चीन में निजता (प्राइवेसी) सिर्फ़ एक सपना है, एक ऐसा सपना जिसे सरकार ने कुचल डाला है। जहां बाकी दुनिया टेक्नोलॉजी को तरक्की के रास्ते के तौर पर देखती है, वहीं चीन ने उसे अपने नागरिकों की ज़िंदगी में दखल देने का सबसे ताक़तवर औज़ार बना दिया है।
"राष्ट्रीय सुरक्षा" और "स्थिरता" के नाम पर शुरू हुई निगरानी अब एक डिजिटल तानाशाही का रूप ले चुकी है। हर सड़क, हर मोबाइल, हर क्लिक... सब पर कम्युनिस्ट सरकार की नज़र है।
हर मोड़ पर कैमरा, हर चेहरे की पहचान
चीन में करीब 60 करोड़ CCTV कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे सिर्फ़ रिकॉर्डिंग नहीं करते, ये चेहरे पहचानते हैं, लोगों की गतिविधियों को ट्रैक करते हैं, और जरूरत पड़ी तो तुरंत अलर्ट भेजते हैं।
यह कोई भविष्य की कल्पना नहीं, बल्कि आज की हकीकत है। सड़कों पर ट्रैफिक नियम तोड़ो, और पलक झपकते ही तुम्हारा चेहरा स्क्रीन पर और जुर्माना वॉलेट से कट चुका होगा।
आपका फोन, सरकार का डेटा बैंक
चीन में WeChat, Alipay जैसे लोकप्रिय ऐप्स सिर्फ़ सोशल नेटवर्किंग टूल नहीं, बल्कि सरकारी निगरानी यंत्र हैं। ये आपकी बातचीत, लोकेशन, पेमेंट्स, यहां तक कि आपके विचारों को भी ट्रैक करते हैं।
अगर आपने पार्टी की आलोचना कर दी, तो आपको चुप कराने के लिए कई तरीके मौजूद हैं।
सोशल क्रेडिट सिस्टम: हर नागरिक का डिजिटल रिपोर्ट कार्ड
चीन का सोशल क्रेडिट सिस्टम एक ऐसा डरावना मॉडल है जिसमें नागरिकों को उनके व्यवहार के आधार पर स्कोर दिया जाता है। अगर आपने कर्ज नहीं चुकाया, या सरकार की आलोचना की, या फिर 'अनुशासनहीन' काम किया, तो आपके स्कोर में गिरावट आ सकती है।
और इसका असर?
शिनजियांग और तिब्बत: जहां टेक्नोलॉजी का मतलब है दमन
उइगर मुस्लिमों के इलाके शिनजियांग में तो निगरानी की हदें पार कर दी गई हैं।
यहां हर नागरिक की बॉयोमीट्रिक प्रोफाइलिंग की गई है, मोबाइल स्कैन किए जाते हैं, AI पुलिसिंग चल रही है और लाखों लोगों को "पुनः शिक्षा" शिविरों में डाला गया है।
चीन इसे “स्थिरता” कहता है। दुनिया इसे मानवाधिकार उल्लंघन।
सेलिब्रिटीज़ और अरबपति भी नहीं सुरक्षित
अलीबाबा के संस्थापक जैक मा सरकार की आलोचना करने के बाद महीनों गायब रहे। कई फिल्म स्टार्स को "समाजवाद विरोधी" बताकर इंटरनेट से मिटा दिया गया।
चीन में संदेश साफ है, कोई भी पार्टी से ऊपर नहीं।
वैश्विक विस्तार: अब ये मॉडल दुनिया को भी बेचा जा रहा है
सबसे खतरनाक बात यह है कि चीन अपने इस सर्विलांस मॉडल को दूसरे देशों को बेच रहा है। Huawei, Hikvision जैसी कंपनियों के ज़रिए अफ्रीका, एशिया और कई विकासशील देशों में ये तकनीकें पहुंचाई जा रही हैं।
यानि अब चीन सिर्फ़ अपने नागरिकों को नहीं, बल्कि दुनिया को भी सिखा रहा है कि तानाशाही कैसे की जाती है।
निष्कर्ष: जहां सरकार नहीं, निगरानी सर्वोच्च है
चीन की सरकार 'विकास' और 'संवेदनशीलता' की बातें करती है, लेकिन सच यह है कि वहां की जनता को सिर्फ़ डेटा पॉइंट बना दिया गया है। निजी स्वतंत्रता को मिटा दिया गया है।
वास्तविक सवाल यह नहीं है कि चीन निगरानी राज्य बन चुका है।
वास्तविक सवाल यह है कि दुनिया में कितने और देश इस रास्ते पर चलने वाले हैं?