ऊर्जा के सदुपयोग की दिशा में सामूहिक प्रयास कर भारतीय रेल के ऊर्जा बिलों को कम कर ऊर्जा संरक्षण के कार्यों में तेजी लाई जा सके।


रेलवे के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण होने के साथ-साथ भारत ग्रीन एनर्जी के साथ यात्रा करने वाला दुनिया का पहला देश हो जाएगा। रेलवे के विद्युतीकरण के मामले में चीन भी काफी पीछे है चीन के द्वारा भी अभी तक 66 प्रतिशत ही रेलवे का विद्युतीकरण किया गया है। वहीं रूस में अब तक मात्र 51 प्रतिशत ही रेलवे का विद्युतीकरण कार्य हुआ है।


कई ऐसे देश हैं जहां रेलवे विद्युतीकरण का कार्य अभी तक प्रारंभ भी नहीं हो पाया है। रेल ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के अनुसार भारतीय रेलवे विद्युतीकरण कार्य में सबसे आगे है, जबकि औसतन पूरे विश्व में देखें तो कुल 47 प्रतिशत ही रेलवे का विद्युतीकरण हो पाया है।


भारतीय रेल के नेट जीरो उत्सर्जन की लक्ष्य प्राप्ति हेतु दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा लगभग 280 करोड़ रुपए की लागत से 50 मेगावाट सौर उर्जा संयंत्र भिलाई, छत्तीसगढ़ में स्थापित किया गया है। यह भारतीय रेलवे का अब तक का सर्वाधिक उत्पादन क्षमता वाला सौर उर्जा संयंत्र है। इस सौर उर्जा संयंत्र द्वारा उत्पादित सौर उर्जा से लगभग 86000 टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी। इसका सर्वाधिक सकारात्मक प्रभाव पर्यावरण पर पड़ेगा।


भारतीय रेल का यह हरित परिवर्तन न केवल पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भी सहायक है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने में भी योगदान देता है निस्संदेह एक वृहद संगठन एवं सेवा प्रदाता के रूप में भारतीय रेल, पर्यावरण की सजग प्रहरी भी है


लेख


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डॉ. कमल साहू

Columnist - Writers For The Nation 

राजभाषा अधिकारी
दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे (SECR), भिलाई