"गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा"। सोशल मीडिया पर इस नारे को बैन करने की मांग भी उठ रही है क्योंकि इसी नारे के सहारे दूसरे धर्म के लोगों को डराने, धमकाने का काम किया जाता रहा है। सवाल ये है कि यह नारा कहां से आया और इसे किसने ईजाद किया?
कहां से आया सिर तन से जुदा ?
इसके लिए दस साल पीछे जाना होगा। पाकिस्तान में 2011 में पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की उनके ही गार्ड मुमताज कादरी ने हत्या कर दी थी। सलमान तासीर पर आरोप था कि उन्होंने पाकिस्तान के कुख्यात ब्लासफेमी कानून की आलोचना कर दी थी। सलमान तासीर की हत्या के बाद पाकिस्तान में एकदम से राजनीतिक भूचाल आ गया।
इसी समय में एक मौलाना काफी चर्चा में आया जिसका नाम था खादिम हुसैन रिजवी। इस मौलाना ने मुमताज कादरी को "गाजी" घोषित किया और पूरे पाकिस्तान में उसके समर्थन में लोगों को इकट्ठा किया। उसी दौरान उसके जलसों में दो नारे लगने शुरु हुए।
इसमें एक था "लब्बैक या रसूल अल्लाह" और दूसरा "गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा"। इन दो नारों ने मानों पूरे पाकिस्तान को अपने प्रभाव में ले लिया था।
पाकिस्तान का सौभाग्य कहिए या दुर्भाग्य, राजनीतिक पार्टी बनाने के दो साल बाद ही नवंबर 2020 में खादिम हुसैन रिजवी संदिग्ध रूप से बुखार में मर गया। लेकिन उसने "सर तन से जुदा" वाला जो नारा दे दिया, वह न केवल पाकिस्तान में बल्कि भारत में भी सभ्य समाज के लिए एक बड़ा संकट बन गया है।
मुस्लिम कट्टरपंथियों को पाकिस्तान से इतना प्रेम क्यूं ?
टीवी पर नुपुर शर्मा का बयान हो या फिर उससे पहले यति नरसिंहानंद द्वारा उठाये गये सवाल हों या अभी स्वामी रामगिरी महाराज द्वारा दिया गया वक्तव्य इनके विरोध में मुसलमानों द्वारा जितने भी प्रदर्शन हुए उन सभी प्रदर्शनों में खुलकर "सर तन से जुदा" के नारे लगाये गये।
मुसलमानों ने इस नारे को ऐसे अपना लिया मानों खादिम हुसैन रिजवी ने इस एक नारे से मुसलमान को उसकी सही पहचान दे दिया। लेकिन अब सोशल मीडिया पर इन नारों को लगाने वालों के खिलाफ ही कानूनी कार्रवाई करने की मांग हो रही है।
पकिस्तान से चला एक नारा भारतीय मुस्लिम समुदाय में इतना गहरा क्यूं गया, क्या इसके पीछे कोई आतंकी और अलगाववादी साजिश है, या फिर पाकिस्तान के प्रति एक बड़ी मुस्लिम आबादी का प्रेम, जो की समय-समय पर बाहर आता रहता है, चाहे फिर वो सेना के जवानों की शहादत पर हो या भारत-पाकिस्तान के क्रिकेट मैच के दौरान।
मसला नारा लगाने तक ही सीमित रहता तो भी बात इतनी नहीं बिगड़ती। इस नारे के साथ-साथ कथित तौर पर मुसलमानों के नबी की निंदा करनेवालों के सर तन से जुदा भी किये जा रहे हैं। अब तक नबी निंदा के नाम पर कई हत्याएं हो चुकी हैं।
पहली जनवरी 2019 में किशन भरवाड़ की गुजरात में, दूसरी, उमेश कोल्हे की महाराष्ट्र में और तीसरी कन्हैयालाल की राजस्थान में। इससे पहले 2019 में लखनऊ में कमलेश तिवारी की हत्या भी कथित तौर पर नबी निंदा के नाम पर ही की गयी थी, और ये दहशत दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
हाल ही में स्वामी रामगिरी महाराज के एक कथित टिप्पणी के बार पूरे महाराष्ट्र में एक अलग ही माहौल बना दिया है पाकिस्तानी नारे ने। पुणे के जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर महंत रामगिरी के खिलाफ 'सर तन से जुदा' के नारे लगाए गए।
दरअसल, शुक्रवार को पुणे में चंद्रशेखर रावण की पार्टी आजाद समाज पक्ष की तरफ से पुणे कलेक्टर कार्यालय पर विशाल मोर्चा निकाला गया था। यह मोर्चा महंत रामगिरी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर निकाला गया था। जैसे ही यह मोर्चा कलेक्टर कार्यालय पहुंचा तब मोर्चे में शामिल लोगों ने 'गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा' का नारा लगाया था।
भड़काऊ बयान देने का आरोप
दरअसल, महंत रामगिरी पर नासिक के सिन्नर स्थित पंचाले गांव में एक प्रवचन के दौरान भड़काऊ टिप्पणी करने का आरोप है। इस सबंध में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। संभाजी नगर और अहमदनगर भी उनके खिलाफ भीड़ ने प्रदर्शन किया था।
महंत रामगिरी के खिलाफ कई थानों में केस दर्ज
महंत रामगिरी के खिलाफ कई थानों में मामला दर्ज कराया गया गया है। बताया जाता है कि महंत रामगिरी ने कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी। वहीं महंत रामगिरी का कहना है कि उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ टिप्पणी की थी।
अब आप और हम समझ सकते है कि कैसे एक समुदाय सरकार से खुद को ऊपर समझता है, कैसे एक जिला मुख्यालय के सामने एक महंत के सिर को कलम करने की बात करता है।
महंत के बयान देने के बाद जिला प्रशासन-शासन अपना काम कर रहा है एफआईआर दर्ज की गई पुलिस अपना काम कर रही परंतु पाकिस्तानी नारे प्रेमी लोग अपना सिर तन से जुदा का नारा लगाना नहीं छोड़ सकते।
निष्कर्ष
क्या कभी किसी ने इन लोगों को किसी आतंकवादी के खिलाफ ऐसे नारे लगाते सुना है ? क्या कभी आपने और किसी भी हिंदुस्तानी ने सुना कि किसी कट्टरपंथी मुस्लिम धर्मगुरु या व्यक्ति विशेष ने जो ये नारे लगवाते हैं, उन्होंने कभी खुले में आकर बोला हो कि जो भी दहशतगर्द पकिस्तान से हिंदुस्तान आकर आतंकवाद फैलाते हैं या विश्व में कहीं भी नबी या रसूल का नाम लेकर चाहे फिर और ISIS हो या अल-कायदा के आतंकवादी "ये हैं नबी और रसूल के असली दुश्मन, हमें पहले इनका सिर तन से जुदा करना होगा।"
नहीं कहा। न शायद कभी कहेंगे! क्यूंकि पाकिस्तान से उनके आकाओं ने ऐसा करने के लिए नहीं कहा। बाकी एक भारतीय होने के नाते हमारा ये कर्तव्य है कि इस प्रकार की कट्टर विचार धारा जितनी जल्दी समाप्त हो सके उसे समाप्त करे और कानून को अपना काम करने दे।
लेख
आलेख शर्मा
यंगइंकर
अधिवक्ता
ग्वालियर, मध्यप्रदेश