बॉलीवुड के कुख्यात फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने एक बार फिर अपनी कम्युनिस्ट विचारधारा और नफरत भरे रवैये से भारत की सामाजिक एकता को ठेस पहुंचाई है।
उनकी हालिया टिप्पणी, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया पर ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ अश्लील और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा, "ब्राह्मण पे मैं मूतूंगा... कोई प्रॉब्लम?", ने न केवल एक समुदाय विशेष को अपमानित किया है, बल्कि यह पूरे भारतीय समाज के लिए एक घृणित हमला है।
यह कोई नई बात नहीं है। अनुराग का इतिहास रहा है कि वे हर धर्म और समुदाय को निशाना बनाते हैं, और उनकी यह आदत उनकी कट्टर कम्युनिस्ट मानसिकता का परिचायक है, जो भारत की सांस्कृतिक एकता को खंडित करने की साजिश रचती है।
अनुराग की यह टिप्पणी उनकी फिल्म 'फुले' के विवाद के बीच आई, जो समाज सुधारक ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है।
इस फिल्म को लेकर पहले से ही आरोप लग रहे हैं कि यह ब्राह्मण समुदाय की छवि को नकारात्मक रूप से चित्रित करती है।
लेकिन अनुराग ने इस आलोचना का जवाब नफरत और अहंकार से दिया, जो उनकी कम्युनिस्ट विचारधारा का स्पष्ट प्रमाण है।
यह वही अनुराग कश्यप हैं, जिन्होंने पहले भी हिंदू धर्म, सिख समुदाय, और अन्य धार्मिक समूहों के खिलाफ विवादास्पद बयान दिए हैं।
उनकी फिल्मों और बयानों में बार-बार भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को कमजोर करने की कोशिश दिखती है, जो एक कट्टर कम्युनिस्ट की निशानी है।
यह पहली बार नहीं है जब अनुराग ने अपनी जहरीली जुबान से समाज को बांटने की कोशिश की हो।
पहले भी वे अपनी फिल्मों और साक्षात्कारों में हिंदू देवी-देवताओं, परंपराओं और भारत की सांस्कृतिक विरासत पर हमला बोल चुके हैं।
उनकी यह हरकतें केवल ब्राह्मण समुदाय तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे हर उस समुदाय को निशाना बनाते हैं जो भारत की एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है।
चाहे वह हिंदू, सिख, जैन या कोई अन्य समुदाय हो, अनुराग की नफरत भरी विचारधारा किसी को नहीं बख्शती।
उनकी यह टिप्पणी केवल ब्राह्मणों के खिलाफ नहीं, बल्कि भारत के हर उस नागरिक के खिलाफ है जो सामाजिक सौहार्द और एकता में विश्वास रखता है।
देशभर में अनुराग के इस बयान के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा है।
गोंडा में चाणक्य सेवा संस्थान ने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की, तो अवागढ़ में लोगों ने उनका पुतला फूंका।
जयपुर के बजाज नगर पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई, और मुंबई के ओशिवारा पुलिस स्टेशन में अभिनेत्री गहना वशिष्ठ ने शिकायत दर्ज कराई।
यह आक्रोश केवल ब्राह्मण समुदाय तक सीमित नहीं है; सिख, जैन और अन्य समुदायों ने भी इस टिप्पणी की कड़ी निंदा की है, क्योंकि अनुराग की नफरत हर धर्म और समुदाय को चोट पहुंचाती है।
अनुराग ने बाद में इंस्टाग्राम पर माफी मांगी, लेकिन यह माफी केवल एक दिखावा है।
जब उनके परिवार को धमकियां मिलीं और कानूनी कार्रवाई शुरू हुई, तब जाकर उन्होंने यह मजबूरी भरा कदम उठाया।
उनकी माफी में कोई सच्चाई नहीं है, क्योंकि उनका इतिहास बार-बार यही दिखाता है कि वे जानबूझकर समाज को बांटने का काम करते हैं।
भारत जैसे देश में, जहां विविधता में एकता हमारी ताकत है, अनुराग जैसे लोग नफरत और विभाजन का जहर बोते हैं।
उनकी कम्युनिस्ट विचारधारा और बार-बार की गई ऐसी हरकतें क्षम्य नहीं हैं।
अनुराग कश्यप को इस घृणित टिप्पणी के लिए कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
यह समय है कि कानून अपना काम करे और समाज को यह संदेश जाए कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना प्रभावशाली हो, भारत की एकता और सांस्कृतिक मूल्यों पर हमला नहीं कर सकता।
हर समुदाय के लोग एकजुट होकर इस नफरत भरे रवैये की निंदा करें, ताकि अनुराग जैसे लोग भविष्य में ऐसी हरकत करने से पहले सौ बार सोचें।
भारत की एकता और सौहार्द को बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है, और अनुराग कश्यप जैसे लोगों को इसका अहसास कराना होगा।