माओवादी आतंकी संगठन बीते कुछ वर्षों से मध्य प्रदेश के कान्हा बफ़र जोन में एक नया कोरिडोर बनाने में लगा हुआ है, इसीलिए यह देखा जा रहा है कि इस वर्ष माओवादियों द्वारा मनाए जाने वाले "पीएलजीए सप्ताह" को लेकर सबसे आक्रामक एवं शुरआती पोस्टर मध्य प्रदेश के बालाघाट क्षेत्र में ही लगे हैं।
माओवादियों ने इस क्षेत्र में बैनर-पोस्टर लगाकर पीएलजीए सप्ताह मनाने की घोषणा की है। माओवादियों ने इस बीच इन स्थानों में अपनी उपस्थिति भी दर्ज कराई है।
दरअसल माओवादी आतंकियों के द्वारा प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर से लेकर 8 दिसंबर तक पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) सप्ताह मनाया जाता है। इस दौरान माओवादी कई बार बंद का आह्वान करते हैं। इसके अलावा बड़े माओवादी आतंकी नेता बैठक कर आगामी रणनीति तैयार करते हैं।
इस वर्ष भी माओवादी आतंकी संगठन पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के वर्षगांठ पर पीएलजीए सप्ताह मनाने जा रहा है, जिसे लेकर देश के माओवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा कर्मी सतर्कता बरत रहे हैं।
पीएलजीए क्या है?
पीएलजीए अर्थात पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी प्रतिबंधित माओवादी आतंकी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की एक आतंकी सैन्य इकाई है। माओवादियों ने इसकी स्थापना 2 दिसंबर, 2000 में की थी। इसे पीपुल्स गुरिल्ला आर्मी के नाम से भी जाना जाता है।
दरअसल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) पीपुल्स वार ग्रुप और माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (MCCI) के विलय के बाद वर्ष 2004 में बनी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की यह मुख्य आतंकी सैन्य इकाई है।
वर्ष 2004 में जब इनका विलय हुआ तब पीपुल्स गुरिल्ला आर्मी (PWG का मिलिट्री विंग) और पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (MCCI का मिलिट्री विंग) का भी इस दौरान विलय हुआ, जिसका नाम रखा गया पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी।
पीपुल्स लिब्रेशन गुरिल्ला आभी को पूरी तरह प्रतिबंधित माओवादी आतंकी संगठन सीपीआई (माओवादी) के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। वर्ष 2014 में सामने आए आंकड़ों के अनुसार माओवादियों की इस इकाई में 12 कंपनी है और 25 से अधिक प्लाटून शामिल हैं।
इसके अलावा कई ऐसे जनमिलिशिया सदस्य भी हैं जो माओवादी आतंकी संगठन के इस आतंकी समूह की सहायता करते हैं। मिली जानकारी के अनुसार इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल है।
पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आमों का अपना एक खुफिया विभाग, केंद्रीय निर्देश टीम और केंद्रीय एक्शन टीम भी है। इसकी कमान कई वर्षों तक कुख्यात माओवादी आतंकी किशन जी के द्वारा संभाली गई।
किशन जी उर्फ मल्लोजुला कोटेस्वरा राय तेलंगाना क्षेत्र का निवासी था और वह वर्ष 1974 में माओवादी आतंकी संगठन से जुड़ा था। इसका छोटा भाई मल्लूजोला वेणुगोपाल भी वर्षों तक माओवादी आतंकी रहा और माओवादी आतंकी संगठन का पोलित ब्यूरो सदस्य भी रहा।
कुख्यात माओवादी आतंकी किशनजी का संपर्क उत्तर पूर्व के विभिन्न आतंकी संगठनों के साथ भी रहा जिनकी सहायता से उसने माओबादी आतंकी संगठन को विस्तार देने का कार्य किया।
माओवादी आतंकियों के द्वारा सुरक्षा बलों के विरुद्ध किसी भी बड़ी घटना को अंजाम देने के पीछे इसी आतंकी संगठन का हाथ होता है। वर्ष 2010 के अप्रैल माह में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के माओवादी आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था इस दौरान 76 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
वर्ष 2013 में छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं के काफिले में भी पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के माओवादी आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें महेंद्र कर्मा समेत तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल सहित 27 लोग मारे गए थे।
वर्ष 2021 के अप्रैल के माह में छत्तीसगढ़ के सुकमा क्षेत्र में 400 माओवादियों ने मिलकर एंबुश लगाकर सुरक्षाबलों पर हमला किया था, इस दौरान भी 22 सुरक्षाकर्मी वीरगति को प्राप्त हुए थे।
इन सभी घटनाओं के अलावा अन्य सभी बड़ी-छोटी आतंकी घटनाओं को पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के माओवादी आतंकी अंजाम देते हैं।
वर्ष 2020 में माओवादियों ने पीएलजीए सप्ताह को ना मनाकर पीएलजीए वर्ष मनाने का ऐलान किया था। इसके बाद देखा गया कि माओवादियों ने अगले 1 वर्ष में जमकर आतंक मचाया है। हालांकि कई क्षेत्रों में माओवादियों को बड़ा झटका भी लगा, लेकिन छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में माओवादी अपने पैठ को मजबूत करने में सफल हुए हैं।
माओवादियों ने कहा था कि वह पूरे वर्ष नई भर्तियां करेंगे और चुनिंदा क्षेत्रों में आवश्यकता के अनुसार बड़े हमले भी करेंगे। इसके बाद यह देखा गया है कि माओवादी अपने इस कार्य को करने के लिए कई तरह की गतिविधि में शामिल रहे।
माओवादियों ने इस दौरान बताया था कि अब तक पीपुल्स लिचरेशन गुरिल्ला आर्मी की ओर से 208 बड़े, 318 मध्यम और 3,948 छोटे हमले किए जा चुके हैं।
माओवादियों के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन की ओर से भी जानकारी सामने आई थी कि वर्ष 2020 के दिसंबर तक 4,483 माओवादी मारे गए थे, इनमें से 283 ऐसे थे जो पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के मुठभेड़ के दौरान मारे गए। मारे गए माओवादियों में 839 महिला माओवादी भी शामिल है।
हालाँकि अब स्थितियाँ बदल चुकी हैं, जहाँ माओवादियों के सबसे बड़े गढ़ बस्तर में ही उन्हें फ़ोर्स लगातार ढेर कर रही है। बीते एक वर्ष में ही 200 से अधिक माओवादी मारे जा चुके हैं। माओवादी आतंकी संगठन के लिए अब इन क्षेत्रों में अस्थाई कैम्प बनाना भी चुनौती बन चुकी है।