बस्तर में माओवादी बारूद : विदेशी आतंकियों से सीखा बम बनाना, कूकर से लेकर शराब की बॉटल तक का करते हैं उपयोग

10 Jan 2025 14:52:12

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बीते सोमवार छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में माओवादियों द्वारा किए गए आईईडी ब्लास्ट में सुरक्षाबल के
8 जवान और एक वाहन चालक बलिदान हुए। बलिदान जवान दंतेवाड़ा डीआरजी के थे, जो नक्सल ऑपरेशन से लौट रहे थे। आईईडी विस्फोट इतना अधिक प्रभावशाली था कि गाड़ी के परखच्चे उड़ गए, और सड़क पर 10 फीट का गड्ढा भी हो गया।


इसी बीच माओवादियों ने एक और हमले की रणनीति बनाई थी, इस बार भी आईईडी विस्फोट करने की साजिश थी, लेकिन इस बार 'बियर' के बॉटल में बम रखा गया था।


माओवादियों ने इस 'बियर बम' को बीजापुर जिले के मुरदण्डा गांव के समीप प्लांट किया था। हालांकि सुरक्षा बल के जवान माओवादियों के इस जाल में फंसते, उससे पहले ही उन्होंने इसे निष्क्रिय कर दिया।


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आज तक जवानों ने माओवादियों के द्वारा प्लांट किए गए तरह-तरह के आईईडी विस्फोटक बरामद किए हैं, कभी प्रेशर कूकर बम तो कभी टिफिन बम, कभी पाइप बम तो कभी अन्य प्रकार से आईईडी प्लांट करते देखा गया है, लेकिन यह पहली बार है कि शराब की बॉटल में माओवादियों ने आईईडी लगाया था। माओवादियों की इस नई रणनीति से जवानों को भी हैरानी हुई है। हालांकि इस पूरे मामले के सामने आने के बाद अब जवान अधिक सतर्कता बरत रहे हैं।


यदि आईईडी की बात करें, तो यह माओवादियों के लिए छत्तीसगढ़ में सबसे उपयोगी हथियार रहा है। बस्तर की जमीन पर माओवादियों ने बारूदी सुरंग का ऐसा मायाजाल बिछाकर रखा है, जिसकी चपेट में सिर्फ पुलिस के जवान ही नहीं, बल्कि आम बस्तरवासी भी आते हैं।


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ऐसे सैकड़ों स्थानीय बस्तरवासी हैं, जिन्होंने माओवादियों की इस 'बारूदी साजिश' के चलते अपनी जान गंवाई है। वहीं कई ऐसे ग्रामीण हैं, जिन्होंने कम्युनिस्ट आतंकियों के आईईडी विस्फोट के कारण अपना कोई ना कोई अंग गंवा दिया है।


दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार माओवादियों के द्वारा किए गए तमाम हमलों में सबसे अधिक नुकसान आईईडी विस्फोट से ही हुआ है, जिसका आंकड़ा 60% तक जाता है। वहीं स्थितियां और तकनीक ऐसी है कि माओवादियों को इन आईईडी विस्फोटकों को बनाने का खर्चा भी केवल 30-40 हजार रुपये का आता है।


“माओवादियों ने देश में जितने भी बड़े आतंकी हमले किए हैं, उनमें से अधिकांश आईईडी विस्फोट के माध्यम से ही किए गए हैं। देश में हुआ सबसे बड़ा माओवादी हमला भी (ताड़मेटला, अप्रैल 2010) माओवादियों की इसी आईईडी विस्फोट का परिणाम था, जिसमें 76 जवान बलिदान हुए थे। लेकिन प्रश्न यह भी उठता है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में माओवादी आईईडी कैसे प्लांट कर लेते हैं और उन्हें ये सब बनाने की ट्रेनिंग कौन देता है ?”


दरअसल इन आईईडी विस्फोटकों को बनाना एवं प्लांट करना बहुत खर्चीला नहीं है। सामान्यतः इसे बनाने में 10 हजार से 50 हजार तक का खर्च आता है। जैसे बीजापुर में हुई घटना को लेकर यदि समझे तो इसमें लगभग 35 हजार रुपये का खर्च आया होगा, वहीं विशेषज्ञों के अनुसार इसे बनाने में भी बमुश्किल आधे घंटे से भी कम का समय लगा होगा।


यदि हम माओवादियों के बम बनाने की ट्रेनिंग की बात करें तो दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में 'प्रोसिडिंग ऑफ द इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस' नामक एक जर्नल में यह दावा किया गह था कि माओवादियों के शीर्ष आतंकी नेताओं ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन लिट्टे (LTTE) से आईईडी बम बनाना सीखा था। गौरतलब है कि लिट्टे श्रीलंका में सक्रिय एक आतंकी संगठन था, जिसके तार भारत के तमिलनाडु से जुड़े हुए थे।


आज तक हमने देखा था कि एनवलप, पाइप, कंटेनर, टिफिन, प्रेशर कूकर, कार, पिकअप या ट्रक जैसे वाहनों या वस्तुओं में माओवादी आईईडी प्लांट करते थे जिसमें विस्फोटक की क्षमता आधे किलो से लेकर साढ़े चार हजार किलो तक रहती है, लेकिन जिस प्रकार से अभी बियर की बॉटल में आईईडी प्लांट किया गया, उससे यह स्पष्ट है कि इसमें आधे किलो से लेकर एक किलो तक विस्फोटक रखा गया था, जो जवानों की छोटी टुकड़ी के एक या दो सदस्यों को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी है।


वहीं बीजापुर में हुए माओवादी हमले में लगभग 50 किलोग्राम विस्फोटक का उपयोग किया गया, जो माओवादियों के द्वारा किसी बड़े हमले की योजना से प्लांट किया गया था।


विशेषज्ञों के अनुसार जिस वाहन को माओवादियों ने बम विस्फोट से उड़ाया वह एक बड़ी एसयूवी थी, जिसे उड़ाने के लिए 10-12 किलो विस्फोटक पर्याप्त था, ऐसे में 50 किलो विस्फोटक से माओवादी उक्त एसयूवी जैसी 5 गाड़ी को विस्फोट से उड़ा सकते थे, जिसके बाद भयावह स्थिति बन सकती थी।

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