छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही सख्त कार्रवाई ने नक्सलियों को बैकफुट पर ला दिया है।
केंद्र और राज्य सरकारों की संयुक्त कोशिशों से नक्सलवाद को जड़ से मिटाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है।
भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे नक्सलियों की संख्या में कमी आई है और सुरक्षा बलों ने कई सफल ऑपरेशनों के जरिए उन्हें कमजोर किया है।
नक्सलियों की संख्या में कमी
भाजपा सरकार के आने के बाद छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हुई है।
पिछले 80 दिनों में सुरक्षा बलों ने 113 नक्सलियों को मार गिराया है, जिनमें से 91 केवल बीजापुर जिले में थे।
हाल ही में, 20 मार्च 2025 को बीजापुर और कांकेर जिलों में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में 30 नक्सलियों को मार गिराया गया, जिसमें सुरक्षा बलों की बहादुरी की प्रशंसा की गई।
अमित शाह का बयान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि "हमारा अभियान नक्सल मुक्त भारत" की दिशा में एक और बड़ी सफलता है।
उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार नक्सलियों के खिलाफ एक कठोर नीति अपनाए हुए है और जो नक्सली आत्मसमर्पण नहीं करते, उनके खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति लागू की जा रही है।
शाह ने यह भी आश्वासन दिया कि भारत 31 मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त हो जाएगा।
प्रमुख मुठभेड़ें
9 फरवरी 2025: बीजापुर जिले में एक बड़ी मुठभेड़ में 31 नक्सलियों को मार गिराया गया, जिसमें 11 महिलाएं भी शामिल थीं। यह छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन था।
20 मार्च 2025: बीजापुर और कांकेर जिलों में दो मुठभेड़ों में कुल 30 नक्सली मारे गए। इनमें से 26 नक्सली बीजापुर के गंगालूर क्षेत्र में मारे गए, जबकि चार कांकेर जिले में।
21 जनवरी 2025: गारीबंद जिले में एक मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों ने 16 नक्सलियों को मार गिराया, जिसमें एक वरिष्ठ नक्सली भी शामिल था।
पुनर्वास नीति
छत्तीसगढ़ सरकार ने आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए एक नई पुनर्वास नीति लागू की है, जो उन्हें वित्तीय सहायता, शिक्षा और रोजगार प्रदान करती है।
इस नीति के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों को आत्मनिर्भरता के लिए विशेष योजनाएं दी जाएंगी, ताकि वे समाज में पुनः स्थापित हो सकें।
इसके अलावा, नक्सली हिंसा के शिकार लोगों को भी राहत और पुनर्वास सहायता मिलेगी।
निष्कर्ष
भारत सरकार द्वारा उठाए गए ठोस कदमों से यह स्पष्ट होता है कि नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में है।
सुरक्षा बलों की बहादुरी और सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति ने इस समस्या को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आने वाले समय में, यदि ये प्रयास इसी तरह जारी रहे, तो छत्तीसगढ़ जल्द ही एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण प्रदेश बन सकता है।