अंतिम सांसे गिन रहा माओवादी आतंक; 2024 में फोर्स को मिली बड़ी सफलताएं

माओवादियों के सबसे बड़े गढ़ अबूझमाड़ में भी फोर्स ने ऐसी रणनीति अपनाई कि उन्हें इस वर्ष वहां भी बड़ी सफलताएं मिली। केवल माड़ क्षेत्र में ही फोर्स ने 130 माओवादियों को मार गिराया, जिसमें कई बड़े माओवादी आतंकी नेता थे।

The Narrative World    31-Dec-2024   
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छत्तीसगढ़ समेत देश को माओवादी आतंक से मुक्त करने का लक्ष्य
26 मार्च 2026 का किसी और ने नहीं, बल्कि देश के गृहमंत्री अमित शाह ने रखा है, और उनके द्वारा रखे गए इस लक्ष्य की ओर छत्तीसगढ़ की सरकार एवं फोर्स सफलतापूर्वक आगे बढ़ रही है।


वर्ष 2024 में मिली सफलताएं पूरे देश के सामने हैं, और यह कहा जा रहा है कि जिस गति से माओवाद उन्मूलन का कार्य चल रहा है, उससे वर्ष 2026 के मार्च तक माओवादी नहीं बचेंगे।


दरअसल यह वर्ष माओवादी आतंक से लड़ रही फोर्स के लिए बड़ी सफलता का रहा है। छत्तीसगढ़ की सरकार की आक्रामक नीति, केंद्र सरकार से समन्वय एवं राज्य-केंद्र की फोर्स के बीच उचिय तालमेल ने छत्तीसगढ़ में माओवादियों को ऐसा झटका दिया है, जिससे माओवादी संगठन कभी उबर नहीं पायेगा।


“वर्ष 2024 में ही बस्तर में फोर्स ने 237 माओवादियों को ढेर किया है, जिनमें से 217 माओवादियों के शव को बरामद भी किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि इस एक वर्ष में 200 से अधिक माओवादियों को ढेर करने के अलावा पुलिस की सफलता में 925 माओवादियों की गिरफ्तारी और 792 माओवादियों का आत्मसमर्पण भी शामिल है।”

 


इस दौरान फोर्स और माओवादियों के बीच 124 बार मुठभेड़ हुई है, जिसमें लगभग हर बार माओवादियों को मुंह की खानी पड़ी है। यह सभी उल्लिखित आंकड़ें बीते 4 दशकों में सर्वाधिक हैं।


गौरतलब है कि इन मुठभेड़ों में फोर्स ने जिन माओवादियों को ढेर किया है, उनकी कुल इनामी राशि 9.24 करोड़ रुपये की है, जिनमें 25 लाख रुपये शीर्ष इनामी माओवादी आतंकी रणधीर, नीति, रूपेश भी शामिल हैं। वहीं फोर्स ने इस दौरान माओवादियों के कब्जे से 284 हथियार भी बरामद किए हैं, जिसमें एके-47 जैसे हथियार भी शामिल हैं।


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ये जो आंकड़ें आपने पढ़े हैं, यह छत्तीसगढ़ की धरती से, बस्तर की भूमि से माओवादी आतंक को खत्म करने के लिए एक ऐसे अभियान का परिणाम है, जिसे केंद्र और राज्य की सरकार ने अपनी इच्छाशक्ति से हासिल किया है।


राज्य में वर्ष 2023 में भाजपा की सरकार बनते ही माओवादियों के समूल नाश की योजना को जमीन पर उतारना शुरू किया गया। यही कारण रहा कि केवल एक वर्ष में ही 28 नये कैंप माओवादियों के गढ़ में खोले गए और उन क्षेत्रों को माओवादी आतंक से दूर किया गया।


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माओवादियों के सबसे बड़े गढ़ अबूझमाड़ में भी फोर्स ने ऐसी रणनीति अपनाई कि उन्हें इस वर्ष वहां भी बड़ी सफलताएं मिली। केवल माड़ क्षेत्र में ही फोर्स ने 130 माओवादियों को मार गिराया, जिसमें कई बड़े माओवादी आतंकी नेता थे।


वहीं कभी माओवादियों के गढ़ के रूप में कुख्यात क्षेत्रों में फोर्स ने अपने कैंप स्थापित किए, जिससे ना सिर्फ क्षेत्र में सुरक्षा की व्यवस्था हुई, साथ ही मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था भी की गई।


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अबूझमाड़ क्षेत्र में ही 7 कैंप खोले गए। माओवादी आतंकी हिड़मा के गांव पूवर्ती में भी फोर्स ने कैंप खोला। जिन स्थानों में पगडंडियों में भी जाना कठिन था, वहां अब फोर्स की चार पहिया गाड़ियां दौड़ती हैं।


“केवल एक वर्ष पहले की ही बात है जब सोनपुर, कोहकामेटा और आँकबेड़ा तक ही सड़कें थीं, लेकिन अब अबूझमाड़ के अंदरूनी क्षेत्र कस्तूरमेटा, मोहन्दी, इरकभट्टी, कच्चापाल, मसपूर एयर होरादी जैसे क्षेत्रों में भी सड़कें पहुंचने लगी है। इन क्षेत्रों में पुलिस कैंप खुलने का फायदा यहां के ग्रामीणों को भी मिला है।”

 


अब माओवादी आतंक को नेस्तनाबूद करने के लिए नारायणपुर जिला पुलिस अबूझमाड़ के भीतर 6 नये पुलिस थानों का भी विस्तार करने वाली है। जिस तरह से वर्ष 2024 में थुलथुली जैसे स्थानों में फोर्स ने घुसकर ऑपरेशन को अंजाम दिया है, उससे यह तो स्पष्ट है कि वर्ष 2025 में फोर्स अब कोर क्षेत्रों में भी ऑपरेशन करने वाली है, जो माओवादी आतंकी संगठन की ताबूत में आखिरी कील साबित होगा।