नारायणपुर और कोंडागांव जिले की सरहद पर एक बार फिर सुरक्षाबलों ने नक्सलियों को करारा जवाब दिया है।
मंगलवार को हुई मुठभेड़ में दो खूंखार नक्सली ढेर कर दिए गए।
इनमें से एक नक्सली हलदर DVCM था, जिस पर 5 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जबकि दूसरा रामे ACM था, जिस पर भी 5 लाख रुपये का इनाम था।
इनके शवों के साथ AK-47 और भारी मात्रा में गोला-बारूद भी बरामद हुआ है।
पुलिस को सूचना मिली थी कि किलम-बरगुम के जंगलों में नक्सलियों का जमावड़ा है।
इस इनपुट के आधार पर DRG और बस्तर फाइटर्स की टीम को 15 अप्रैल को इलाके में भेजा गया।
सर्चिंग के दौरान शाम को अचानक मुठभेड़ शुरू हो गई, जो देर तक चली।
जवानों ने साहस दिखाते हुए दोनों इनामी नक्सलियों को ढेर कर दिया। मौके पर सर्चिंग अब भी जारी है।
“IG सुंदरराज पी ने मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए इसे सुरक्षाबलों की एक और बड़ी जीत बताया है।”
यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले चार दिनों में यह दूसरी बड़ी मुठभेड़ है।
इससे पहले 12 अप्रैल को दंतेवाड़ा-बीजापुर बॉर्डर पर तीन नक्सली ढेर हुए थे।
वर्ष 2025 में अब तक कुल 13 मुठभेड़ों में 146 नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है।
यह आंकड़ा बताता है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अब अपने अंतिम दौर में है।
इस साल की प्रमुख मुठभेड़ें:
31 मार्च: दंतेवाड़ा-बीजापुर बॉर्डर पर 45 लाख की इनामी महिला नक्सली मारी गई।
29 मार्च: सुकमा-दंतेवाड़ा बॉर्डर पर 16 नक्सली ढेर।
20 मार्च: दंतेवाड़ा-बीजापुर बॉर्डर पर 26 और कांकेर में 4 नक्सली मारे गए।
9 फरवरी: बीजापुर में 31 नक्सली मारे गए।
2 फरवरी: गंगालूर में 8 नक्सली मारे गए।
20-21 जनवरी: छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर 27 नक्सली ढेर।
16 जनवरी: कांकेर में 18 नक्सली मारे गए।
4 जनवरी: अबूझमाड़ में 5 नक्सली मारे गए, एक जवान शहीद।
2024 में भी बड़े ऑपरेशनों में 235 नक्सली मारे गए थे। थुलथुली, पामेड़, अबूझमाड़ और सुकमा जैसे क्षेत्रों में लगातार कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि सरकार और सुरक्षा बल अब किसी भी हालत में नक्सलियों को बख्शने के मूड में नहीं हैं।
नक्सलियों की यह हार केवल जंगल में एक मुठभेड़ नहीं, बल्कि उनके भय और दहशत के साम्राज्य के पतन की शुरुआत है।
जिस विचारधारा के नाम पर मासूमों को बंदूक थमाई गई, अब उसी विचारधारा को जवानों की बंदूकें चुप कर रही हैं।