माओवादी आतंक से मुक्ति की ओर बढ़ रहा छत्तीसगढ़

दंतेवाड़ा जिले में दरभा डिवीजन कमेटी सक्रिय थी, इसके अलावा कटेकल्याण, मलांगिर और इंद्रावती एरिया कमेटी भी सक्रिय थी, लेकिन इन क्षेत्रों के कई शीर्ष माओवादियों को फोर्स ने ढेर कर दिया है, जिसके चलते छोटे कैडर या तो गिरफ्तार हुए हैं, या सरेंडर कर चुके हैं।

The Narrative World    23-Jan-2025   
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आज गुरुवार
23 जनवरी, 2025 की सुबह खबर आई कि छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में फोर्स ने माओवादियों के गोला-बारूद के एक बड़े जखीरे को बरामद किया है। माओवादियों ने किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के उद्देश्य से बड़ी संख्या में बारूद और बीजीएल बनाने के सामान को एकत्रित कर रखा था, जिसे सर्च ऑपरेशन के दौरान सीआरपीएफ और कोबरा के जवानों ने बरामद किया है।


पुलिस सूत्रों के अनुसार सुरक्षाबलों ने जिले के डुलेड एवं मेटागुड़ा में स्थापित किए गए नवीन सुरक्षा कैंप से नक्सल ऑपरेशन के लिए निकले थे। ऑपरेशन के दौरान उन्हें चट्टानों के बीच गुफा मिली, जहां से माओवादियों के इन सामानों को बरामद किया गया।


इससे पहले 3 दिन पूर्व सुरक्षाबलों के साथ गरियाबंद क्षेत्र में छत्तीसगढ़-ओडिशा की सीमा पर माओवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में 27 कम्युनिस्ट आतंकियों के मारे जाने की खबर सामने आई है, जिसमें 14 माओवादियों के शव बरामद भी कर लिया गया है।


इस मुठभेड़ में फोर्स ने माओवादी आतंकी संगठन के सेंट्रल कमेटी मेम्बर चलपति को मार गिराया था, जिस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। वहीं मारे गए अन्य माओवादी भी शीर्ष स्तर के आतंकी थे, जिनकी शिनाख्त की जा रही है।


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वहीं बीते 16 जनवरी को भी फोर्स ने माओवादियों के विरुद्ध ऑपरेशन चलाया था, जिसमें 18 माओवादी मारे गए थे। बीजापुर जिले के पुजारी कांकेर क्षेत्र में हुई मुठभेड़ के बाद जवानों ने 12 माओवादियों के शव को बरामद किया था। इस एनकाउंटर के बाद तो फोर्स को पुजारी कांकेर क्षेत्र में माओवादियों का बंकर भी मिला, जिसे जवानों ने नेस्तनाबूद कर दिया।


कुल मिलाकर देखें तो इन सभी ऑपरेशन से यह समझ आता है कि माओवादी आतंकवाद को खत्म करने का जो संकल्प केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लिया है, फोर्स उसी दिशा में सफलतापूर्वक कार्य कर रही है और आगे बढ़ रही है।


प्रदेश में भाजपा की सरकार बने लगभग 13 माह हुए हैं, और इस दौरान सुरक्षाबलों ने 250 से अधिक माओवादियों को ढेर कर दिया है। वर्ष 2025 के शुरुआती 21 दिनों में ही फोर्स ने 50 अधिक माओवादियों को मार गिराया है, जिसमें कई बड़े माओवादी शामिल हैं।


माओवादी खात्मे के लिए 'शाह रणनीति'


जनवरी 2024 में जब पहली बार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को लेकर की गई बैठक के बाद कहा था कि 3 साल के भीतर ही देश से नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। इस घोषणा के बाद ऐसा लगा था कि यह कोई राजनीतिक बयान हो सकता है, क्योंकि माओवादियों की 4 दशकों की जड़ों को 3 साल के भीतर खत्म करना कोई आसान काम नहीं लग रहा था।


लेकिन इसके बाद जिस तरह से अमित शाह की रणनीति के तहत छत्तीसगढ़ की सरकार ने माओवादी आतंकवाद से निपटने के लिए ऑपरेशन लॉन्च किए, उसने माओवादियों की जड़ों को ऐसे हिलाया कि अमित शाह ने अपने छत्तीसगढ़ दौरे में माओवादी आतंक के खात्मे को लेकर सीधी एक डेडलाइन भी घोषित कर दी।


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अगस्त 2024 में अमित शाह ने घोषणा की कि मार्च 2026 तक देश माओवादी आतंक से मुक्त हो जाएगा। वहीं केंद्रीय गृहमंत्रालय ने लगातार नक्सल उन्मूलन के लिए रणनीतियां बनाई और फोर्स को मजबूत किया। अपनी इन्हीं रणनीतियों की समीक्षा करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अक्टूबर माह में माओवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक ली।


इसके बाद बस्तर ओलंपिक के लिए भी अमित शाह ने बस्तर का दौरा किया और इस दौरान वो खूंखार माओवादी हिड़मा के गांव के समीप सुरक्षाबल के कैंप में भी पहुंचे और जवानों का हौसला बढ़ाया।


फोर्स का तालमेल और नई रणनीति


जनवरी में अमित शाह की बनाई रणनीति के बाद छत्तीसगढ़ में पुलिस, जिला बल और पैरामिलिट्री फोर्स के शीर्ष अधिकारियों की समन्वय बैठकें होने लगी, जिससे फोर्स के बीच आपसी तालमेल बढ़ा और इंटेलिजेंस इनपुट्स साझा की जाने लगी। इन सब के बीच छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने माओवादियों को खत्म करने के लिए ऑपरेशन लॉन्च किए, जिसमें उन्हें अभूतपूर्व सफलता मिली।


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इन अभियानों में सफलता का सबसे बड़ा कारण है कि जिलों एवं राज्यों की पुलिस अब संयुक्त ऑपरेशन चलाया रहीं हैं। जैसे बीजापुर में हुए एनकाउंटर को समझे, तो इसमें दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा, तीनों जिलों से फोर्स को ऑपरेशन के लिए भेजा गया, जिसके चलते माओवादी सभी ओर से घिर गए।


वहीं गरियाबंद में हुए ऑपरेशन में तो छत्तीसगढ़ पुलिस की 2 टीम, ओडिशा पुलिस की 3 टीम और सीआरपीएफ की 5 टीम ने संयुक्त ऑपरेशन किया। ऐसी परिस्थिति में यदि माओवादी एक स्थान से दूसरे स्थान पर भागने की कोशिश करते हैं, तो फोर्स उन्हें दूसरी ओर से भी घेर लेती है। इस पूरी रणनीति को छत्तीसगढ़ से लगे ओडिशा, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीमा पर भी अपनाया जा रहा है।


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इसी रणनीति का परिणाम है कि वर्ष 2024 में जहां देशभर में 202 माओवादी ढेर हुए हैं, वहीं इनमें से केवल छत्तीसगढ़ में ही 194 माओवादियों को मार गिराया गया है। इसके अलावा वर्ष 2024 में ही छत्तीसगढ़ में 801 माओवादियों को गिरफ्तार भी किया गया है, वहीं 742 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ ने कुछ ऐसे मुकाम हासिल किए हैं, जो प्रदेश के ढाई दशकों के इतिहास में पहली बार हो रहा है।


बड़े माओवादी हो रहे ढेर, 13 करोड़ के माओवादी मारे गए


गरियाबंद में हुए मुठभेड़ में 1 करोड़ रुपये का इनामी कम्युनिस्ट आतंकी जयराम उर्फ चलपति मारा गया है। वहीं बीजापुर मुठभेड़ में 50 लाख रुपये का इनामी माओवादी दामोदर ढेर हुआ था।


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इसके अलावा छत्तीसगढ़ में बीते 13 महीनों में कई शीर्ष माओवादी आतंकी मारे गए हैं, जिनमें शंकर राव, दसरू, नीति, रणधीर, जोगन्ना जैसे माओवादी भी शामिल हैं, जिनपर लाखों रुपयों का इनाम घोषित था।


कई क्षेत्रों से हो रहा माओवादियों का सफाया


माओवादियों की कंपनी नंबर 6 को फोर्स ने लगभग खत्म कर दिया है। वहीं दूसरी ओर दंतेवाड़ा जिले में माओवादी संगठन की कमर ऐसी तोड़ी गई है कि यहां अब माओवादी सामने आने से भी कतरा रहे हैं।


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दंतेवाड़ा जिले में दरभा डिवीजन कमेटी सक्रिय थी, इसके अलावा कटेकल्याण, मलांगिर और इंद्रावती एरिया कमेटी भी सक्रिय थी, लेकिन इन क्षेत्रों के कई शीर्ष माओवादियों को फोर्स ने ढेर कर दिया है, जिसके चलते छोटे कैडर या तो गिरफ्तार हुए हैं, या सरेंडर कर चुके हैं।


बस्तर एवं कोंडागांव जिले में माओवादी सक्रियता लगभग नगण्य हो चुकी है। वहीं सुकमा, बीजापुर एवं नारायणपुर अभी भी चुनौती बन हुए हैं। नारायणपुर का अबूझमाड़ क्षेत्र माओवादियों का आधार क्षेत्र है, लेकिन बीते एक वर्षों में यहां 8 पुलिस कैंप खुल चुके हैं, जिसके बाद माओवादी यहां से भी भागने को मजबूर हुए हैं।