झारखंड : सोरेन सरकार में जनजाति समाज के विरुद्ध षड्यंत्र; लव, लैंड और पॉलिटिकल जिहाद

22 Oct 2024 15:04:12

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कुछ समय पूर्व असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने झारखंड में एक बयान देते हुए कहा था कि यहां की जनजाति बेटियों को बांग्लादेशी घुसपैठियों से बड़ा खतरा है। इस बयान के बाद तरह
-तरह की चर्चाएं हुई, लेकिन किसी ने भी इसके तह तक जाने का प्रयास नहीं किया, यही कारण है कि आज भी झारखंड में जनजाति बेटियां इस्लामिक जिहादियों और घुसपैठियों के निशाने पर बनी हुई हैं।


मई के माह में एक जिहादी युवक ने जनजाति युवती की अस्मिता पर हाथ डालने का प्रयास किया था, बावजूद इसके झारखंड की सोरेन-कांग्रेस की गठबंधन सरकार सोई हुई थी। इस घटना में जामताड़ा की एक जनजाति युवती तालाब में स्नान कर रही थी, उसी दौरान सरफराज अंसारी नामक एक इस्लामिक जिहादी ने अपने एक अन्य जिहादी साथी के साथ मिलकर जनजाति युवती के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया था।


युवती ने जब चीख-पुकार मचाई तो दोनों इस्लामिक जिहादियों ने युवती के मुंह में हाथ डालकर उसकी जीभ खींच डाली और बुरी तरह से उसके साथ मारपीट की। आरोपी जिहादियों को तो हिरासत में ले लिया गया, लेकिन स्थानीय जनजाति समाज में अत्यधिक आक्रोश था।


दरअसल यह कोई पहला मौका नहीं था जब झारखंड में जनजातियों पर इस्लामिक जिहादियों ने इस तरह से अत्याचार किया है, इससे पहले जनजाति समाज की बेटियों को चिन्हित कर जिहादी निशाना बना रहे हैं। जिस तरह देश के विभिन्न हिस्सों में लव जिहाद का षड्यंत्र इन जिहादियों ने रच रखा है, ऐसी ही चाल इन्होंने झारखंड के जनजाति क्षेत्रों में भी चली है।


“झारखंड का रुबिका हत्याकांड अभी भी देश ने नहीं भूला है, जिसमें साहिबगंज जिले में इस्लामिक जिहादी दिलदार अंसारी ने जनजाति युवती रुबिका पहाड़िन की हत्या कर उसके 50 टुकड़े कर दिए थे। इस केस का मुख्य आरोपी दिलदार अंसारी पहले से ही विवाहित था, लेकिन उसने रुबिका को लव जिहाद में फंसाकर हत्या स डेढ़ माह पूर्व ही निकाह किया था।”


झारखंड जैसे जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में मुस्लिमों के द्वारा लव जिहाद कर भोली-भाली जनजाति युवतियों को फंसाया जा रहा है। राज्य में जिहादी तत्वों की गतिविधियों में बढ़ोतरी हो रही है, वह चिंतनीय है।


एक रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में मुस्लिम युवाओं के द्वारा जनजाति युवतियों को प्रेम जाल में फंसाने से लेकर, दुष्कर्म, लव जिहाद और भूमि जिहाद के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।


जिस साहिबगंज के बोरियो क्षेत्र में रुबिका पहाड़िन की निर्मम हत्या की घटना हुई थी, उसी क्षेत्र में एक वर्ष के भीतर तकरीबन 100 मुस्लिम युवकों ने स्थानीय जनजाति युवतियों से निकाह किया था, जो क्षेत्र में बढ़ती लव जिहाद की घटना को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है।


मुस्लिम युवकों के द्वारा जनजाति युवती को लव जिहाद में फंसाकर उनके 'अनुसूचित जनजाति' के दर्जे का भी दुरुपयोग किया जा रहा है। दरसअल मुस्लिम युवक इन जनजाति युवतियों से निकाह कर उनकी जमीनों पर अपना अधिकार जमा लेते हैं।


चूंकि क्षेत्र की जनजातियां कृषि पर निर्भर है, अतः उनके पास भूमि की पर्याप्तता है, यही कारण है कि मुस्लिमों के द्वारा जनजाति युवतियों को निशाना बनाया जा रहा है। इसके अलावा जनजाति नागरिकों की भूमि को लेकर यह नियम भी है कि इन्हें केवल जनजाति नागरिकों के द्वारा ही खरीदा जा सकता है, ऐसी परिस्थितियों का भी फायदा उठाकर मुस्लिमों के द्वारा जनजाति युवतियों के नाम पर जमीन खरीदने के लिए उन्हें 'प्रेम जाल' में फंसाया जा रहा है।


वर्तमान स्थिति ऐसी हो चुकी है कि क्षेत्र की विभिन्न जनजाति भूमि ऐसे लोगों के हाथों में जा चुकी है जो जनजाति तो नहीं हैं, लेकिन उन्होंने षड्यंत्रपूर्वक 'लैंड जिहाद' के माध्यम से जमीनों को अपने नाम कर लिया है।


मुस्लिमों के द्वारा रचे जा रहे इस लव जिहाद और लैंड जिहाद के षड्यंत्र को प्रमुख रूप से ऐसे स्थानों में अंजाम दिया जा रहा है, जो जनजाति बाहुल्य है। दरसअल ऐसे स्थानों में जनजातियों के लिए चुनावी राजनीति में शामिल होने के लिए कुछ सीटें आरक्षित होती हैं, जिसमें पंचायत से लेकर लोकसभा की सीट भी शामिल है।


“मुस्लिम युवक जनजाति किशोरियों एवं युवतियों को प्रेम जाल में फंसाकर उनसे निकाह करते हैं, और कई बार यह निकाह केवल दिखावटी होता है। इसके बाद क्षेत्र में पंचायत चुनाव में आरक्षित सीटों पर (मुख्यतः जनजाति महिला आरक्षित सीट) उनकी पात्रता का फायदा उठाकर उन्हें चुनाव लड़वाया जाता है, और उनकी राजनीतिक शक्तियों का इस्तेमाल इस्लामिक जिहादी तत्व करते हैं। यह किसी 'पॉलिटिकल जिहाद' से कम नहीं है, जहाँ राजनीतिक सत्ता के लिए जिहादी षड्यंत्रों का प्रयोग किया जा रहा है।”


इसका एक बड़ा उदाहरण है रांची के नगरी प्रखंड के टूंडुल उत्तरी पंचायत की मुखिया नीलम तिग्गा। वो बीते कई वर्षों से ग्राम की प्रधान हैं, जिसने वर्ष 2003 में यूनुस अंसारी से प्रेम विवाह किया था।


स्थानीय सूत्रों के अनुसार नीलम तिग्गा ने निकाह के बाद सार्वजनिक रूप से इस्लाम नहीं अपनाया, लेकिन उसे कभी किसी सरना स्थली में पूजा करते नहीं देखा गया, जबकि मौलवी से उसने कलमा जरूर सीख लिया।


स्थानीय लोगों का कहना है कि वह व्यवहारिकता में तो इस्लाम का ही पालन करती है, लेकिन अनुसूचित जनजाति होने की पात्रता का लाभ उठाने के लिए उसने दस्तावेजों में अभी भी खुद का मत परिवर्तन नहीं कराया है।


दरसअल झारखंड समेत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान समेत विभिन्न हिस्सों में जनजाति बेटियों को लक्षित कर इस्लामिक जिहादियों द्वारा षड्यंत्र रचा जा रहा है, जिसके उदाहरण जामताड़ा या साहिबगंज जैसे घटनाओं के माध्यम से सामने आते रहे हैं। यहाँ लव जिहाद भी हो रहा है और लैंड जिहाद भी हो रहा है, और तो और पॉलिटिकल जिहाद भी किया जा रहा है।


इन जिहादी गतिविधियों को लेकर जनजाति समाज के भीतर भी गहरी नाराजगी है, और समाज के भीतर चल रहे इस अतिक्रमण को रोकने के लिए योजना भी बनाई जा रही है। हालांकि इन सब के बीच सबसे आवश्यक है जनजाति बेटियों को इन सरफ़राज़ और दिलदार अंसारी जैसे 'नरपिशाचों' से बचाना जो अपनी जिहादी मानसिकता के साथ हमारे समाज के भीतर पल-बढ़ रहे हैं।

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