विश्व भर में जमीन पर गड़ी कब्रें दे रही कम्युनिस्ट शासन के आतंक की गवाही

22 Jan 2025 13:26:33

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वीं शताब्दी में कम्युनिस्ट शक्तियों ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में शासन किया और इस दौरान उन्होंने करोड़ों निरपराध लोगों का नरसंहार किया। सोवियत संघ के कम्युनिस्ट शासन के दौरान किए गए नरसंहार के सबूत समय-समय बाहर भी आए हैं।


यूरोपीय देश माल्दोवा से अलग होकर बने ट्रांसनिस्त्रिया के तिरास्पोल शहर में बड़ी संख्या में कब्र और मानव कंकाल प्राप्त हुए थे, जिनकी संख्या हजारों में अनुमानित की गई है। इन कंकालों में अधिकांश वही यहूदी हैं जिनका नरसंहार कम्युनिस्ट शासन काल में किया गया था।


“मोल्दोवा में यहूदी समूह के रब्बी ने भी इस विषय में अपनी बात रखी थी। उनका कहना था कि जो कब्र सामने आए हैं उनमें यहूदियों की संख्या सर्वाधिक है। उन्होंने बताया था कि, दरअसल ये वही यहूदी हैं जिन्हें वर्ष 1917 से 1930 के बीच कम्युनिस्ट शक्तियों ने इसलिए मार डाला था, क्योंकि इन्होंने कॉम्युनिज़म के विचार को स्वीकार करने से इंकार किया और उसका विरोध किया था।”


दरअसल इन सामूहिक कब्रों को कुछ वर्षों पूर्व रूस समर्थित सेना ने खोजा था। रूसी सेना ने क्षेत्र के एक पुराने सैन्य बेस को यूक्रेन युद्ध के दौरान अपने ठिकाने के रूप में चुना था और इसी जमीन पर नया सैन्य बेस बनाने के लिए गढ्ढे खोदे जा रहे थे, जिस दौरान बड़ी संख्या में कब्रें और कंकाल बाहर आये। एक रिपोर्ट के अनुसार 30 से अधिक गड्ढे प्राप्त हुए थे जिनमें पीड़ितों को डालकर उनकी हत्या की गई थी।


जब इस घटना से जुड़ी खबर सामने आई थी, तब वैश्विक मीडिया में यह विषय अत्यधिक चर्चित हुआ था। विषय की चर्चा को देखते हुए दुनिया भर के यहूदी समुदाय ने भी इस मामले की तहकीकात करने की बात कही, जिसके बाद रब्बी (यहूदी धर्मगुरु) ने इस पूरे क्षेत्र का दौरा किया और निरीक्षण करने का प्रयास किया।

क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने कहा था कि यह पूरा क्षेत्र अत्यंत ही अचंभित करने वाला है। उन्होंने कहा कि यह मानना भी कठिन है कि कैसे कम्युनिस्ट शक्तियों ने केवल अपने विचार और विश्वास को नहीं मानने के कारण हजारों लोगों की निर्मम हत्या कर दी। उन्होंने आगे कहा कि इन गड्ढों में जिस तरह से कंकाल, जूते-कपड़े के अवशेष और अन्य समानों के अवशेष पड़े हैं, उन्हें देखकर दुःख हुआ है।


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एक मीडिया रिपोर्ट में रब्बी और यहूदी समुदाय के सूत्रों के हवाले से इस बात का दावा किया गया कि इन सामूहिक कब्रों के पास से कुछ दस्तावेज भी प्राप्त हुए हैं, जिसमें मारे गए लोगों ने नाम एवं उनके मारे जाने से जुड़ी जानकारियां उल्लिखित हैं।


ऐसा दावा किया गया कि इस दस्तावेज में इस बात का भी उल्लेख है कि किन कारणों के चलते कम्युनिस्ट सरकार द्वारा उन्हें मारा गया था। इस दस्तावेज से मिली जानकारी के अनुसार एक पीड़ित यहूदी विद्यालय में शिक्षक था, वहीं एक अन्य का संबंध फिलिस्तीन से निकल कर आया है।


ट्रांसनिस्त्रिया दरअसल एक ऐसा राज्य है जो मोल्दोवा से स्वयं को स्वतंत्र मानता आया है, हालांकि इसे अभी दुनिया में आधिकारिक रूप से स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता नहीं मिली है। ट्रांसनिस्त्रिया के राष्ट्रपति ने इन सामूहिक कब्रों के सामने आने के बाद कहा था कि "यहां की जमीन निर्दोष यहूदियों एवं गैर-यहूदियों के खून से सनी हुई है, यह उस दौर के हमारे जमीन पर किए गए भयानक कृत्यों में से एक है।"


“ट्रांसनिस्त्रिया के राष्ट्रपति के इस बयान से स्पष्ट समझा जा सकता है कि कैसे कम्युनिस्ट शासन द्वारा किए गए नरसंहार आज भी मानव सभ्यता को भयभीत एवं निराश कर रहे हैं।”


दरअसल यह पहला मौका नहीं है जब कम्युनिस्ट शासन के द्वारा किए गए नरसंहार से जुड़े सबूत सामने आए हैं, इससे पूर्व भी दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ऐसे सामूहिक कब्र मिल चुके हैं जिसने कम्युनिस्ट शासकों द्वारा किए गए कुकृत्यों की गवाही दी है।


यूक्रेन में भी ऐसी सामूहिक कब्रें सामने आई थी जिसमें 8 हजार से अधिक लोगों के शव होने का अनुमान लगाया गया था। यूक्रेन के दक्षिणी शहर ओडेसा में इन कब्रों को खोजा गया था। इन कब्रों को लेकर सामने आई जानकारी के अनुसार सोवियत संघ के तानाशाह स्टालिन ने इन्हें मारने के आदेश दिए थे।


इसके अलावा स्लोवेनिया, यूक्रेन, अल्बानिया, वियतनाम, अफगानिस्तान जैसे देशों में भी सामूहिक कब्रें बाहर आ चुकी हैं जहां कम्युनिस्ट शासकों ने आम जनता को सिर्फ़ इसलिए मरवा दिया क्योंकि उन्होंने कम्युनिस्ट विचार और विश्वास को मानने से इंकार कर दिया था।


यह सभी कब्रें इस बात की गवाही देते हैं कि कम्युनिस्ट विचार कैसे अपनी तानाशाही से शासन करता है और फिर अपने विचार के नाम पर नरसंहार करता है।

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