हिड़मा और देवा के गढ़ में फोर्स का ऑपरेशन : 12 खूंखार माओवादी हुए ढेर, बटालियन नंबर 1 की टूटी कमर

माओवादियों के मारे जाने के बाद यह पता चला कि मारे गए माओवादी बटालियन नंबर एक के आतंकी हैं, जिसके बाद ही इस बात की चर्चा शुरू हो गई कि मारे गए इन 12 माओवादियों में माड़वी हिड़मा भी शामिल तो नहीं ?

The Narrative World    17-Jan-2025   
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छत्तीसगढ़ में फोर्स ने जिस अंदाज से वर्ष
2024 का अंत किया था, उसी तरीके से 2025 का आगाज किया है। सुरक्षाबलों ने बस्तर में माओवाद पर कड़ा प्रहार करते हुए बीजापुर के अंदरूनी जंगलों में 12 माओवादियों को ढेर कर दिया है।


छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा से लगे क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में 12 खूंखार माओवादी मारे गए हैं, जिसमें हिड़मा के मारे जाने को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। माओवादियों को मार गिराने के बाद उनके शव को लेकर फोर्स कोंडापल्ली पहुंची है, हालांकि अभी तक मारे गए कम्युनिस्ट आतंकियों की शिनाख्त नहीं की जा सकी है।


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दिलचस्प बात यह है कि सुरक्षा बल के जवानों ने इस ऑपरेशन को कुख्यात माओवादी आतंकी हिड़मा के गढ़ में चलाया है, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली है। ऐसे में कहा जा रहा है कि इस मुठभेड़ में माओवादी हिड़मा भी मारा गया है, हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है।


मारे गए माओवादियों को लेकर यह जानकारी सामने आई है कि ये सभी माओवादी आतंकी संगठन के बटालियन नंबर 1 एवं सेंट्रल रीजनल कमेटी के आतंकी हैं, जिसका कमांडर कभी हिड़मा हुआ करता था, हालांकि अभी इसकी कमान देवा के हाथ में है।


हिड़मा और देवा के गढ़ में घुसने से पहले फोर्स ने पूरी रणनीति बनाई थी, जिसके बाद इस सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। पुलिस को गुप्त सूत्रों से इनपुट मिले थे कि पामेड़ क्षेत्र में बड़ी संख्या में माओवादियों की मौजूदगी है।


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यह क्षेत्र माओवादियों के लिए 'हाईड ऑउट' की तरह कार्य करता है, जहां माओवादी छिपने या अपनी की योजना की रणनीति बनाने के लिए आते हैं। कुछ इसी तरह की गतिविधि इस बार भी हो रही थी, जिसमें बटालियन नंबर 1 एवं सेंट्रल कमेटी के माओवादी आतंकी मौजूद थे।


“सुरक्षाबलों को मिले इनपुट के आधार पर ही फोर्स ने इस जगह पर ऑपरेशन की योजना बनाई। ऑपरेशन के लिए दंतेवाड़ा, सुकमा एवं बीजापुर के डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के जवानों को मोर्चा संभालने की जिम्मेदारी मिली। इनके साथ कोबरा 205, 206, 208 एवं 210 बटालियन के जवानों की टुकड़ी भी भेजी गई। साथ ही सीआरपीएफ की टीम को भी ऑपरेशन में शामिल किया गया। लगभग 1500 जवानों की यह संयुक्त टीम 2 दिन पूर्व सर्च ऑपरेशन के लिए निकली, जिनका सामना छत्तीसगढ़-तेलंगाना की सीमा पर बीजापुर के पुजारी कांकेर क्षेत्र में माओवादियों से हुआ।”


फोर्स को देखते ही माओवादियों ने उनपर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद जवानों ने भी जवाबी फायरिंग की, जिससे माओवादी बैकफुट पर आ गए। गुरुवार दिनभर रुक-रुककर मुठभेड़ चलती रही, जिसके बाद देर शाम यह खबर आई कि सुरक्षा बल के जवानों ने 12 माओवादियों को ढेर कर दिया है।


माओवादियों के मारे जाने के बाद यह पता चला कि मारे गए माओवादी बटालियन नंबर एक के आतंकी हैं, जिसके बाद ही इस बात की चर्चा शुरू हो गई कि मारे गए इन 12 माओवादियों में माड़वी हिड़मा भी शामिल तो नहीं ?


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हालांकि यह तो तय है कि फोर्स ने जिन माओवादियों को मार गिराया है, वो सभी शीर्ष माओवादी आतंकियों में शामिल हैं, जिनपर 8 लाख रुपये या उससे अधिक का इनाम घोषित था।माओवादियों के मारे जाने के बाद भी जवानों ने पूरे क्षेत्र को घेर रखा था, जिसके बाद शुक्रवार सुबह दोबारा क्षेत्र में सर्च अभियान चलाया गया।


सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमा में हुई इस मुठभेड़ के क्षेत्र में हिड़मा और देवा लंबे समय से सक्रिय हैं, वहीं बटालियन नंबर 1 एवं कंपनी नम्बर 9 के माओवादी भी यहां सक्रिय हैं।


गौरतलब है कि बीते 6 जनवरी को बीजापुर में ही माओवादियों ने एक आतंकी हमले को अंजाम देते हुए सुरक्षाबलों को निशाना बनाया था। इस हमले में 8 जवान एवं एक वाहन चालक वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस घटना के बाद से ही जवानों द्वारा बड़े ऑपरेशन की योजना बनाई जा रही, जो पुजारी कांकेर में हुए इस मुठभेड़ में सफलता के रूप में दिखाई भी दी।