सुधी पाठकगण
सादर नमस्कार
प्राचीनकाल से भारत आध्यात्मिक एवं व्यवहारिक ज्ञान की समृद्ध भूमि रही है, जिसकी समृद्ध संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास लगभग 1000 वर्षों से अनवरत जारी है। इस क्रम में स्वतंत्रता पूर्व से ही देश की सांस्कृतिक धरोहर को नष्ट करने के दृष्टि से अनेकों भ्रामक अवधारणाएं गढ़ी गई, जिसे स्वतंत्रता के उपरांत कम्युनिस्ट झुकाव वाले मीडिया समुहों ने खूब जोर शोर से प्रचारित किया, वर्तमान में सूचना एवं प्रौद्योगिकी के इस नवीन युग में यह चुनौती बहुआयामी हो चली है, इस क्रम में देश में आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बने माओवाद (नक्सलवाद) के पक्ष में वातावरण का निर्माण करने जनजातीय समुहों को पृथक करने, परोक्ष रूप से साम्राज्यवादी विचार रखने वाले चीन को समर्थन देने वाले नैरेटिव गढ़ने के लिए कई भ्रामक प्रचार तंत्र (मीडिया समूह) सक्रिय हैं, ऐसे में 'द नैरेटिव' में हमारा प्रयास देश की आंतरिक एवं बाह्य चुनौतियों के विषय में आप तक सत्य एवं तर्कपूर्ण राष्ट्रीय विमर्श को पहुंचाना है, हमारा यह प्रयास देश हित में समर्पित है जिसमें आपकी सहभागिता से हमारे संकल्प को अभिलषित शक्ति मिलेगी।
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