माओवादी संगठन में विद्रोह : छत्तीसगढ़-तेलंगाना के नक्सली आमने-सामने

12 Sep 2024 09:59:25


Representative Image
माओवादी आतंकी संगठन सीपीआई
(माओवादी) के भीतर तेलुगु नेतृत्व एवं छत्तीसगढ़ के जनजातीय नक्सलियों के बीच लंबे समय से खींचतान की स्थिति बनी हुई थी, जो अब खुलकर विद्रोह का रूप ले चुकी है।


इसी विद्रोह की कड़ी में तेलंगाना के शीर्ष माओवादियों ने बीते 6 सितंबर को छत्तीसगढ़ के एक माओवादी की हत्या कर दी है। तेलुगु नक्सलियों ने कांकेर-राजनांदगांव सीमा पर सक्रिय छत्तीसगढ़ के माओवादी की हत्या की है।

Representative Image


बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी के अनुसार माओवादी आतंकी संगठन के भीतर तेलुगु कैडर का नेतृत्व करने वाला विजय रेड्डी और उसके समूह ने इस हत्या को अंजाम दिया है। मारे गए माओवादी की पहचान राजनांदगांव-कांकेर बॉर्डर डिवीजन कमेटी के एसीएम विज्जा के रूप में हुई है, जो दक्षिण बस्तर क्षेत्र का निवासी था।


पुलिस महानिरीक्षक का कहना है कि तेलुगु नक्सलियों ने विज्जा को गद्दार करार देकर उसकी हत्या की है। पुलिस का मानना है कि माओवादी संगठन में अब फूट पड़ने लगी है।


दरअसल तेलंगाना के माओवादी आतंकी नेताओं को छत्तीसगढ़ के माओवादियों पर शक है कि इनके द्वारा ही पुलिस को माओवादी संगठन की जानकारी दी जा रही है, इसी के चलते छत्तीसगढ़ में फोर्स के साथ हो रही मुठभेड़ों में माओवादी ढेर हो रहे हैं।


पुलिस का यह कहना है कि इस वर्ष (वर्ष 2024) तेलंगाना समेत अन्य राज्यों के शीर्ष माओवादी आतंकियों को जिस तरह से ढेर किया गया है, साथ ही उनको नुकसान भी उठाना पड़ा है, उसके बाद छत्तीसगढ़ से बाहर के कैडर यहां के नक्सलियों को शंका की नजरों से देख रहे हैं।


पुलिस के अनुसार स्थितियां ऐसी हो चुकी है कि तेलुगु कैडर अब छत्तीसगढ़ के माओवादियों को प्रताड़ित भी कर रहे हैं, और इसी से संगठन में विद्रोह की स्थिति निर्मित हो रही है।


अगर पिछले 8 महीने की स्थिति देखें तो तेलंगाना के जोगन्ना, रणधीर, सागर, विनय उर्फ रवि जैसे शीर्ष माओवादी आतंकियों के अलावा महाराष्ट्र के संगीता उर्फ सन्नी और ओडिशा के लक्ष्मी समेत अन्य शीर्ष माओवादी आतंकियों को छत्तीसगढ़ में ही फोर्स ने ढेर किया गया है। ऐसे में अब तेलुगु नक्सलियों और छत्तीसगढ़ के नक्सलियों के बीच अविश्वास काफी बढ़ चुका है, जिसके चलते अब विद्रोह खुलकर देखा जा रहा है।

Representative Image


दरअसल यह अचानक उठा विद्रोह नहीं है, इससे पहले भी छत्तीसगढ़ के कैडर्स द्वारा तेलुगु नेतृत्व का विरोध किया जा चुका है, लेकिन हर बार छत्तीसगढ़ के जनजातीय कैडर को चुप करा दिया जाता रहा है।


माओवादी आतंकी संगठन सीपीआई (माओवादी) का पूरा नेतृत्व तेलुगु नेताओं के हाथ में है, जो बस्तर की जनजातीय भूमि को लाल कर रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, किसी भी स्थल पर होने वाले मुठभेड़ों में तेलुगु माओवादी छत्तीसगढ़ के।जनजातीय कैडर को ही आगे कर अपनी लड़ाई लड़ते हैं, जिसके चलते फोर्स की पहली गोली भी बस्तर के उन्हीं जनजातीय युवाओं को लगती है, जिन्हें जबरन इस माओवादी दलदल में धकेल दिया गया है।


तेलुगु नक्सल नेता बस्तर के जनजातीय युवाओं को फोर्स के विरुद्ध अपने लिए एक कवच के रूप में रखते हैं, जिसके चलते पूरा नुकसान छत्तीसगढ़ के कैडर्स को उठाना पड़ता है। तेलुगु नेतृत्व द्वारा छत्तीसगढ़ के जनजातीय कैडर्स को मरने के लिए मुठभेड़ों में भेजने के अलावा उनके साथ शारीरिक और मानसिक शोषण भी किया जाता है।


बस्तर के माओवादियों को जबरन अपने ही गांव के छोटे लड़के-लड़कियों को माओवादी संगठन में भर्ती कराने भेजा जाता है, और उन छोटे बच्चों का तेलुगु माओवादी नेता शोषण करते हैं। उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती है, और कम उम्र में ही पुलिस से भिड़ने के लिए जंगलों में भेज दिया जाता है।


वहीं दूसरी ओर तेलुगु माओवादी नेताओं के बच्चे विदेशों और देश के बड़े शहरों में रहते हैं। यह एक बड़ा कारण है जिसने वर्तमान में हो रही गतिविधियों को जन्म दिया है, जिसके बाद अब छत्तीसगढ़ के जनजातीय नक्सल कैडर ने तेलुगु माओवादियों के खिलाफ विद्रोह कर दिया है।

Powered By Sangraha 9.0