ओडिशा एक ऐसा राज्य है जहां लंबे समय तक ईसाई मिशनरियों ने स्थानीय समुदाय के साथ छल, कपट, बल, लोभ और अन्य माध्यमों से कन्वर्जन का रैकेट चलाया है, जिसके कारण यहां आंकड़ों में तो ईसाइयों की संख्या 3% से कम दिखती हैज़ लेकिन गांव-गांव में बने चर्च इस बात की गवाही देते हैं कि स्थानीय जनजातियों का धर्म बदल कर उन्हें क्रिश्चियन तो बना लिया गया है, लेकिन शासकीय दस्तावेजों में वो अभी भी सनातनी ही हैं।
ईसाई मिशनरियों के द्वारा किए जाने वाले अवैध कन्वर्जन के षड्यंत्रों को उजागर करती हुई एक फ़िल्म रिलीज हुई है, जिसका नाम है 'सनातनी : कर्मा ही धर्मा', जो उड़िया भाषा में बनाई गई है।
इस फ़िल्म का पहला ट्रेलर एक महीने पहले यूट्यूब में प्रसारित किया गया था। ट्रेलर में दिखे दृश्यों एवं संवादों से यह पता चलता है कि फ़िल्म में अवैध ईसाई कन्वर्जन के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया है, साथ ही यह भी बताने का प्रयास किया गया है कि 'कैसे ईसाई मिशनरियों के इस षड्यंत्र के कारण स्थानीय जनजतियो की परंपरा एवं संस्कृति बर्बाद हो रही है।'
उड़िया फ़िल्म निर्देशक बासुदेव द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म के कुछ हिस्सों में इस षड्यंत्र को भी उजागर करने का प्रयास किया गया है कि कैसे ईसाई मिशनरियों द्वारा स्थानीय जनजातियों को कन्वर्ट कराकर उनकी जमीनों पर कब्जा किया जाता है। वहीं दूसरी ओर जनजाति समाज की सनातन संस्कृति को तोड़ने और उसे बदलने की साजिश का भी पर्दाफाश किया गया है।
वैसे, जब भी देश के किसी भी हिस्से में ईसाई मिशनरियों, इस्लामिक जिहादियों या कम्युनिस्ट समूहों के काले करतूतों को उजागर करती हुई कोई फ़िल्म आती है, तो उसका विरोध भी किया जाता है। चाहे वो 'द कश्मीर फाइल्स' हो या ' द केरला स्टोरी' या 'बस्तर : द नक्सल स्टोरी' जैसी फ़िल्म हो। कुछ यही इस फ़िल्म के साथ भी देखने को मिल रहा है।
सबसे पहले तो कंधमाल में रहने वाले ईसाई समूह ने ओडिशाआ के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी को पत्र लिखकर फ़िल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की।
मुख्यमंत्री के बाद ईसाई मिशनरी समूह ने ओडिशाआ हाईकोर्ट का रुख किया और मांग की कि इस फ़िल्म की रिलीज पर रोक लगाई जाए। इस मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरिंदम सिन्हा एवं जस्टिस मृगांका शेखर साहू की खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए फ़िल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है।
फ़िल्म को सेंसर बोर्ड से पहले ही प्रमाणपत्र मिल चुका है और फ़िल्म अब शुक्रवार 7 फरवरी को रिलीज हो चुकी है। फ़िल्म में एक डायलॉग है जिसमें ईसाई समूह को कहा गया है कि "जब आप यहां आए थे तो आपके हाथ में एक बाइबिल थी और लोगों के पास अपनी जमीनें थी... अब तेरे हाथ में उनकी भूमि है और बाइबिल है।"