छत्तीसगढ़ के भीतर माओवाद से प्रभावित बस्तर क्षेत्र में एक बार फिर सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। बस्तर क्षेत्र के दंतेवाड़ा जिले में माओवादियों को झटका देते हुए फोर्स ने 9 नक्सलियों को मार गिराया है।
मारे गए माओवादियों में 6 महिला माओवादी शामिल हैं, जिनके पास से हथियार और गोला-बारूद भी प्राप्त हुए हैं। दंतेवाड़ा-बीजापुर सीमा पर मंगलवार (3 सितंबर, 2024) को फोर्स के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए इन माओवादियों को लेकर एक बड़ी जानकारी यह सामने आई है कि ये माओवादी बैलाडीला के जंगल में बारूद लूटने आये थे।
इस पूरे मुठभेड़ को लेकर मिली जानकारी के अनुसार माओवादी अपने अस्थायी कैंप को नेशनल पार्क से लगे फरसेगढ़ थाना क्षेत्र में बनाया था, जहां से कुछ माओवादी खदान से बारूद लूटने के लिए निकले थे।
ये सभी माओवादी माइंस से लगभग 5-6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पहाड़ी पर डेरा जमाए हुए थे, जहां से खदान में नजर रखी जा रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान यहां लगभग 30-35 माओवादी मौजूद थे, वहीं 3 दिन पहले ही कंपनी नंबर 2 का कमांडर वेल्ला मुड़ियाम वहां पहुंचा था।
वेल्ला के साथ माओवादियों की एक छोटी टुकड़ी भी मौजूद थी। दरअसल माओवादियों की यह पूरी टुकड़ी यहां केवल बारूद की लूटपाट करने ही नहीं, बल्कि बीजापुर के पुड़िया गांव में अपनी पकड़ को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से भी आई थी।
पुड़िया वही क्षेत्र है, जो माओवादियों के सबसे बड़े गढ़ों में शामिल था, जिसे फोर्स ने पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया। अब यहां माओवादियों का कोई खास प्रभाव नहीं है।
ऐसे में माओवादियों ने पुड़िया गांव में पुनः कब्जा और माइंस से बारूद और सम्भवतः कुछ खनिजों की लूट की योजना बनाई थी, क्योंकि माओवादियों ने तकरीबन पांच वर्ष पहले भी किरंदुल की इसी पहाड़ी के समीप लूटपाट की थी। इस खदान में बहुतायत में बारूद होने के कारण माओवादियों ने इसे निशाना बनाया था।
खदान के समीप पहाड़ी पर 40 से अधिक माओवादियों की मौजूदगी होने की जानकारी जैसे ही फोर्स को मिली, फोर्स ने तत्काल ऑपरेशन लॉन्च किया। रात्रि 8 बजे फोर्स ऑपरेशन के लिए निकली, जिसमें 300 जवान शामिल थे।
माओवादियों की जिस पहाड़ी पर मौजूदगी थी, उससे लगभग 12 किलोमीटर दूरी से जवानों ने ऑपरेशन लांच किया, और सुबह होने से पहले ही जवानों ने पूरी पहाड़ी को घेर लिया।
सुबह जब माओवादियों को इसकी भनक लगी कि फोर्स ने उन्हें घेर लिया है, तो उन्होंने सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी।
माओवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच चले इस गोलीबारी में माओवादियों को मुंह की खानी पड़ी, जिसमें 9 कम्युनिस्ट आतंकी ढेर हो गए। बैलाडीला क्षेत्र के 13 नंबर पहाड़ी के नीचे बसे गांव लावा, पुरंगेल एवं एंट्री के जंगलों में चले इस इस ऑपरेशन को 17 घण्टों में अंजाम दिया गया।
वहीं ढेर हुए 9 माओवादियों के पास से एसएलआर, 303 राइफल, 315 बोर बंदूक समेत भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुए हैं। इस पूरे ऑपरेशन में सीआरपीएफ, डीआरजी और बस्तर फाइटर्स के जवान शामिल थे।
बारूद लूटने के इरादे से आये थे माओवादी
इस मुठभेड़ को लेकर यह जानकारी तो स्पष्ट हुई है कि माओवादी बैलाडीला के इस क्षेत्र में खदान से बारूद लूटने के उद्देश्य से पहुंचे थे, जिसे सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया है।
जिस तरह से माओवादी खदान के समीप 8 दिनों से ठहरे हुए थे, उससे यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि माओवादी खदान के समीप लगातार रेकी कर रहे थे, तथा उचित समय की प्रतीक्षा कर रहे थे, ताकि खदान पर हमला किया जा सके।
इस ऑपरेशन की सफलता यह भी रही कि माओवादियों की मौजूदगी की जानकारी फोर्स तक बिल्कुल सही समय में और सही जानकारी के साथ पहुंची, जिसके चलते सुरक्षाबलों को इस ऑपरेशन की योजना बनाने से लेकर उसे अंजाम देने में आसानी हुई, साथ ही उन्हें सफलता भी मिली।