वक्फ संशोधन कानून 2025: वक्फ बोर्ड के झूठे दावों पर चला बुलडोज़र, अब इतिहास बचेगा

19 Apr 2025 12:03:04
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अब बेदखल होंगे फर्जी दावे, ऐतिहासिक धरोहरों को मिलेगा नया जीवन
 
देशभर में 256 से अधिक ऐतिहासिक इमारतों की मालिकाना स्थिति अब बदलने वाली है।
 
वक्फ संशोधन कानून 2025 के लागू होते ही, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को उन इमारतों पर फिर से पूर्ण नियंत्रण मिल सकता है, जिन पर वक्फ बोर्ड लंबे समय से कब्जा जमाए बैठा है।
 
सरकार द्वारा लाए गए इस नए कानून के मुताबिक, अब वक्फ बोर्ड को हर संपत्ति के लिए वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
 
वो भी एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल पर, जहां छह महीने की तय सीमा के भीतर सभी रिकॉर्ड अपलोड करने होंगे।
 
विशेष परिस्थितियों में छह महीने की अतिरिक्त मोहलत मिल सकती है, लेकिन दस्तावेज न देने की स्थिति में संपत्ति पर वक्फ बोर्ड का दावा अपने आप खत्म हो जाएगा।
 
धरोहरों पर अवैध कब्जों की होगी सफाई
 
इस बदलाव का सबसे बड़ा असर उन इमारतों पर पड़ेगा जो पहले से ही ASI की देखरेख में हैं लेकिन वक्फ बोर्ड ने उन पर ‘धार्मिक उपयोग’ के बहाने अवैध दावे कर रखे थे। ऐसे दावों को अब कानूनन समाप्त किया जा सकेगा।
 
दिल्ली का पुराना किला, अग्रसेन की बावली, हुमायूं का मकबरा, और मोती मस्जिद जैसे प्रमुख स्थल इस विवाद में शामिल हैं।
 
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राजस्थान की आमेर जामा मस्जिद, महाराष्ट्र में औरंगज़ेब का मकबरा और प्रतापगढ़ किला भी इस सूची में आते हैं।
 
ये सभी भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं, जिन पर वर्षों से वक्फ बोर्ड का दावा सिर्फ एकतरफा था।
 
उदाहरण के लिए, अग्रसेन की बावली में पश्चिम दिशा में एक छोटी सी मस्जिद है, जिसे आधार बनाकर वक्फ बोर्ड ने पूरी संरचना पर मालिकाना हक जताया। लेकिन अब बिना दस्तावेज के ऐसा दावा टिक नहीं पाएगा।
 
कानूनी लड़ाई भी तेज़, सुप्रीम कोर्ट ने कहा – फिलहाल नई नियुक्तियां न हों
 
यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। कोर्ट ने कानून पर रोक तो नहीं लगाई है, लेकिन केंद्र सरकार से 7 दिनों में जवाब मांगा है।
 
चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि फिलहाल वक्फ बोर्ड में किसी भी तरह की नई नियुक्ति न की जाए।
 
हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि पहले से दर्ज वक्फ संपत्तियों को रद्द नहीं किया जाएगा और यथास्थिति बनाए रखी जाए।
 
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अदालत ने याचिकाकर्ताओं से यह भी कहा कि वे अपनी आपत्तियों को पांच बिंदुओं में सीमित करें ताकि सुनवाई को सरल और प्रभावी बनाया जा सके।
 
ताजमहल पर भी हुआ था वक्फ का दावा, कोर्ट ने किया था खारिज
 
यह कोई नई कहानी नहीं है। 2005 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ताजमहल को भी वक्फ संपत्ति घोषित करने की कोशिश की थी।
 
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में उस दावे को खारिज करते हुए उसकी कानूनी वैधता पर ही सवाल उठा दिए थे।
दरअसल, 1904 के प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम और 1958 के संशोधन के तहत किसी भी संरक्षित स्मारक पर धार्मिक संस्था का दावा मान्य नहीं है।
 
राष्ट्रीय महत्व की घोषित इमारतों पर केवल ASI का नियंत्रण होता है।
 
संस्कृति को संजोने की दिशा में बड़ा कदम
 
वक्फ संशोधन कानून 2025 सिर्फ जमीन या इमारतों का मामला नहीं है।
 
यह देश की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा का सवाल है। जिन स्मारकों पर आज तक धर्म के नाम पर एकतरफा कब्जा किया गया, अब उन्हें उनकी असली पहचान और संरक्षण मिलेगा।
 
सरकार का यह कदम ऐतिहासिक धरोहरों को राजनीतिक और धार्मिक कब्जों से मुक्त कराने की दिशा में अहम साबित होगा।
 
और यही इस देश के असली इतिहास और सभ्यता की सच्ची सेवा भी है।
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