बंगाल में इस्लामी जिहाद का आतंक और ममता की खामोशी

सवाल उठता है कि क्या ममता चाहती हैं कि बंगाल में मुस्लिम भीड़ इतना दबदबा बना ले कि यहां हिंदुओं की कोई आवाज न बचे?

The Narrative World    13-Apr-2025   
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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध की आड़ में जो हिंसा हुई, वह सिर्फ कानून का विरोध नहीं, बल्कि हिंदू समाज पर सीधा हमला है।
 
मुस्लिम बहुल इलाकों में शुक्रवार की जुमे की नमाज के बाद सती और शमशेरगंज में मुस्लिम भीड़ ने सड़कों पर उतरकर न सिर्फ ट्रेन सेवाएं ठप कर दीं, बल्कि सरकारी दफ्तरों, हिंदू घरों, मंदिरों और दुकानों को भी निशाना बनाया।
 
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इस हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें दो हिंदू मूर्ति निर्माता पिता-पुत्र की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी।
 
पुलिस पर बमबाजी, आगजनी और हमलों में 15 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
 
138 से ज्यादा उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन हिंसा की भयावहता को देखते हुए यह संख्या नाकाफी है।
 
सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह हिंसा सिर्फ पश्चिम बंगाल में क्यों हो रही है?
 
जब यही कानून पूरे देश में लागू है, तब त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर में हल्की झड़पों के अलावा अन्य राज्यों में शांति बनी रही।
 
लेकिन बंगाल में हालात बेकाबू क्यों हो रहे हैं?
 
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इसका सीधा जवाब ममता बनर्जी सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति है।
 
मुख्यमंत्री ममता ने बयान जारी कर दिया कि राज्य में वक्फ कानून लागू नहीं होगा, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि दंगाइयों पर सख्ती क्यों नहीं हो रही।
 
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सवाल उठता है कि क्या ममता चाहती हैं कि बंगाल में मुस्लिम भीड़ इतना दबदबा बना ले कि यहां हिंदुओं की कोई आवाज न बचे?
 
क्या वह बंगाल को 'ईस्ट बांग्लादेश' बनाने की कोशिश में हैं, जहां भारत का संविधान नहीं, मजहबी जुनून चलेगा?
 
सती क्षेत्र में एक हिंदू व्यापारी दंपत्ति की मिठाई की दुकान 'सुभ स्मृति होटल' को पूरी तरह तोड़ दिया गया।
 
श्री हरि हिंदू होटल एंड लॉज को निशाना बनाया गया।
 
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दुकानों को लूटा गया, मंदिरों में तोड़फोड़ की गई, और कई हिंदू परिवारों के घरों में घुसकर बाइक, टीवी, फर्नीचर तक लूट लिया गया।
 
मुर्शिदाबाद के जिहादी अब खुलेआम कह रहे हैं - "हम दीदी की दया पर नहीं, दीदी हमारी दया से सत्ता में हैं।"
 
दंगाइयों के सहारे सत्ता चलाना ऐसा ही है जैसे रैबीज से ग्रस्त पागल कुत्तों के भरोसे सुरक्षा की उम्मीद करना।
 
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एक पीड़ित महिला ने बताया, "हम पूरी रात भगवान से प्रार्थना करते रहे कि कुछ अनहोनी न हो। मेरी बेटी की जान खतरे में थी।भीड़ सामने के गेट से न घुस पाई तो पीछे के रास्ते से आने की कोशिश की।"
 
अस्पताल ले जा रही एंबुलेंस को भी नहीं बख्शा गया। ड्राइवर की पिटाई कर गाड़ी को जला दिया गया।
 
यह साफ दर्शाता है कि भीड़ का मकसद सिर्फ प्रदर्शन नहीं, बल्कि डर और आतंक फैलाना था।
 
विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने NIA जांच की मांग की है।
 
हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार की विफलता पर सख्त टिप्पणी की है।
 
लेकिन क्या सिर्फ जांच से सब कुछ ठीक हो जाएगा?
 
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जब तक ममता सरकार की मुस्लिम कट्टरपंथियों को छूट देने वाली नीति पर रोक नहीं लगेगी, तब तक बंगाल सुलगता रहेगा।
 
वक्फ कानून का उद्देश्य देश की संपत्ति को सुरक्षित रखना है, न कि किसी धर्म को निशाना बनाना।
लेकिन जो लोग खुद को संविधान से ऊपर मानते हैं, वे देश के कानून को भी जलाकर राख कर देना चाहते हैं। और ममता बनर्जी जैसे नेता इस आग को हवा दे रहे हैं।
 
आज जरूरत है कि पूरे देश को यह समझाया जाए कि वक्फ कानून सिर्फ पारदर्शिता और ईमानदारी का जरिया है।
 
लेकिन पश्चिम बंगाल में इस कानून के बहाने जो आग लगी है, वह भारत के खिलाफ एक गहरी साजिश का हिस्सा लगती है।
 
और इस साजिश के पीछे खड़ा है एक वोटबैंक, जिसके बल पर ममता बनर्जी सत्ता में बनी रहना चाहती हैं, भले ही उसके लिए राज्य का सौहार्द क्यों न जल जाए।