छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बल के जवानों के द्वारा चलाये जा रहे आक्रामक अभियानों के बाद माओवादी ना सिर्फ बौखलाए हुए हैं, बल्कि माओवादी संगठन की पकड़ भी ढीली हो गई है।
यही कारण है कि बीते कुछ समय से माओवादी बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में अपना भय कायम रखने तथा स्थानीय जनजातियों को दबाने के लिए आम ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं।
माओवादियों ने ऐसे ही एक वारदात को मंगलवार 22 अक्टूबर की शाम को अंजाम दिया है। माओवादी आतंकियों ने दंतेवाड़ा जिले के हिरोली गांव में एक स्थानीय जनजाति युवक पर जानलेवा हमला किया है, जिसके चलते युवक गंभीर रूप से घायल है। घायल युवक को उपचार के लिए जगदलपुर के डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया है।
माओवादी आतंकियों ने जिस जनजाति युवक पर हमला किया है, उसका नाम लक्ष्मण कुंजाम है, जो हिरोली गांव का ही निवासी है। लक्ष्मण कुंजाम का भाई देवा कुंजाम दंतेवाड़ा डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) में पदस्थ है।
मिली जानकारी के अनुसार माओवादी हिरोली गांव में डीआरजी जवान देवा कुंजाम को मारने पहुँचे थे, और इसी दौरान उन आतंकियों ने उसके भाई को मारने की कोशिश की।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मंगलवार की देर रात करीबन 10 माओवादी गांव में पहुँचे और उन्होंने लक्ष्मण के घर के सामने डेरा जमाया। इसके बाद घर के बाहर से ही माओवादी देवा को आवाज लगाने लगे, जिसके बाद लक्ष्मण ने घर का दरवाजा खोला और माओवादी उस पर ही टूट पड़े।
माओवादियों ने लक्ष्मण पर धारदार हथियारों से वार किया, जिसके चलते लक्ष्मण बुरी तरह से घायल होकर गिर पड़ा। अधमरे स्थिति में लक्ष्मण को देखकर माओवादियों ने उसे मृत समझा और फिर माओवादी जंगल की ओर भाग निकले।
वहीं दूसरी ओर जनजाति युवक के परिजनों ने तत्काल पुलिस को इस घटना की सूचना दी और घायल युवक को दंतेवाड़ा अस्पताल लेकर गए, जहां से उसे जगदलपुर अस्पताल में रेफर किया गया। पुलिस ने इस मामले में कहा कि उन्हें घटना की सूचना मिली है, और पूरे मामले की जांच की जा रही है।
थुलथुली मुठभेड़ से बौखलाए माओवादी
दरअसल हाल ही में इसी माह की शुरुआत में फोर्स ने आक्रामक अभियान चलाते हुए अबूझमाड़ के जंगल में 38 माओवादियों को मार गिराया है। यह भारत में माओवादियों के विरुद्ध सबसे सफल अभियान है, जिसमें माओवादी संगठन को सबसे बड़ा झटका लगा है। माओवादी आतंकी संगठन की कंपनी नम्बर 6 इस मुठभेड़ में पूरी तरह से खत्म हो गई है।
इस मुठभेड़ के बाद माओवादी आतंकी पूरी तरह से बैकफुट पर हैं, और उनका भय भी धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। यही कारण है कि माओवादी आम ग्रामीणों, जवानों के परिजनों और अंदरूनी क्षेत्र के जनजातियों को निशाना बना रहे हैं।
हालांकि जिस तरह से फोर्स ने बीते 10 महीने में 200 से अधिक माओवादियों को ढेर किया है, उससे यह स्पष्ट है कि माओवादी आतंकी संगठन का अंतिम समय आ गया है।