नक्सल हिंसा से पीड़ित बस्तरवासियों का एक प्रतिनिधिमंडल 19 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिला और अपनी समस्याओं को साझा किया।
बस्तर शांति समिति के तत्वावधान में आए इस प्रतिनिधिमंडल में 50 से अधिक पीड़ित शामिल थे, जिन्होंने गृह मंत्री को माओवादी हिंसा के चलते हुए अपने अनुभवों को बताया।
पीड़ितों ने अमित शाह के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त की और बताया कि कैसे माओवाद ने बस्तर में उनके जीवन को नर्क बना दिया है।
राधा सलाम, जो 3 साल की उम्र में माओवादी हिंसा की शिकार हुई थीं, ने बताया कि इस हमले के कारण अब वह एक आंख से देख नहीं पाती हैं।
इसी तरह, सियाराम रामटेके ने साझा किया कि उन्हें माओवादियों ने खेत में काम करने के दौरान गोली मारी थी, जिसके चलते अब उनकी छाती से नीचे का शरीर काम नहीं करता।
गृह मंत्री अमित शाह ने पीड़ितों की बात सुनते हुए आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया जाएगा और जल्द ही नक्सल समस्या का समाधान होगा।
उन्होंने विश्वास दिलाया कि बस्तर मार्च 2026 तक पूरी तरह से नक्सलवाद मुक्त हो जाएगा। साथ ही, शाह ने अप्रत्यक्ष रूप से अर्बन नक्सलियों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अब दिल्ली में पीड़ितों की बात सुनने के बाद कुछ लोगों की आंखें खुल सकती हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें बस्तर को नक्सल मुक्त करने और वहां शांति बहाल करने की मांग की गई है।
ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले चार दशकों से बस्तर माओवादी आतंक का शिकार हो रहा है, जिससे बस्तरवासियों का जीवन और आजीविका दोनों बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
पीड़ितों ने गृह मंत्री से अपील की कि बस्तर की भूमि को माओवाद से पूरी तरह मुक्त किया जाए और वहां की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को बचाया जाए।
उनका कहना है कि बस्तर बूढ़ा देव और माँ दंतेश्वरी की भूमि है, जिसे लाल आतंक से मुक्त कराना आवश्यक है।