छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सरहद पर चल रहा सुरक्षाबलों का सबसे बड़ा ऑपरेशन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है।
करीब 5 हजार से अधिक जवानों ने कर्रेगट्टा, नाडपल्ली और पुजारी कांकेर की पहाड़ियों को चारों ओर से घेर लिया है।
इन पहाड़ियों पर नक्सलियों के खूंखार टॉप कमांडर हिड़मा, देवा, दामोदर जैसे खूनी चेहरों की मौजूदगी की पुष्टि हुई है।
बताया जा रहा है कि यहां करीब 300 नक्सली फंसे हुए हैं, जिनका अब बच निकलना लगभग नामुमकिन है।
यह वही हिड़मा है, जिस पर सैकड़ों जवानों और जनजातियों की हत्या का दोष है।
यही वो चेहरा है जिसने नक्सलवाद को वर्षों तक जनजाति अंचलों में जहर की तरह फैलाया। लेकिन अब वक्त बदल गया है।
केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की दृढ़ इच्छाशक्ति और हमारे वीर जवानों की सूझबूझ ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी है।
ऊपर से गोलियों की बारिश, नीचे से जवानों की घेराबंदी
कर्रेगट्टा पहाड़ियों पर हेलीकॉप्टर से गोलियां बरसाई जा रही हैं और नीचे से DRG, C-60 कमांडोज़, ग्रेहाउंड्स, कोबरा और STF के जवानों ने चारों तरफ से मोर्चा संभाल रखा है।
दर्जनों ड्रोन से इलाके की निगरानी की जा रही है। नक्सलियों के पास अब न तो पर्याप्त राशन है और न ही निकलने का कोई रास्ता।
यह ऑपरेशन पिछले 12 घंटों से अधिक समय से जारी है और बीच-बीच में फायरिंग की आवाजें भी सुनाई दे रही हैं।
IED से पहाड़ को किया है बारूदी सुरंगों से लैस
जानकारी के अनुसार नक्सलियों ने पहाड़ की चोटी पर सैकड़ों IED प्लांट किए हैं, ताकि सुरक्षाबलों को ऊपर चढ़ने से रोका जा सके।
लेकिन हमारे जवान पूरी तैयारी के साथ मैदान में हैं। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त बल, आधुनिक हथियार और हवाई निगरानी की पूरी व्यवस्था है।
हिड़मा और गिरोह के लिए अब या तो आत्मसमर्पण या मौत
इस इलाके में PLGA बटालियन 1, 2 समेत कई अन्य नक्सली यूनिट्स सक्रिय हैं।
टॉप लेवल कमेटी के सदस्य, सेंट्रल और ज़ोनल कमेटी के नेता, और संगठन सचिव जैसे खूनी नक्सली इस घेरे में हैं।
अब इनके पास दो ही विकल्प हैं – आत्मसमर्पण या मारे जाना।
5 नक्सली मारे गए, ऑपरेशन में मिली पहली बड़ी सफलता
सुरक्षा बलों को इस ऑपरेशन में पहली बड़ी सफलता मिल चुकी है। अब तक की जानकारी के मुताबिक, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र के सुरक्षाबलों की संयुक्त कार्रवाई में कम से कम 5 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, इनकी संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि ऑपरेशन अभी भी जारी है।
ऑपरेशन की कमान गृहमंत्री विजय शर्मा और केंद्र के हाथ में
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा स्वयं ऑपरेशन की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी इस ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, यह ऑपरेशन ‘मिशन 2026’ का हिस्सा है, जिसमें देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य है।
लेकिन जिस तरह से इस ऑपरेशन में प्रगति हुई है, ऐसा लग रहा है कि नक्सलवाद का खात्मा 2026 से पहले ही हो सकता है।
ग्रामीणों ने भी बताई गोलीबारी की पुष्टि
इलाके के ग्रामीणों ने पिछले दो दिनों से लगातार गोलियों की आवाजें, हेलीकॉप्टर की आवाजें और IED ब्लास्ट की धमाके सुनी हैं।
यानी यह साफ है कि ऑपरेशन अपने अंतिम और निर्णायक चरण में पहुंच चुका है।
नकली शांति वार्ता का नक्सली बहाना फेल
नक्सलियों ने हाल ही में शांति वार्ता का नाटक शुरू किया था।
दरअसल यह उनकी साजिश थी ताकि वे फोर्स के खिलाफ नई रणनीति बना सकें।
लेकिन अब उनकी कोई चाल काम नहीं आने वाली। गृहमंत्री विजय शर्मा ने साफ कर दिया है – ऑपरेशन रुकेगा नहीं, नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ें और आत्मसमर्पण करें।
यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, यह नक्सलवाद के अंत की शुरुआत है।
और उम्मीद है, हिड़मा और उसका गिरोह अब इतिहास का हिस्सा बन जाएगा।