माओवाद को खत्म करने के लिए 'शाह रणनीति', छत्तीसगढ़ मॉडल से मिलेगी सफलता

08 Oct 2024 10:59:33

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जनवरी 2024 में जब पहली बार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को लेकर की गई बैठक के बाद कहा था कि 3 साल के भीतर ही देश से नक्सलवाद खत्म हो जाएगा।


इस घोषणा के बाद ऐसा लगा था कि यह कोई राजनीतिक बयान हो सकता है, क्योंकि माओवादियों की 4 दशकों की जड़ों को 3 साल के भीतर खत्म करना कोई आसान काम नहीं लग रहा था।


लेकिन इसके बाद जिस तरह से अमित शाह की रणनीति के तहत छत्तीसगढ़ की सरकार ने माओवादी आतंकवाद से निपटने के लिए ऑपरेशन लॉन्च किए, उसने माओवादियों की जड़ों को ऐसे हिलाया कि शाह ने अपने अगले छत्तीसगढ़ दौरे में माओवादी आतंक के खात्मे को लेकर सीधी एक डेडलाइन भी घोषित कर दी।


अगस्त 2024 में अमित शाह ने घोषणा की कि मार्च 2026 तक देश माओवादी आतंक से मुक्त हो जाएगा। वहीं केंद्रीय गृहमंत्रालय ने लगातार नक्सल उन्मूलन के लिए रणनीतियां बनाई और फोर्स को मजबूत किया।


इन्हीं रणनीतियों की समीक्षा करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार 7 अक्टूबर को माओवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक ली। इस बैठक में 8 राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए।

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बैठक में अमित शाह ने कहा कि जिस तरह उत्तर-पूर्व एवं कश्मीर के 13000 से अधिक युवाओं ने उग्रवाद-आतंकवाद का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होना चुना, वैसे ही नक्सलियों को भी सरेंडर कर विकास की मुख्यधारा से जुड़ना चाहिए।


अमित शाह ने आंकड़ें रखते हुए कहा कि माओवादी आतंक संबंधित हिंसा की घटनाएं 16,463 से घटकर 7,700 हो गई हैं। यह संख्या अगले साल और कम हो जाएगी। नागरिकों और सुरक्षाबलों की मौत में भी 70% से अधिक की कमी आई है।


केंद्रीय गृहमंत्री ने बताया कि वर्ष 2019 से पहले नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ऑपरेशन के लिए सिर्फ दो हेलिकॉप्टर तैनात थे, लेकिन आज इसकी संख्या बढ़कर 12 हो गई है। इसमें सीमा सुरक्षा बल (BSF) के 6 और वायु सेना के 6 हेलिकॉप्टर शामिल हैं, जो इन क्षेत्रों में सुरक्षाकर्मियों की मदद के लिए हैं।

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इस बैठक की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि अमित शाह ने माओवादी आतंक से निपटने के लिए उस राज्य को रोल मॉडल की तरह पेश किया, जो माओवादी आतंक से सबसे अधिक प्रभावित है।


केंद्रीय गृहमंत्री ने छत्तीसगढ़ की तारीफ करते हुए कहा कि 'छत्तीसगढ़ में मिल रही सफलता हम सभी के लिए प्रेरणा है।' उन्होंने हाल ही में नारायणपुर के थुलथुली में हुए नक्सल एनकाउंटर को लेकर भी छत्तीसगढ़ी सरकार की सराहना की।


दरअसल जनवरी में अमित शाह की बनाई रणनीति के बाद छत्तीसगढ़ में पुलिस, जिला बल और पैरामिलिट्री फोर्स के शीर्ष अधिकारियों की समन्वय बैठकें होने लगी, जिससे फोर्स के बीच आपसी तालमेल बढ़ा और इंटेलिजेंस इनपुट्स साझा की जाने लगी। इन सब के बीच छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने माओवादियों को खत्म करने के लिए ऑपरेशन लॉन्च किए, जिसमें उन्हें अभूतपूर्व सफलता मिली।


“मार्च में शुरू हुए बड़े अभियानों के बाद अक्टूबर तक बीते महीनों में 14 बड़े मुठभेड़ हुए, जिसमें बड़ी संख्या में माओवादी ढेर हुए। इन मुठभेड़ों में भी कुछ मुठभेड़ ऐसे रहे हैं, जिसने माओवादियों को बड़ा झटका दिया है। जैसे 2 अप्रैल को बीजापुर में हुए मुठभेड़ में 13 माओवादी मारे गए, और इसके ठीक बाद 15 अप्रैल को कांकेर में 29 माओवादियों को फोर्स ने मार गिराया था। वहीं मई के महीने में बीजापुर में 12 माओवादियों को ढेर किया गया था, और जुलाई में छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र की सीमा पर 12 माओवादी मारे गए थे।”

लेकिन इन सब के बीच वर्तमान में बीते 4 अक्टूबर को हुए मुठभेड़ जो 31 माओवादी मारे गए हैं, उसने तो माओवादियों की पूरी एक कंपनी को ही खत्म कर दिया है। इस मुठभेड़ में माओवादी आतंकी संगठन के पीएलजीए की कंपनी नंबर 6 शामिल थी, जिसमें कुल 50 माओवादी थे। मुठभेड़ में फोर्स ने 31 माओवादियों को मार गिराया है, वहीं 10 से अधिक माओवादी घायल हो चुके हैं, जिसके बाद यह पूरी कंपनी ही लगभग-लगभग खत्म होने चुकी है।


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वर्ष 2024 में जहां देशभर में 202 माओवादी ढेर हुए हैं, वहीं इनमें से केवल छत्तीसगढ़ में ही 194 माओवादियों को मार गिराया गया है। इसके अलावा इसी वर्ष छत्तीसगढ़ में 801 माओवादियों को गिरफ्तार भी किया गया है, वहीं 742 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ ने कुछ ऐसे मुकाम हासिल किए हैं, जो प्रदेश के ढाई दशकों के इतिहास में पहली बार हो रहा है।


माओवादी आतंकवाद के खात्मे को लेकर प्रदेश की सरकार जितनी गंभीर दिखाई दे रही है, तथा जमीन में उसके परिणाम भी दिख रहे हैं, इसी का परिणाम है कि केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा पूरे आत्मविश्वास के साथ यह दावा किया जा रहा है कि माओवादी आतंक को मार्च 2026 तक पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा।

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