चारों ओर से घिरे नक्सली अब शांति की भीख मांग रहे हैं – क्या फिर धोखा देने की तैयारी में हैं हिड़मा और गैंग?

25 Apr 2025 16:47:12
Representative Image 
बीजापुर की कर्रेगट्टा पहाड़ियों में बीते 85 घंटों से चल रहे निर्णायक ऑपरेशन ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी है।
 
सुरक्षाबलों की घेराबंदी इतनी सख्त है कि हिड़मा, देवा और विकास जैसे खूंखार माओवादी कमांडर अब बाहर निकलने के लिए छटपटा रहे हैं।
 
ऐसे समय में माओवादी संगठन ने एक बार फिर पुराना पैंतरा अपनाया है, शांति वार्ता की अपील।
 
लेकिन इस बार भी मंशा वही है, धोखा देना, समय खींचना और खुद को बचाना।
 
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश की ओर से जारी चिट्ठी में यह मांग की गई है कि सरकार फौरन संयुक्त ऑपरेशन को रोके और वार्ता के लिए आगे आए।
 
Representative Image
 
उन्होंने ये भी लिखा कि बंदूक की ताकत से बस्तर में शांति नहीं लाई जा सकती। लेकिन सवाल यह है कि क्या बंदूक उठाने वालों को अब शांति की याद इसलिए आ रही है क्योंकि मौत सिर पर मंडरा रही है?
 
रूपेश ने चिट्ठी में दावा किया है कि उन्होंने पहले ही वार्ता के लिए माहौल बनाने की बात कही थी, लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।
 
वहीं दूसरी ओर उन्होंने कागार ऑपरेशन को लेकर भी सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह सब शांति वार्ता के माहौल को बिगाड़ रहा है।
 
लेकिन असली मंशा छिप नहीं पा रही, ये चिट्ठी सिर्फ एक दिखावा है, ताकि घिर चुके नक्सलियों को बचाया जा सके।
 
सुरक्षाबलों की सटीक रणनीति से हिला नक्सल तंत्र
 
करीब सात किलोमीटर के क्षेत्र को सुरक्षाबलों ने चारों ओर से घेर रखा है।
 
इस संयुक्त अभियान में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के जवान शामिल हैं।
 
Representative Image
 
हिड़मा और उसकी कंपनी नंबर-1 इसी इलाके में फंसी हुई है। ऑपरेशन पूरी रणनीति और सतर्कता के साथ आगे बढ़ रहा है।
 
नक्सलियों तक पहले ही पहुंचा था ट्रैक्टर से राशन
 
सूत्रों की मानें तो ऑपरेशन शुरू होने से पहले नक्सलियों तक ट्रैक्टर के जरिए राशन पहुंचाया गया था।
 
हालांकि, अब उनके लिए हालात बिगड़ रहे हैं। दूसरी तरफ सुरक्षाबलों को एयरलिफ्ट कर जरूरी सामान मुहैया कराया जा रहा है।
 
तेज गर्मी के बीच जवानों का हौसला और रणनीति दोनों काबिल-ए-तारीफ हैं।
 
अब तक 3 नक्सली मारे जा चुके, कार्रवाई जारी
 
अभी तक इस ऑपरेशन में तीन नक्सलियों के शव बरामद किए जा चुके हैं।
 
पुलिस की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन बीजापुर में तीन हेलीपैड्स को अलर्ट पर रखा गया है।
 
छत्तीसगढ़ के डीजी और गृहमंत्री विजय शर्मा जल्द मौके पर पहुंच सकते हैं। डिहाइड्रेशन की समस्या से जूझ रहे कुछ जवानों को इलाज के लिए भद्राचलम भेजा गया है।
 
यह शांति वार्ता नहीं, जान बचाने की कोशिश है!
 
नक्सलियों की ये शांति वार्ता की अपील उस वक्त आई है जब उनका नेटवर्क टूटने की कगार पर है।
यह वही माओवादी हैं जिन्होंने दशकों तक जनजाति अंचलों को हिंसा की आग में झोंका है।
 
अब जब सुरक्षाबलों ने उनके पांव उखाड़ दिए हैं, तो ये वार्ता के नाम पर फिर एक बार धोखा देने की फिराक में हैं।
 
सरकार और जवानों की कड़ी नीति, मजबूत रणनीति और अदम्य साहस ने नक्सलियों को उनके आखिरी मोड़ पर ला खड़ा किया है।
 
अब फैसला सिर्फ इतना है, आत्मसमर्पण करो या खत्म हो जाओ। 
Powered By Sangraha 9.0