तियानमेन नरसंहार की 35वीं बरसी पर भी डरी रही चीनी कम्युनिस्ट सरकार

05 Jun 2024 18:28:51

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जून, 1989 को चीन की राजधानी बीजिंग में स्थित तियानमेन चौक पर चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने नरसंहार को अंजाम दिया था, जिसके चलते हजारों लोगों की मौत हुई थी। इस नरसंहार की बीते मंगलवार (4 जून, 2024) को 35वीं बरसी थी।


इस 35वीं बरसी के अवसर पर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की नजरें चीन और उसके तियानमेन चौक पर थी, लेकिन चीन ने उस नरसंहार के 35 वर्षों के बाद भी अपनी तानाशाही गतिविधियों को जारी रखा है।


चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने बीते 4 जून अर्थात मंगलवार को तियानमेन चौक एवं उसके पास जाने वाले मार्गों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लगा रखी थी, साथ ही इन मार्गों में कड़ी निगरानी भी रखी जा रही थी। तियानमेन चौक के अलावा हांगकांग में चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने पुलिस सुरक्षा एवं निगरानी को बढ़ा दिया था।


वहीं दूसरी ओर ताइवान के राष्ट्रपति ने कहा है कि उनके द्वारा तियानमेन चौक की घटना की यादों को खत्म होने से बचाने के लिए निरंतर कार्य किया जाता रहेगा, लोगों के ज़हन से यह नहीं निकलने दिया जाएगा।


अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने तियानमेन चौक नरसंहार से जुड़ी किसी भी गतिविधि को रोकने के लिए कड़े प्रबंध किए थे, यही कारण है कि बीजिंग से लेकर हांगकांग तक चीन ने फोर्स के माध्यम से आम जनता को तियानमेन नरसंहार की बरसी मनाने से रोक रखा था।


वहीं इस नरसंहार की घटना को याद करने के लिए एक 'कलाकार' को हांगकांग में गिरफ्तार कर लिया गया। सोमवार (3 जून, 2024) को हांगकांग के एक कलाकार ने अपने हाथ से हवा में लहराते हुए '8964' अंक बनाया था, जिसके कारण हांगकांग की चीनी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।


यह '8964' अंक तियानमेन चौक नरसंहार की घटना से जुड़ा है, जिसमें 89 अर्थात 1989, 6 अर्थात जून का माह और 4 अर्थात वह तारीख जब कम्युनिस्टों ने जनसंहार किया था।


अंतरराष्ट्रीय संचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार गिरफ्तार कलाकार का नाम सानमु चेन है, जो 1989 की घटना को याद कर रहा था। गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार उसे 'अशांति पैदा करने' के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था।


चीनी कम्युनिस्ट सरकार द्वारा की गई इन पाबंदियों एवं तानाशाही गतिविधियों पर ताइवान के राष्ट्रपति का कहना है कि 'यह हमें याद दिलाता है कि लोकतंत्र और स्वतंत्रता आसानी से नहीं मिलती, और हमें लोकतंत्र के लिए आम सहमति बनानी चाहिए, तथा स्वतंत्रता के साथ अधिनायकवाद का उत्तर देना चाहिए।'


ताइवानी राष्ट्रपति इस कॉमेंट के माध्यम से चीनी कम्युनिस्ट सरकार और चीन की लोकतंत्र विरोधी कम्युनिस्ट-माओवादी विचारधारा पर कड़ा प्रहार कर रहे थे। तियानमेन चौक नरसंहार की घटना की बात करते हुए ताइवानी राष्ट्रपति ने कहा कि '4 जून को हुई घटना की स्मृति इतिहास में कहीं लुप्त नहीं होगी। हम इस ऐतिहासिक घटना की स्मृति को ज़िंदा रखने के लिए कड़ी मेहनत करते रहेंगे।'


“गौरतलब है कि चीनी कम्युनिस्ट सरकार एक तरफ जहां चीन में अधिनायकवादी सत्ता चलाती है, वहीं उसने हांगकांग की स्वायत्तता को भी खत्म कर उसे कम्युनिस्ट तानाशाही में बदल दिया है। वहीं दूसरी ओर ताइवान पर भी बार-बार हमले का दबाव बनाती है। ताइवान की सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था का निर्वहन कर नागरिक स्वतंत्रता चाहती है, वहीं चीनी कम्युनिस्ट सरकार माओवादी सत्ता की स्थापना करना चाहती है।”


यही कारण है कि ताइवान में लोकतंत्र एवं स्वतंत्रता की बात करने वाले ताइवानी राष्ट्रपति को चीन 'अलगाववादी' कहता है और उसकी आलोचना करता है। बीते माह ही चीन ने ताइवान के समीप ही मिलिट्री ड्रिल किया था और इसे ताइवानी राष्ट्रपति की 'सजा' बताया था।


क्या हुआ था 4 जून, 1989 को ?


4 जून 1989 को चीन ने अपनी राजधानी बीजिंग में एक बड़े नरसंहार को अंजाम दिया था। बीजिंग के तियानमेन चौक पर 10,000 से अधिक प्रदर्शनकारियों को चीन ने अपनी सेना बुलाकर मार डाला था। हजारों प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए गए थे और सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। पिछले तीन दशकों में यह सबसे बड़ा नरसंहार था।

चीन के सरकारी आंकड़ों के अनुसार 200 लोगों की मौत हुई थी जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक मौतों का आंकड़ा 10,000 से भी अधिक था। ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी किए गए एक दस्तावेज के मुताबिक 10000 लोग इस नरसंहार में मारे गए थे।


चीन में ना सिर्फ इस नरसंहार को अंजाम दिया बल्कि इससे जुड़े इंटरनेट में सामग्रियों को भी हटाने का काम जारी रखा है। चीन में आज की युवा पीढ़ी और आम जनों को तियानमेन चौक में हुए नरसंहार के बारे में कोई जानकारी नहीं है।


चीन और कम्युनिज्म ने यह साबित किया है कि सत्ता और ताकत की लालसा में वह अपने लोगों को भी नहीं बख्शता। कम्युनिज्म विचार ही ऐसा है जो अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए दमनकारी नीतियों का सहारा लेता है।

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