चीन का इंटरनेट अपराध और डेटा चोरी वैश्विक चिंता का विषय है। चीनी कंपनियां और सरकारी अधिकारी लगातार उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारी चुरा रहे हैं।
चीनी कंपनियों के कर्मचारी और अधिकारी निजी डेटा चुराकर काले बाजार में बेचते हैं। इसमें सरकारी अधिकारी और आम नागरिक दोनों प्रभावित होते हैं।
अमेरिका ने हाल ही में चीन के एक प्राइवेट हैकिंग ग्रुप के बारह लोगों पर साइबर अपराध के आरोप लगाए हैं।
चीनी सरकार निजी कंपनियों को पैसे देकर साइबर हमले करवाती है, जिससे वह सीधे तौर पर दोषी न दिखे।
टेलीकॉम और रक्षा क्षेत्र से चीन ने कई बार महत्वपूर्ण डेटा चोरी किया है। कई सरकारी अधिकारी और आम लोग इसका शिकार बने हैं।
2024 में, चीन में टेलीकॉम और साइबर धोखाधड़ी के 67,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए। इससे पता चलता है कि यह समस्या बढ़ रही है।
चीन के साइबर अपराधों के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उस पर कानूनी कार्यवाही की जा रही है। इससे उसकी छवि को नुकसान पहुंचा है।
चीनी साइबर अपराधियों ने अमेरिका समेत कई देशों में सरकारी और निजी डेटा चुराने की घटनाओं को अंजाम दिया है।
चीनी प्रशासन ने एक प्रमुख राइड-हेलिंग कंपनी पर $1.2 बिलियन का जुर्माना लगाया, क्योंकि वह गैरकानूनी तरीके से डेटा इकट्ठा कर रही थी।
चीन में ही पुलिस ने 7,000 से अधिक मामलों में जांच की और कई प्लेटफार्मों को बंद किया जो निजी डेटा बेच रहे थे।
चीन की टेलीकॉम कंपनियां इंटरनेट निगरानी प्रणाली का उपयोग कर लोगों की निजी जानकारी इकट्ठा करती हैं।
चीन की साइबर धोखाधड़ी नीति संगठित अपराध की तरह चलती है, जहां सरकारी समर्थन से अपराधी अपने कार्य को अंजाम देते हैं।
चीन की इन हरकतों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर सुरक्षा को कमजोर किया है और कई देशों को इससे खतरा है।
चीन की कंपनियों को लेकर कई देशों ने नए कानून बनाए हैं, ताकि उनकी इंटरनेट धोखाधड़ी को रोका जा सके।
अमेरिका, यूरोप और भारत ने चीन की कंपनियों पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर हो रही हैं।
“चीनी साइबर हमलों के कारण दुनिया की कई बड़ी कंपनियां चीन से अपने व्यवसाय को हटाने पर विचार कर रही हैं।”
अंतरराष्ट्रीय अदालतों में चीन के साइबर अपराधों को लेकर कई मुकदमे चल रहे हैं, जिससे उसकी छवि और खराब हो रही है।
चीन की डेटा चोरी और साइबर अपराध की घटनाओं के कारण, दुनिया के कई देश अब अपनी साइबर सुरक्षा मजबूत कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की इन गतिविधियों से उसकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा।
कम्युनिस्टों की चीन का हमेशा से ये ही रवईया रहा है, अगर इसे रोका नहीं गया तो विश्व के लिए ये एक बहुत बड़ी दिक्कत बन सकता है ।