सोशल मीडिया पर क्यों ट्रेंड हो रहा #MaoistsAgainstMahashivratri ?

विश्वविद्यालय प्रशासन के मेस ने यह पुष्टि किया है कि परिसर में दो मेस का संचालन किया जा रहा है, जिसमें से केवल एक में ही सात्विक भोजन परोसा गया है, वहीं दूसरे मेस में सामान्य रूप से वेज-नॉनवेज भोजन उपलब्ध था। ऐसे में वामपंथी छात्रों के द्वारा सात्विक भोजन परोसे जा रहे मेस में ही मांस खाने और परोसने की जिद करना कहीं ना कहीं हिन्दू आस्था को अपमानित करने के लिए ही किया गया कृत्य था।

The Narrative World    27-Feb-2025   
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वामपंथी
, अर्थात कम्युनिस्ट भारत में जहां भी होते हैं, उनमें एक विचार समान रहता है कि 'हिंदू धर्म और हिन्दू आस्था को नीचा दिखाना है।' फिर चाहे वो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ऐसे नेता हो, जो मंत्रिमंडल में हो, या जेनएयू-जामिया-जाधवपुर में बैठे छात्र संगठन के 'छात्र नेता' हो। चाहे वो बस्तर के जंगलों में बैठे में नक्सल आतंकी हो, या बड़े शहरों में बैठे तथाकथित 'बुद्धिजीवी'


कुछ यही स्थिति भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कैंपस में भी दिखाई देती है, जिसका ताजा उदाहरण दिल्ली स्थित दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (SAU) से सामने आया है, जिसे लेकर सोशल मीडिया में एक हैशटैग ट्रेंड हो रहा है #MaoistsAgainstMahashivratri.


दरअसल कल बुधवार (26 फरवरी, 2025) महाशिवरात्रि का पर्व था, जो पूरे भारत में हिन्दू आस्था का एक बड़ा पर्व है। उत्तर से लेकर दक्षिण एवं पूर्व से लेकर पश्चिम तक यह पर्व मनाया जाता है। ऐसे में दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (SAU) में पढ़ने वाले कुछ छात्रों ने भी महाशिवरात्रि का पर्व अपनी आस्था से मनाने का निर्णय किया। ऐसे में विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों द्वारा व्रत कर सात्विक भोजन लेने की योजना बनाई।


लेकिन इन सब के बीच वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई (स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया) के लोगों ने व्रत कर रहे हिन्दू छात्रों को जबरन मांस खिलाने का प्रयास किया, जिसके बाद विश्वविद्यालय कैंपस में छात्रों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हुई। इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन को सामने आना पड़ा।


“मामले की जानकारी देते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की दिल्ली इकाई ने बताया कि महाशिवरात्रि के अवसर पर कुछ विद्यार्थियों ने मेस प्रशासन को पहले ही सात्विक भोजन की व्यवस्था करने का आग्रह किया था, जिसके बाद मेस प्रशासन ने 110 छात्रों की मांग पर उनके लिए उपवास वाला भोजन बनाया था। एबीवीपी के अनुसार विश्वविद्यालय में दो मेस हैं, जिनमें से एक में सात्विक भोजन एवं एक में सामान्य भोजन कि व्यवस्था की गई थी। लेकिन इसके बाद भी वामपंथी छात्रों ने व्रत कर रहे छात्रों के सामने ही मांस परोसने की कोशिश की, जिसका छात्रों ने विरोध किया। ”


एबीवीपी के अनुसार वामपंथी छात्रों ने ना सिर्फ जबरदस्ती की, बल्कि हाथापाई भी की। एबीवीपी का कहना है कि यह कुकृत्य ना सिर्फ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है, बल्कि विश्वविद्यालय के शांतिपूर्ण माहौल को दूषित करने का सुनियोजित प्रयास है।


वहीं इस मामले पर वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई का कहना है कि विश्वविद्यालय का मेस सभी विद्यार्थियों के लिए एक कॉमन क्षेत्र है, और यहां किसी भी एक समुदाय का भोजन बनाकर सभी को देना 'अलोकतांत्रिक' है और 'धर्मनिरपेक्षता' के विरुद्ध है।


मारपीट को लेकर उन्होंने एबीवीपी पर आरोप लगाए हैं, लेकिन यह भी कहा है कि महाशिवरात्रि पर एबीवीपी द्वारा 'नो-नॉनवेज' की मांग को नहीं मानने वालों के साथ मारपीट की गई है। हालांकि वामपंथी छात्र संगठन ने यह नहीं बताया कि सात्विक भोजन की मांग एबीवीपी ने नहीं, बल्कि 110 छात्रों ने की थी, जो विश्वविद्यालय के विद्यार्थी हैं।


इस विषय को बारीकी से देखें तो पता चलता है कि वामपंथी छात्रों द्वारा जानबूझकर हिंदुओं की आस्था का अपमान करने एवं हिंदुओं के पर्व का माखौल उड़ाने के उद्देश्य से यह कृत्य किया गया है।


विश्वविद्यालय प्रशासन के मेस ने यह पुष्टि किया है कि परिसर में दो मेस का संचालन किया जा रहा है, जिसमें से केवल एक में ही सात्विक भोजन परोसा गया है, वहीं दूसरे मेस में सामान्य रूप से वेज-नॉनवेज भोजन उपलब्ध था। ऐसे में वामपंथी छात्रों के द्वारा सात्विक भोजन परोसे जा रहे मेस में ही मांस खाने और परोसने की जिद करना कहीं ना कहीं हिन्दू आस्था को अपमानित करने के लिए ही किया गया कृत्य था।


वहीं इस मामले के सोशल मीडिया में सामने आते ही #MaoistsAgainstMahashivratri ट्रेंड करने लगा, जिसमें कुछ वीडियो भी सामने आए। इस वीडियो में वामपंथी छात्रों के बीच की एक छात्रा हाथापाई करती हुई नजर आ रही है।


#MaoistsAgainstMahashivratri हैशटैग के साथ यूजर पूछ रहे हैं कि 'ऐसे कृत्य को कैसे सहन किया जा सकता है।' एक यूजर ने लिखा है कि 'SFI 'फ्रीडम ऑफ चॉइस' के लिए खड़े होने का दावा करती है, लेकिन उपवास करने वाले छात्रों को मांसाहार खाने के लिए मजबूर करती है। SFI पाखंड अब चरम पर है।'