कांग्रेस-कम्युनिस्ट इकोसिस्टम द्वारा 'फर्जी मुठभेड़' का नैरेटिव

20 Dec 2024 11:45:03

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जब भी कोई सशक्त सरकार आक्रामकता एवं मजबूती से माओवादियों को खत्म करने का प्रयास करती है
, तब कांग्रेस पार्टी और उसका कम्युनिस्ट इकोसिस्टम इसे रोकने में लग जाता है।


केंद्र में वर्ष 2014 में भाजपा की सरकार आने के बाद से ही माओवादियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की योजना बननी शुरू हो गई थी, जिसके बाद से देखा जा रहा है कि केंद्रीय सुरक्षा बल माओवाद से प्रभावित क्षेत्रों में आक्रामक कार्रवाइयां कर रहीं हैं।


वहीं वर्ष 2023 में छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की सरकार बनने के बाद ये कार्रवाइयां और तेज हो गईं हैं। केवल वर्ष 2024 में ही फोर्स ने 225 से अधिक माओवादियों को ढेर किया है, जो अब तक के इतिहास में सर्वाधिक है।


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लेकिन इन सब के बीच कांग्रेस पार्टी और उसका कम्युनिस्ट इकोसिस्टम पुनः माओवादी आतंकवाद को खत्म करने की दिशा में रोड़ा अटकाने का काम कर रहा है। कांग्रेस पार्टी द्वारा हर मुठभेड़ के बाद फोर्स के एक्शन पर सवाल उठाए जा रहे हैं, वहीं मारे गए माओवादियों के प्रति सहानुभूति रखते हुए उन्हें ग्रामीण बताया जा रहा है।


ताजा घटना के अनुसार बीते 12 दिसंबर को सुरक्षा बल के जवानों और माओवादियों के बीच अबूझमाड़ के जंगल में मुठभेड़ हुई, जिसमें 40 लाख रुपये के इनामी 7 माओवादी ढेर हुए।


मारे गए माओवादियों में माओवादी आतंकी संगठन का ओडिशा स्टेट कमेटी मेंबर रामचंद्र उर्फ कार्तिक भी शामिल था, जिसपर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित था। फोर्स ने मुठभेड़ में ढेर हुए माओवादियों के पास से भारी मात्रा में बंदूक एवं अन्य हथियार भी बरामद किए थे।


“इतनी बड़ी मुठभेड़ होने और सभी तथ्यों को सामने रखने के बाद भी इन माओवादी आतंकियों के लिए कांग्रेस पार्टी सहानुभूति दिखा रही है, और फोर्स के द्वारा अपने जान को जोखिम में डाल कर किए गए ऑपरेशन को 'फर्जी मुठभेड़' बता रही है, जो ना सिर्फ कांग्रेस की ओछी राजनीति को प्रदर्शित करता है, बल्कि इस ओर भी इंगित करता है कि कहीं ना कहीं कांग्रेस और कम्युनिस्ट इकोसिस्टम ही माओवादियों के लिए 'ऑक्सीजन सेंटर' है, जहां से माओवादियों को देश में अस्थिरता लाने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।”


अबूझमाड़ में हुए इस एनकाउंटर के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने मुठभेड़ पर संदेह जताते हुए कहा कि 'जब फोर्स माओवादियों से लड़ रही थी, तो बच्चे कैसे घायल हो गए।' भूपेश बघेल ने परोक्ष रूप से यह आरोप लगाया है कि निर्दोष जनजातियों को फोर्स द्वारा नुकसान पहुंचाया जा रहा है।


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वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने एक कदम आगे बढ़कर पूरी तरह वही बात कही, जो माओवादी कहना चाह रहे हैं। माओवादी स्थानीय ग्रामीणों पर दबाव डालकर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं कि मुठभेड़ में मारे गए 7 माओवादियों में से 5 ग्रामीण थे, और इसी बात को दीपक बैज ने भी कहा है।


कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि फोर्स ने जिनका एनकाउंटर किया है, उसमें केवल 2 ही माओवादी थे, बाकी 5 ग्रामीण थे। माओवादियों ने जो प्रेस नोट में लिखा था, बैज ने उसी बात को दोहराया है, यह ठीक वैसा ही है कि दोनों के 'सलाहकार' एक ही हैं।


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अब बात आती है मुठभेड़ के बीच बच्चों के घायल होने की, तो इसकी सच्चाई यह है कि माओवादियों ने मुठभेड़ के बीच पुलिस से बचने के लिए और अपनी जान की रक्षा के लिए स्थानीय जनजातीय ग्रामीणों को ढाल बनाने का प्रयास किया।


माओवादियों ने नाबालिग अबुझमाड़िया बच्चों को 'मानव ढाल' के रूप में उपयोग किया, जिसके चलते उन बच्चों को भी मुठभेड़ में गोली लगी। सिर्फ इतना ही नहीं, गोली लगने के बाद भी माओवादी इन बच्चों का उपचार नहीं होने देना चाह रहे थे, लेकिन पुलिस और प्रशासन को जैसे इसकी जानकारी मिली, तत्काल उन घायल बच्चों को बेहतर इलाज दिलाया गया।


कांग्रेस पार्टी के अलावा माओवादियों के प्रति सहानुभूति रखने वाली संदिग्ध शहरी माओवादी महिला सोनी सोरी का कहना है कि फोर्स ने 5 ग्रामीणों की हत्या की है। सोनी सोरी माओवादियों-कम्युनिस्टों के उसी इकोसिस्टम का हिस्सा है, जो इन कम्युनिस्ट आतंकियों की गतिविधियों को शहरी ढाल प्रदान करते हैं, ताकि इनकी आतंकी गतिविधियों को उजागर ना किया जा सके।


हालांकि जिस तरह से कांग्रेस और कांग्रेसी-कम्युनिस्ट इकोसिस्टम बार-बार माओवादियों को बचाने के लिए 'फर्जी मुठभेड़' का आरोप लगाकर तिलमिला रहा है, उससे यह भी समझ आता है कि इस पूरे 'नक्सल-कम्युनिस्ट तंत्र' की सबसे मजबूत नस पर हाथ रख दिया गया है, और जल्द ही कम्युनिस्ट आतंकवाद के इस नासूर को खत्म कर दिया जाएगा। वहीं कांग्रेस और उसका इकोसिस्टम भी इस 'फर्जी मुठभेड़' के आरोपों के बीच ना सिर्फ बेनकाब हो रहा है, बल्कि उसकी वास्तविक मंशा भी साफ-साफ नजर आ रही है।

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