दिल्ली से लौटे 50 से अधिक नक्सली हिंसा से पीड़ित बस्तरवासी आज रायपुर पहुंचे और अपनी यात्रा के अनुभवों को साझा किया।
बस्तर शांति समिति के बैनर तले यह यात्रा शुरू हुई थी, जहां पीड़ितों ने न केवल अपनी बात केंद्रीय गृह मंत्री और राष्ट्रपति तक पहुंचाई, बल्कि बस्तर में शांति स्थापना के लिए ठोस कदम उठाने की भी अपील की।
पीड़ितों ने बताया कि 19 सितंबर को उन्होंने जंतर-मंतर पर मौन विरोध प्रदर्शन किया। इसके माध्यम से उन्होंने बस्तर में व्याप्त नक्सली हिंसा और प्रशासनिक उदासीनता की तरफ देश का ध्यान आकर्षित किया।
इसके बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर पीड़ितों ने अपनी बात रखी। गृह मंत्री ने बस्तर की स्थिति पर गहन चर्चा की और शांति स्थापना के लिए जल्द ही ठोस कदम उठाने का आश्वासन दिया।
पीड़ितों का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति भवन भी पहुंचा, जहां उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात कर नक्सली हिंसा के पीड़ितों की वास्तविक स्थिति से उन्हें अवगत कराया।
पीड़ितों ने राष्ट्रपति को बताया कि नक्सलियों की क्रूरता ने बस्तर को एक युद्धभूमि में तब्दील कर दिया है और इस स्थिति से निजात पाना अत्यंत आवश्यक है। राष्ट्रपति ने भी पीड़ितों की बातें सुनीं और नक्सल समस्या के समाधान का भरोसा दिया।
21 सितंबर को पीड़ित बस्तरवासी दिल्ली विश्वविद्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने छात्रों से बातचीत की। इस चर्चा में उन्होंने शहरी नक्सलवाद और उसके प्रभावों पर गहन चर्चा की। छात्रों ने भी उनके संघर्षों को सुनते हुए नक्सलवाद के खिलाफ समर्थन जताया।
रायपुर में लौटकर, पीड़ितों ने राजधानी में प्रेस वार्ता की और बताया कि बस्तर में शांति लाने के लिए अब निर्णायक कदम उठाने का समय आ गया है।
उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान करेगी और बस्तर में पुनः शांति स्थापित होगी।