उत्तराखंड में लव जिहाद और लैंड जिहाद का बढ़ता खतरा: एक कड़वी सच्चाई

उत्तराखंड में इस अभियान को सांप्रदायिक कहकर धामी सरकार के विरुद्ध माहौल तैयार किया जा रहा है। मुस्लिम समाज का प्रबुद्ध वर्ग इन तथाकथित ख़ादिमों की आलोचना करने से बच रहा है।

The Narrative World    10-Sep-2024   
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श्यामपुर, उत्तराखंड का एक सुंदर सा गाँव है। यहाँ के लोग सुख-शांति से अपना जीवन यापन कर रहे होते हैं। अचानक गाँव के किनारे एक फ़क़ीर आता है, जो मिट्टी का ढेर बनाकर उस पर चादर डालता है और उसके बगल में एक झोपड़ी बनाकर रहने लग जाता है। धीरे-धीरे फ़क़ीर, या यूँ कहें कि मज़ार का ख़ादिम, गाँव के लोगों को बहलाने-फुसलाने लगता है और गाँव वाले वहाँ माथा टेकने लगते हैं।
 
जैसे-जैसे लोगों की श्रद्धा बढ़ती है, वह ख़ादिम भोले-भाले ग्रामीणों से कहता है कि अगर वे अपने खेत में एक छोटा सा कोना उसे दे देंगे, तो वह वहाँ आकर नमाज़ पढ़ेगा और उस स्थान को सिद्ध बना देगा। ग्रामीण उसकी बातों में आकर अपने खेत में एक मज़ार बना लेते हैं और रोज़ वहाँ दिया-बत्ती करने लगते हैं। श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने पर वहाँ एक दानपेटी रख दी जाती है, जिससे ख़ादिम हर सप्ताह दान की राशि एकत्रित कर ले जाता है।
 
धीरे-धीरे, ख़ादिम उस दान राशि से मज़ार पर टिन की छत डलवाता है और पक्का निर्माण करवा देता है। जैसे-जैसे मज़ार पर लोगों का आना-जाना बढ़ता है, वैसे-वैसे गाँव में कुछ मुस्लिम परिवार आकर बसने लगते हैं और मज़ारें भी बढ़ने लगती हैं। गाँव में अचानक लव जिहाद की घटनाएँ बढ़ने लगती हैं, और गाँव की लड़कियाँ मुस्लिम लड़कों के झाँसे में आकर अपना सर्वस्व उन्हें सौंपने लगती हैं।
 
अब गाँव में कभी गर्भस्थ होने के डर से, कभी इज्जत के भय से, कभी मज़ार के ख़ादिम की नाराज़गी के डर से, तो कभी बाहुबल के सहारे हिंदू लड़कियाँ मुस्लिम लड़कों से निकाह करने लगती हैं। कई बार तो लड़कियों के परिवार भी दबाव में आकर सहमति दे देते हैं।
 
उत्तराखंड की सच्चाई
 
इस कथा में केवल गाँव का नाम काल्पनिक है, बाक़ी सब सत्य है। यह उत्तराखंड के कई ग्रामों की वास्तविक स्थिति का चित्रण है। लैंड जिहाद, लव जिहाद, मतांतरण, और व्यापार जिहाद ने हज़ारों ग्रामों में अपने पैर पसार लिए हैं।
 
घटनाओं के बढ़ते देख उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने इन पर संज्ञान लिया और स्थिति को समझा। हालाँकि स्थिति बहुत आगे बढ़ चुकी थी, किंतु धामी सरकार तेज़ कार्य योजना के तहत इसे रोकने का प्रयास कर रही है। सरकार ने सैकड़ों नकली मज़ारों पर बुलडोज़र चलवाकर उन्हें ध्वस्त किया और आसपास की हज़ारों एकड़ ज़मीन को ख़ादिमों के कब्ज़े से मुक्त कराया।
 
शासन-प्रशासन ने देखा कि इन मज़ारों के माध्यम से केवल शासकीय ही नहीं, बल्कि निजी ज़मीनों पर भी क़ब्ज़े किए गए हैं। हिंदू जनजातीय और अनुसूचित जाति के लोग इन अपराधी ख़ादिमों के बहकावे में आकर जिन्न-जिन्नात के भय से अपनी ज़मीन, पैसा, और लड़कियाँ तक सौंप रहे थे। देहरादून के समीप पछुवा गाँव में ऐसे दो प्रकरण सामने आए, जब प्रशासन को अवैध मज़ारें हटाने से रोकने के प्रयास में ग्रामीणों ने विरोध किया।
 
मज़ारों के पीछे का गिरोह
 
उत्तराखंड की पुलिस ने जब इन मज़ारों की जाँच की, तो यह पता चला कि इसके पीछे एक संगठित गिरोह काम कर रहा था। यह गिरोह बेरोज़गार मुस्लिमों को ख़ादिम बनाकर लैंड जिहाद और लव जिहाद के लिए तैयार कर रहा था। यह गिरोह मज़ारों के माध्यम से लोगों की आस्था का शोषण कर धन एकत्र कर रहा था।
 
मज़ारों पर बड़ी संख्या में हिंदू बंधु जाकर धन, संपत्ति, ज़ेवर, खाद्यान्न, और फल चढ़ाने लगते थे। इस चढ़ावे से फलते-फूलते ख़ादिम अपनी मज़ार की नई शाखाएँ खोलते जाते थे। कालू शाह, भूरे शाह, बुल्ले शाह जैसे नामों पर मज़ारें बनाई जातीं और जब अच्छी कमाई हो जाती, तो बगल के गाँव में जाकर एक और मज़ार बनवा दी जाती थी।
 
पुष्कर सिंह धामी सरकार की कार्रवाई
 
उत्तराखंड की धामी सरकार पर आरोप है कि वह दुराग्रह पूर्वक मज़ारों पर बुलडोज़र चला रही है। किंतु सच्चाई यह है कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय के 20 जून 2009 के आदेश का पालन कर रही है, जिसके अनुसार कोई भी धार्मिक स्थल बिना जिला कलेक्टर की अनुमति के नहीं बनाया जा सकता। धामी सरकार ने इसी आदेश के तहत 300 से अधिक अवैध मज़ारों को ध्वस्त किया है। साथ ही, कई अवैध मंदिरों और एक गुरुद्वारे को भी तोड़ा गया है।
 
उत्तराखंड राज्य सरकार ने मई 2023 तक कुल 3,793 ऐसे क्षेत्रों की पहचान की है, जहाँ मज़ारों के माध्यम से लैंड जिहाद किया गया है। नैनीताल और हरिद्वार इस कुचक्र के शीर्ष पर हैं, जहाँ अतिक्रमण के सहारे मज़ारों के नाम पर क़ब्ज़े किए गए हैं। उत्तराखंड में अभी भी लगभग 12,000 हेक्टेयर भूमि ऐसी है, जिसे इन ख़ादिमों से मुक्त कराना बाकी है।
 
मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया
 
उत्तराखंड में इस अभियान को सांप्रदायिक कहकर धामी सरकार के विरुद्ध माहौल तैयार किया जा रहा है। मुस्लिम समाज का प्रबुद्ध वर्ग इन तथाकथित ख़ादिमों की आलोचना करने से बच रहा है। प्रबुद्ध और अमनपसंद मुस्लिम नेताओं को इन अपराधियों के विरुद्ध फ़तवा जारी करना चाहिए। इसके विपरीत, उत्तराखंड का मुस्लिम समाज इन अपराधियों के पक्ष में बंद, धरना, प्रदर्शन, और जुलूस निकालने में रुचि ले रहा है, जो दुखद है।
 
लेख
प्रवीण गुगनानी
विदेश मंत्रालय, भारत सरकार