आंध्र के नक्सली छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को नहीं मानते विश्वास के योग्य
नक्सलियों का क्रूर चेहरा अब बेनक़ाब होने लगा है। छत्तीसगढ़ के वनवासियों से उनकी घृणा भी खुलकर सामने आ गई है। पूरे नक्सल इतिहास में वैसे भी कभी छत्तीसगढ़ मूल के लोगों को बड़े पद नहीं दिए गए हैं।
उस पर भी जो किसी तरह निचले स्तर से ऊपर पहुंचे हैं, उनकी हत्या की जा रही है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि नक्सलियों के बड़े नेता छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को विश्वास के योग्य भी नहीं समझते।
ताज़ा घटनाओं से इस बात की प्रबल पुष्टि होती है। यही कारण है कि माओवादी संगठन में कलह अब सतह पर दिखाई दे रही है।
आंध्र कैडर ने की छत्तीसगढ़ के नक्सली की हत्या
ताज़ा मामला यह है कि तेलुगू कैडर विजय रेड्डी एवं उनके साथियों ने राजनांदगांव-कांकेर बॉर्डर डिवीजन कमेटी के एसीएम विज्जा (निवासी दक्षिण बस्तर) की हत्या कर दी है।
इस हत्या से साफ़ जाहिर होता है कि नक्सलियों के नेता बस्तर मूल के लोगों को केवल अपने पाँव की जूती भर समझते रहे हैं।
पहले तो आम ग्रामीणों को बंदूक की नोक पर जबरन नक्सली बनाया जाता है, उनसे हत्याएँ करवाई जाती हैं, ताकि वे अपराधी कहलाएँ और मुख्यधारा में न लौट पाएँ। जीवन भर उनका शोषण किया जाता है और अंत में ख़ुद नक्सली उनकी हत्या कर देते हैं।
अब लगातार हो रही छत्तीसगढ़ पुलिस कार्रवाई से बौखलाए आंध्र कैडर के नक्सली छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को मौत के घाट उतार रहे हैं।
यानी छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को उनके बड़े नेताओं द्वारा विश्वसनीय भी नहीं माना जाता। इस घटना से छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को बड़ा धक्का लगा है।
पुलिस और अर्धसैनिक बलों की प्रभावी कार्रवाई
वर्ष 2024 में माओवादियों को पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने लगातार क्षति पहुंचाई है। लगातार हो रहे नुकसान से बौखलाए हुए माओवादियों में विद्रोह की स्थिति बन गई है।
नक्सलियों में विश्वासघात का डर भी उत्पन्न हो गया है। ऐसे में छत्तीसगढ़ पुलिस ने माओवादियों से आत्मसमर्पण कर अपनी जान बचाने की अपील की है।
बस्तर आईजी पी. सुंदरराज के अनुसार, वर्ष 2024 में बस्तर संभाग अंतर्गत माओवादियों के विरुद्ध की जा रही प्रभावी कार्यवाही के परिणामस्वरूप 153 से अधिक माओवादियों के शव विभिन्न मुठभेड़ों के पश्चात सुरक्षा बलों द्वारा बरामद किए गए हैं।
बस्तर पुलिस की बड़ी उपलब्धियां
बस्तर पुलिस की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि पिछले आठ महीनों में बस्तर संभाग के अंतर्गत सुरक्षा बलों द्वारा तेलंगाना राज्य के निवासी माओवादी कैडर डीकेएसजेडसी सदस्य जोगन्ना, डीकेएसजेडसी सदस्य रंधीर, टीएससी सदस्य, सीआरसी कमांडर सागर, डीवीसीएम विनय उर्फ़ रवि जैसे शीर्ष माओवादी कैडर्स के शव विभिन्न मुठभेड़ों के पश्चात बरामद किए गए।
छत्तीसगढ़ में अब तक चले एंटी-नक्सल ऑपरेशन्स में ऐसा पहली बार हुआ है कि महाराष्ट्र राज्य निवासी माओवादी कैडर एसीएम संगीता उर्फ़ सन्नी तथा ओडिशा निवासी पीपीसीएम लक्ष्मी का भी शव मुठभेड़ के पश्चात बरामद किया गया।
इस प्रकार बड़ी संख्या में अन्य प्रांतों के रहने वाले शीर्ष माओवादी कैडर्स का नक्सल विरोधी अभियान के दौरान पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में मारा जाना छत्तीसगढ़ पुलिस की अब तक की बहुत बड़ी उपलब्धि है।
माओवादियों की रणनीति विफल
पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज, सुन्दरराज पी. बताते हैं कि प्रतिबंधित एवं गैरकानूनी सीपीआई माओवादी संगठन द्वारा एक रणनीति के तहत सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान स्थानीय माओवादी कैडर्स को एक मानव सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
मुठभेड़ों में स्थानीय नक्सलियों को मरने को छोड़ दिया जाता है और बाहरी राज्य के शीर्ष माओवादी कैडर्स मौके का फायदा उठाकर अपनी जान बचाकर भाग जाते हैं।
लेकिन हाल-फिलहाल में हुई मुठभेड़ों के दौरान बाहरी राज्य के शीर्ष माओवादी कैडर्स की यह रणनीति विफल होते हुए नज़र आ रही है।
माओवादी संगठन में आंतरिक कलह
विश्वसनीय सूत्रों से मिल रही सूचना से यह बात सामने आ रही है कि वर्ष 2024 में तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र एवं अन्य प्रांतों के सीनियर कैडर्स की हो रही दुर्गति को देखते हुए माओवादी संगठन के शीर्ष नेतृत्व में खलबली मच गई है।
बाहरी माओवादी कैडर्स द्वारा स्थानीय माओवादी कैडर्स के ऊपर संदेह एवं शक करते हुए उन्हें कई प्रकार से प्रताड़ित किया जा रहा है, जिससे माओवादी संगठन में विश्वासघात व विद्रोह की स्थिति निर्मित हो रही है।
यही कारण है कि 6 सितंबर, 2024 को जिला कांकेर के थाना परतापुर क्षेत्र अंतर्गत मलमपेंटा जंगल में राजनांदगांव-कांकेर डिवीजन के एसीएम विज्जा मड़काम को उन्हीं के ख़ुद के माओवादी संगठन के तेलुगू कैडर नेता विजय रेड्डी के इशारे पर माओवादियों ने संगठन के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाकर हत्या कर दी।
माओवादी शीर्ष नेतृत्व द्वारा माओवादी संगठन के इस अंदरूनी कलह से ख़ुद के माओवादी कैडर तथा जनता का ध्यान भटकाने के लिए ख़ुद के द्वारा मारे गए नक्सलियों को पुलिस मुखबिर, क्रांतिकारी विरोधी, संगठन की गद्दारी करने जैसे मनगढ़ंत कहानी बताते हुए झूठी एवं तथ्यविहीन प्रेस विज्ञप्ति जारी की जा रही है।
माओवादी संगठन की वर्तमान स्थिति
पिछले दिनों माओवादी संगठन को बस्तर संभाग अंतर्गत दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी इलाके में भारी क्षति उठानी पड़ी है, जिसके कारण प्रतिबंधित एवं गैरकानूनी संगठन अभी दिशा-विहीन एवं नेतृत्व-विहीन हो चुका है।
बाहरी प्रांत के शीर्ष माओवादी नेतृत्व विगत 30-40 वर्षों से स्थानीय माओवादी कैडर्स को सिर्फ़ एक मानव सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करते हुए करोड़ों-अरबों रुपयों की लूट-खसोट की गई है।
अब स्थानीय माओवादी कैडर्स के सामने बाहरी माओवादी कैडर्स बेनक़ाब होते जा रहे हैं, जिसके कारण माओवादियों में आपस में विश्वासघात एवं विद्रोह की स्थिति बढ़ती जा रही है।
आत्मसमर्पण का आह्वान
अब स्थानीय माओवादी कैडर्स के पास हिंसा छोड़कर शासन के समक्ष आत्मसमर्पण करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है।
बस्तर क्षेत्र के शांति, सुरक्षा एवं विकास के लिए यह उचित होगा कि प्रतिबंधित एवं गैरकानूनी सीपीआई माओवादी संगठन के कुछ शीर्ष कैडर तथा उनके गिने-चुने समर्थकों की साजिश और चंगुल से बाहर आकर माओवादी कैडर्स समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर सुरक्षित एवं विकसित बस्तर की भागीदारी बनें।
माओवादी गुटों में बढ़ती आंतरिक कलह की प्रमुख घटनाएं
1. बीजापुर के गंगालूर एरिया कमेटी की आंतरिक कलह
दिनांक 2 अक्टूबर 2020 को गंगालूर एरिया कमेटी के डीवीसीएम विज्जा मोड़ियाम और डीवीसीएम सचिव दिनेश के बीच गंभीर टकराव हुआ। इसके परिणामस्वरूप दिनेश और उनके साथियों ने विज्जा की हत्या कर दी। यह टकराव क्षेत्र में निर्दोष आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार और हत्याओं को लेकर हुआ।
2. बीजापुर के पामेड़ एरिया की घटना
दिनांक 13 अगस्त 2024 को पामेड़ एरिया में नक्सल कम्युनिकेशन टीम के एसीएम पद पर कार्यरत मनीष कुरसम उर्फ़ राजू की मुखबिरी के आरोप में हत्या कर दी गई। मनीष सावनार के निवासी थे।
3. तेलंगाना राज्य के कोट्टागुडेम जिले की घटना
दिनांक 21 अगस्त 2024 को आंध्र-ओडिशा सीमा क्षेत्र में सीपीआई (माओवादी) पार्टी नेतृत्व ने महिला कैडर एसीएम राधा उर्फ़ नीलसो (उम्र 26) की पुलिस इनफ़ॉर्मर होने के आरोप में हत्या कर दी। राधा सुरक्षा टीम कमांडर के रूप में कार्यरत थीं।
4. राजनांदगांव-कांकेर बॉर्डर एरिया कमेटी
जिला कांकेर एवं मानपुर-मोहला के सीमावर्ती क्षेत्र में सक्रिय माओवादी संगठन आरकेबीडी डिवीजन के प्रभारी तेलुगू कैडर विजय रेड्डी की मनमानी हरकतों से स्थानीय कैडर को अनेक प्रकार की प्रताड़ना एवं परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
बाहरी तेलुगू नक्सली विजय रेड्डी के विरुद्ध स्थानीय माओवादी कैडर एसीएम राजू तथा उनकी पत्नी राजे मड़काम द्वारा सवाल-जवाब किया जाने लगा।
इस परिस्थिति में दिनांक 6 सितंबर 2024 को जिला कांकेर के थाना परतापुर क्षेत्र अंतर्गत मलमपेंटा जंगल में राजनांदगांव-कांकेर डिवीजन के एसीएम विज्जा मड़काम को उन्हीं के ख़ुद के माओवादी संगठन के तेलुगू कैडर विजय रेड्डी के इशारे पर माओवादियों ने संगठन के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाकर हत्या कर दी।
लेख
प्रियंका कौशल
पत्रकार