ट्रंप के आने से घबराया चीन, अब भारत से चाहता है अच्छे संबंध

21 Nov 2024 11:18:38

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हाल ही में हुए अमेरिकी चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप को अभूतपूर्व जीत हासिल हुई है
, जिसके बाद अमेरिका समेत पूरे विश्व में अब एक बार फिर वर्ष 2016-20 के बीच की परिस्थितियों की पुनरावृत्ति को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।


वैश्विक मीडिया से लेकर भारतीय मीडिया में भी इस विषय को लेकर चर्चा हो रही है, जिसके केंद्र में अमेरिका और चीन के संबंध और ट्रेड वॉर की बातें शामिल हैं। यही कारण है कि अब चीन के भीतर भी उसके वैश्विक व्यापार को लेकर कई तरह की शंकाएं देखने को मिल रही है।


ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि सत्ता पर बैठते ही डॉनल्ड ट्रंप चीन के विरुद्ध एक बार फिर 'ट्रेड वॉर' शुरू कर सकते हैं, जिसके बाद चीन की डगमगाती हुई अर्थव्यवस्था धराशायी हो सकती है।


यही कारण है कि चीन ने हाल ही में अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आर्थिक पैकेज जारी किए हैं, लेकिन ये किसी काम आएंगे, ऐसा प्रतीत होता दिखाई नहीं दे रहा है।


दरअसल डॉनल्ड ट्रंप की जीत को लेकर कई तरह के अनुमान पिछले कुछ महीनों से लगाए जा रहे थे, जिसके कारण चीन में एक हलचल मची हुई थी।


यही कारण है कि ट्रंप को लेकर चीनी अर्थव्यवस्था में पड़ने वाले दबाव को कम करने के लिए अब चीन भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है, साथ ही भारत से संबंधों को सुधारने में लग गया है।


ट्रंप ने जिस तरह राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान चीन से आयातित माल पर 60 प्रतिशत का टैरिफ शुल्क का प्रस्ताव रखा था, जिससे चीन पूरी तरह से घबरा चुका है।


इस पूरे विषय को लेकर अमेरिका-भारत सामरिक एवं साझेदारी मंच के अध्यक्ष मुकेश अघी का भी कहना है कि 'हम ट्रंप प्रशासन के आने से पहले ही प्रभाव देख रहे हैं, जिसने चीन पर भारत के साथ संबंधों को बेहतर करने का दबाव बनाया है।'


मुकेश अघी कहते हैं कि भारत-चीन सीमा पर गश्ती पर सहमति बननी हो या सीधी उड़ानों को लेकर बातचीत होना हो, इन सभी घटनाक्रमों का सम्बंध अमेरिका में ट्रंप के आने से है, जिसके बाद चीन दबाव महसूस कर रहा है।


भारत-अमेरिका के संबंधों पर विशेष नजर रखने वाले मुकेश अघी का कहना है कि ट्रंप की जीत से भारत और चीन के सम्बंधों में नई दिशा देखने को मिली है, जो सकारात्मक है। आने वाले समय में चीन की ओर से भारत को लेकर और नरमी दिखने की सम्भावना है।


दरअसल जिस तरह से ट्रंप का फोकस अब चीन से 'मैन्युफैक्चरिंग हब' के टाइटल को खत्म करना और वहां से उत्पादन को अमेरिका में लाने की ओर है। ट्रंप इसे अमेरिका ने नए रोजगार सृजन के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे लेकर अमेरिकी नागरिकों में भी इस विचार को लेकर समर्थन है।


अमेरिकी कांग्रेस की एक समिति ने भी यह सिफारिश कर दी है कि चीन के साथ अपने व्यापार सम्बंधों को अमेरिका कड़ा करें, एवं अपने उस फैसले पर भी पुनर्विचार करे जिसके तहत अमेरिका ने चीन के आर्थिक वृद्धि में सहायता की थी।


ट्रंप के इस कड़े रुख का अंदाजा चीनी कम्युनिस्ट सरकार को पहले से ही था, यही कारण है कि ट्रम्प के चुनाव जीतने की संभावना दिखते ही चीन ने भारत के साथ संबंधों को बेहतर करना शुरू कर दिया।


जून 2020 में गलवान घाटी में हुई घटना के बाद से ही भारत ने चीन के विरुद्ध सामरिक, राजनयिक एवं व्यापारिक दृष्टि से कड़े कदम उठाए थे, जिसके चलते चीनी व्यापार को भारत में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा था।

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