एक और चायनीज़ वायरस - एचएमपीवी

चीन में ताजे मीट की खपत भी अधिक है, जिसके चलते सामान्यतः लोग पशु को काटने के तुरंत बाद खरीदना पसंद करते हैं, जिससे पशु में रहने वाले वायरस के फैलने का खतरा हमेशा बना रहता है।

The Narrative World    10-Jan-2025   
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वर्ष पहले चीन के वुहान शहर से निकले चीनी कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को स्थिर कर दिया था। इस चायनीज़ वायरस के कारण 71 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी, वहीं करोड़ों लोग इस वायरस की चपेट में आये थे। भारत सहित पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था लॉकडाउन का शिकार बनी और देखते ही देखते धराशायी होती गई।


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हालांकि दुनिया ने इस 'चायनीज़ वायरस' के प्रकोप से खुद को संभाला और फिर दोबारा जिंदगियां पटरी पर लौटी। लेकिन अब एक बार फिर चीन से एक वायरस निकला है, जिसे लेकर दुनियाभर में कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं।


इस नए वायरस का नाम है 'ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस' (एचएमपीवी) चीनी सोशल मीडिया में इस एचएमपीवी वायरस से जुड़ी कई पोस्ट देखने को मिल रही है, जिसमें ऐसे वीडियो देखें गए हैं जहां बच्चे अस्पताल के बिस्तर में तड़पते हुए दिख रहे हैं।


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डेली स्टार मीडिया समूह की एक रिपोर्ट के अनुसार इस नए 'चीनी वायरस' से पीड़ित बच्चों के माता-पिता चीनी सोशल मीडिया में दूसरों को यह बता रहे हैं कि वे अपने बच्चों को घरों में ही रखें, और भीड़-भाड़ वाली जगह ना जाए।


चीनी सोशल मीडिया में चल रहे वीडियो एवं पोस्ट के अनुसार यह एचएमपीवी (चायनीज़ वायरस) वायरस एक गंभीर और विकराल रूप ले सकता है, जो कोरोना से भी भयावह हो सकता है।


वहीं इस मामले को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) का भी बयान सामने आ गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि एचएमपीवी नामक वायरस का चीन में प्रकोप पिछले कुछ समय से सुर्खियों में है। यह कोई नया वायरस नहीं है, वर्ष 2001 में ही इस वायरस का पता चल चुका था। साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि चीनी स्वास्थ्य प्रशासन के अनुसार किसी तरह की कोई आपात स्थिति निर्मित नहीं हुई है।


विश्व स्वास्थ्य संगठन के इन बयानों के बाद भले यह लग सकता है कि चीन में स्थिति अभी चिंताजनक नहीं है, या यह चायनीज़ वायरस अधिक खतरनाक नहीं है, लेकिन चीनी कम्युनिस्ट प्रशासन द्वारा कोरोना के समय किए गए तमाम दावों के बाद अब चीनी प्रशासनिक तंत्र पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।


पिछली बार भी जब कोरोना का संक्रमण चीन से बाहर नहीं निकला था, तब चीन ने कहा था कि यह वायरस मनुष्य से मनुष्य में नहीं फैल सकता, जिसे 'आंख बंद कर' विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी दोहराया था। लेकिन वास्तविकता इसके ठीक विपरीत थी।


विश्व स्वास्थ्य संगठन की बातों में आकर यूरोपीय देशों ने वुहान और चीन के अन्य शहरों से सीधी उड़ानों पर रोक नहीं लगाई, वहीं चीन ने स्वयं वुहान से बीजिंग की उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया था।


यह सब संकेत थे कि कैसे चीनी कम्युनिस्ट सरकार जानबूझकर वायरस को दुनियाभर में फैलाने का षड्यंत्र रच रही है। ऐसे में अब जब चीन से एक और वायरस निकला है, तो चीनी कम्युनिस्ट सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन की बातों को शत प्रतिशत सही नहीं माना जा सकता है।


वहीं चीन से एक के बाद एक खतरनाक वायरस निकलने को लेकर भी विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे चीन की घनी आबादी और स्वच्छता की समस्या है। इकोहेल्थ एलायंस के प्रेसिडेंट डॉ पीटर दासजक का कहना है कि चीन में पशुपालक सामान्यतः पशुओं को 'वेट मार्किट' में लाते हैं, जहाँ सभी प्रकार के विदेशी जानवर भी होते हैं।


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चीन में ताजे मीट की खपत भी अधिक है, जिसके चलते सामान्यतः लोग पशु को काटने के तुरंत बाद खरीदना पसंद करते हैं, जिससे पशु में रहने वाले वायरस के फैलने का खतरा हमेशा बना रहता है।


कोरोना के समय भी यह कहा गया था कि यह वायरस वुहान के 'मीट मार्केट' से निकला है, जो एक विशाल पशु बाजार है, जहां बड़ी संख्या में पशुओं को काटकर ताजा मांस उपलब्ध कराया जाता है। इस स्थान में स्वच्छता भी अधिक नहीं रहती है।


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वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना था कि कोरोना वायरस वुहान के लैब से लीक हुआ, जिसके बाद यह दुनियाभर में फैला। हालांकि कोरोना का सच कुछ भी हो, लेकिन एक सच यही है कि यह चीन से निकला और पूरी दुनिया मे फैला। अब एक बार फिर चीन एचएमपीवी नामक वायरस लेकर आया है, जिसके संक्रमित हमें भारत में भी देखने को मिल रहे हैं।